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कवयित्री डॉ० माया गोला को 'आयाम सम्मान 2023'

कवयित्री डॉ० माया गोला को 'आयाम सम्मान 2023'

प्रतिरोध की कविता बिना प्रेम के नहीं लिखी जा सकती। लिखी जाएगी तो असर नहीं करेगी। यह स्वीकारोक्ति है समकालीन हिंदी कविता की महत्वपूर्ण युवा हस्ताक्षर माया गोला की।

अल्मोड़ा विश्व विद्यालय में सहायक आचार्य डॉ० माया गोला ने गोरखपुर की विमर्श केन्द्रित संस्था 'आयाम' की विचार श्रृंखला मेरी कविता क्यों सुनें में अपने सवक्तव्य काव्य पाठ के दौरान कहा कि उन्हें प्रेम से प्रेम हो गया है। देह की तलहटी में भौंरे की गुनगुन अगोरती-सुनती चूड़ी बिंदी मार्का कवयित्रियों से अलग हैं माया की प्रेम कविताएँ, जो कबीर के काव्य-करघे पर बुनी गयी हैं, जिसके ताने-बाने में कभी प्रेम प्रतिरोध बन जाता है तो कभी प्रतिरोध प्रेम।

विगत बाइस जनवरी का ज़िक्र किये बग़ैर माया गम्भीर इशारा करती हैं :
'मैं चाहती हूँ अवतार के रूप में जन्म लें प्रेम के देवता'

पिछली 25 फरवरी की दोपहर गोरखपुर में जो घूप खिली थी, उसमें माया की सरगर्म कविताओं की कुनमुनाहट महसूस की गई। अवसर था 'आयाम सम्मान 2023' के आयोजन का। साहित्य के लिए समर्पित यह दूसरा आयाम सम्मान माया गोला को अर्पित किया गया।

अपने विशिष्ट आत्म वक्तव्य में अपनी बातों को अपनी ही कविताओं से स्थापित करती जा रही माया के काव्य पाठ का यह अनोखा तरीका उपस्थित श्रोताओं द्वारा रेखांकित किया गया। काल, समकाल, जीवन, प्रेम, समाजिक रिश्ते, यथार्थ, सत्ता, शोषण और संघर्ष की तमाम छवियाँ और बदलाव के इशारे अत्यंत अनौपचारिक तरीके से उनके वक्तव्य मिश्रित काव्य पाठ में आते रहे। यह एक अलग ढंग का काव्य पाठ था, जिसमें उत्तेजना नहीं, ठहरा-ठहरा-सा उत्साह था। जिसमें कविता आत्मीय ढंग से श्रोताओं को रोमांचित कर रही थी। अलग से न वक्तव्य, न कविता, न कवि, न श्रोता। सब एक-दूसरे में शामिल मगर एक-दूसरे से सरोकार महसूस करते हुए।

माया गोला का स्त्री विमर्श पुरुष नहीं बल्कि पितृसत्ता को केन्द्र में रखता है। वे हर तरह के सामाजिक विभाजन और श्रेणियों को आड़े हाथों लेती हैं और कहती हैं कि मैं याद नहीं कर पाती कि मैं स्त्री हूँ। मैं मनुष्य हूँ और कविता की सबसे बड़ी ताकत मनुष्यता को मजबूत करना है। प्रेम और मनुष्यता के बिना जीवन केवल ढोया जा सकता है। जीवन जीने के लिए कोई मूल्य, कोई प्रेरणा आवश्यक है।

माया गोला साहित्य को कला मानती हैं और ज़ाहिर है कला का काम जीवन को सुंदर बनाना है। इस क्रम में वे कबीर के साथ गांधी का ज़िक्र करती हैं और आश्वस्त हैं कि बेशक समय लगेगा मगर स्थितियाँ बदलेंगी।

प्रेम, प्रतिरोध और मनुष्यता की कवियत्री माया गोला को आयाम सम्मान 2023 अर्पित करते हुए गोरखपुर के सुधि काव्य-प्रेमियों ने स्वयं को सम्मानित महसूस किया।

(समाचार प्रस्तुतकर्ता- श्री देवेन्द्र आर्य)

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