Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
गोलेंद्र पटेल की कविताएँ

मुझे कुएँ और धुएँ के बीच सिर्फ़ धूल समझा जाता है
पर मैं बेहया का फूल हूँ
देवी-देवता मुझे हालात का मारा और वक्त का हारा कहते हैं
मैं दक्खिन टोले का आदमी हूँ

प्यारचंद शर्मा 'साथी' की कविताएँ

प्रकृति और जीवन को अपनी अनुभवी नज़रों से देखतीं रचनाकार की ये कविताएँ बहुत सामान्य शब्दों और बिम्बों में गहन दर्शन समाहीत किये हुए हैं। यहाँ पेड़, नदी, दोपहर, मील का पत्थर आदि प्रतीक भर नहीं, बल्कि नायक बनकर उभरते हैं।

डॉ. निर्मल प्रवाल की कविताएँ

फ़रिश्ते कभी पर लगाकर
आसमान से नहीं उतरते
वो छिपे रहते हैं आस-पास ही
वो जानते हैं
कब प्रकट होना है
कब रहना है अदृश्य

मनराज मीणा की कविताएँ

युवा कवि मनराज मीणा की कविताएँ प्रेम की बड़ी सुंदर व्याख्या करती हैं। प्रेम की विराट दृष्टि इन्हें समस्त सृष्टि से जोड़ती हुई प्रतीत होती है। समाज और उससे जुड़े सरोकार भी इनकी कविताओं में बिना किसी प्रयास के सम्मिलित होते हैं। कम अवस्था में मनराज की कविताओं की परिपक्वता ध्यान आकृष्ट करती हैं।