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मुफ्त मिले जो खाने को, जाए कौन कमाने को- डॉ० सुरेश अवस्थी

देश के जाने माने व्यंगकार डॉ० सुरेश अवस्थी द्वारा लिखित आजकल के दौर के उन परिवारों के विषय में व्यंग आलेख पढ़िए। जिसमें पूरा परिवार सरकारी योजनाओं का भरपूर लाभ उठाकर किस प्रकार सुख सुविधाएँ जुटा लेते हैं। 

हालात क़ाबू में हैं- डॉ० मुकेश गर्ग

पत्रकारों ने जैसे ही फोटो खींचने को कहा, मंत्री जी ने रुकने को कहा। दो चार लाशें रैंडम सिलेक्शन मेथड से चिन्हित कर एक तरफ़ पटक दी गई हैं, इन लाशों को क्लेम करने वाले परिजनों को भी बुला लिया है। कुछ लाशों पर अभी किसी ने क्लेम नहीं किया, उन्हें सीन से हटा दिया गया है।

डॉ० मोहम्मद युनूस बट के उर्दू व्यंग्य आलेख का अनुवाद - डॉ० अख़्तर अली

एैलीज़बैत टेलर की फिल्मे हिट होतो जा रही थीं और शादियाँ फ्लॉप। फिल्मों में वह इतनी व्यस्त रहती थी कि हनीमून पर जाने के लिये भी समय नहीं निकाल पाती थी, कुछ पतियों को तो उसने यह कहते हुए अकेले ही हनीमून पर भेज दिया कि फ़िलहाल तुम तो हो आओ मैं फिर कभी चली जाऊँगी।

श्यामसुंदर निगम की व्यंग्य कविता

ग़रीब को धकियाता ग़रीब
अमीर से ऐंठता अमीर
ग़रीब से बिदकता अमीर
बचाने में लगा हर कोई
अपना-अपना मरा ज़मीर