Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
अनिता रश्मि की कविताएँ

पृथ्वी के दिए गए अवदानों को कैसे
हमने लूट-खसोट की वजह बना ली
हमने जी भर लूटा
अब कैसे बदला लिया प्रकृति ने हमसे
लेती हुई करवटें, कँपकँपाती हुई हमें
दोष कितना धरा का, कितना हमारा

अनीता अनुश्री की कविताएँ

आँखों के रस्ते दिल तक
पहुँचने के बाद
बह निकलती है
आँखों से ही
तुम्हारी तस्वीर