Product Description
सुश्री चाँदनी पाण्डेय देश की प्रतिष्ठित शायरा हैं। विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में आपकी ग़ज़लें प्रकाशित होती रहती हैं। देश-विदेश के अनेक काव्य-मंचो पर दस वर्षों से लगातार सक्रिय हैं इसके अलावा विभिन्न टी वी चैनलों एवं आकाशवाणी पर भी आपकी काव्य-प्रस्तुतियाँ होती रहती हैं। आपको विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपके साहित्यिक योगदान हेतु सम्मनित किया गया है।
शायरा के शब्दों में पढ़िए कि ये किताब कैसे अस्तित्व में आई
ज़िन्दगी अपने तमाम बेचैन पर्दो में जितने भी धोके, उदासी, दर्द, सदमात, ज़ुल्म,ज़्यादती, हादसे और आँसू छिपा सकती थी छिपाती रही, जब पर्दों ने ज़िन्दगी की बदशक्ली छिपाने में नाकामी ज़ाहिर की, जब वक़्त की चीख़ों ने मेरे अंदरून को ख़ामोश कर दिया और जब उस ख़ामोशी ने ज्वालामुखी की तरह बे-साख़्ता चीख़ना चाहा तो मैंने बे-इख़्तियार हो कर उस ख़ामोशी को अल्फ़ाज़ की पोशाक पहनानी शुरू कर दी और उन पर्दो के पीछे छिपने में असफल बदसूरत ज़ख्मों को शायराना जामा पहनाने की कोशिशें शुरू कर दीं।
ये कोशिशें कुछ इस क़दर कामयाब हुईं कि शा’इरी, ग़ज़लों नज़्मों का चेहरा इख़्तियार करके ‘अबके बारिश तो सिर्फ़ पानी है’ के ज़रिये आप सबके सामने हाज़िर है।
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