Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
अनुभव राज के बाल गीत

मैं ज़िद्दी हूँ तूफानों में
दीप जलाना चाहूँ
पंख हैं कोमल फिर भी नभ में
मैं तो उड़ना चाहूँ
डिगूँ न पथ से मुश्किल को ये
कहते कहते रहना है
मुझको बहना हरदम बहना
बहते बहते रहना है।

चक्रधर शुक्ल की बाल कविताएँ

चक्रधर शुक्ल साहित्य के उत्थान लिए निरंतर क्रियाशील हैं । कानपुर में जितनी भी साहित्यिक गतिविधियाँ होती हैं उनके केन्द्रबिन्दु में आपका होना अनिवार्य है। आप श्रेष्ठ क्षणिकाकार, व्यंगकार होने के साथ ही बाल साहित्य के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए निरंतर प्रयास करते रहते हैं। 

जब जागो, तब सवेरा- प्रियंका गुप्ता

शिक्षा का हर व्यक्ति के जीवन में कितना महत्व है इस को कहानी के माध्यम से बड़ी ही सुंदरता से रचा है सुप्रसिद्ध कहानीकार एवं बाल साहिरीकार प्रियंका गुप्ता। कहानी बेहद दिलचस्प है। एक लड़की, माँ बाप की पिछड़ी सोच के चलते शिक्षा से वंचित कर दिए जाने के पश्चात भी किस प्रकार पढ़ने के रास्ते निकालती है" यह जाने के लिए आप भी पढिए 'जब जागो, तब सवेरा'। 

अंजना बाजपेई की बाल कहानियाँ

एक दिन गर्मी की दोपहर में माँ से नजर बचाकर स्वाति भाई को लेकर खेलने निकल गई। माँ को पता चला तो वहीं पहुँच कर उन्होंने सबके सामने ही दोनों को खूब डाँट लगाई और हाथ पकड़ कर घर ले आई। दूसरे दिन जब स्वाति बच्चों के साथ खेलने गई तो कुछ बच्चे कल की बात पर उसका मजाक उड़ाने लगे, तब स्वाति को बहुत बुरा लगा। उसे लगा कि सचमुच उसकी माँ हर बात पर डाँटती रहती है।