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मुफ्त मिले जो खाने को, जाए कौन कमाने को- डॉ० सुरेश अवस्थी

मुफ्त मिले जो खाने को, जाए कौन कमाने को- डॉ० सुरेश अवस्थी

देश के जाने माने व्यंगकार डॉ० सुरेश अवस्थी द्वारा लिखित आजकल के दौर के उन परिवारों के विषय में व्यंग आलेख पढ़िए। जिसमें पूरा परिवार सरकारी योजनाओं का भरपूर लाभ उठाकर किस प्रकार सुख सुविधाएँ जुटा लेते हैं। 

विद्यालय में शिष्यगणों द्वारा अचानक 'अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम, दास मलूका।..' कविता का अर्थ पूंछने पर गुरुदेव पहले आश्चर्यचकित हुए, फिर प्रश्नवाचक बने और फिर दायित्वबोध से भर गए। उन्होंने शिष्यों से बिना कोई प्रश्न किए इसका विस्तृत अर्थ समझाने का मन बना लिया। थोड़ी देर सोचा फिर बोले, 'प्रिय शिष्यो, इस कविता का अर्थ समझाने के लिए मैं आप लोगों को वर्तमान परिप्रेक्ष्य से जुड़ी एक छोटी सी सच्ची कथा सुनाता हूँ।'
कथा की बात सुनते हुए शिष्य सावधान हो गए। गुरुदेव नें कथा शुरू की, 'इसी शहर के एक स्कूल के मैदान पर कब्ज़ा करके बनी कथित मलिन बस्ती में एक पक्के घर के सामने बुज़ुर्ग सज्जन अकेले बैठे सुस्ता रहे थे। किसी वाह्य प्रदेश से एक रिश्तेदार मिलने आये तो उनके बीच वार्ता शुरू हुई।'
'दद्दू अकेले बैठे हैं ? बाकी सब लोग नहीं दिख रहे ?' रिश्तेदार नें पूछा तो बुजुर्गवार बोले, 'अभी घर में कोई नहीं है क्योंकि बड़ा वाला बेटा बेरोज़गारी भत्ता लेने गया है। सरकार लैपटॉप दे रही है सो, छोटा वाला उसे लेने गया है। बहू जननी सुरक्षा योजना का लाभ लेने को निकली है। लड़कियों को साइकिलें मुफ़्त में मिल रही हैं, इसलिए बिटिया उसे लेने गई है। मैं वृद्धावस्था पेंशन ले आया हूँ सो आज तुम्हारी चाची लेने गयी हैं।' रिश्तेदार ने नया सवाल किया, 'घर के छोटे बच्चे भी नहीं हैं।' बुजुर्ग ने उन्हें ध्यान से देखा और फिर बोले, 'बच्चे स्कूल गए हैं। वैसे रोज़ मिड-डे मील खाकर घर आ जाते हैं परन्तु आज शाम तक आएँगे क्योंकि उन्हें आज मुफ्त में पुस्तकें व यूनीफॉर्म जो मिलनी हैं।'
रिश्तेदार जी कुछ सोचने लगे फिर बात आगे बढ़ाई, 'दद्दू बधाई हो घर तो अच्छा बना लिया है। यह ज़मीन तो बहुत महँगी मिली होगी ?' बुजुर्ग के चेहरे पर मुस्कान तैर गयी। बोले, 'महँगी? मुफ़्त में मिली है भाई। स्कूल का मैदान है, हम लोगों नें मलिन बस्ती बसा दी। पिछले चुनाव में एक नेता जी ने सभी के नाम आवंटित करा कर राशन कार्ड बनवा दिए हमारे नाम मतदाता सूची में जुड़ गए।' रिश्तेदार की जिज्ञासा बढ़ी तो पूछा, 'पर मकान बनाने में तो काफी पैसा ख़र्च हुआ होगा।' बुजुर्ग नें जवाब दिया, 'हुआ तो है पर अपने पास कहाँ था ? सरकार ने बैंक में जन धन खाते खुलवाए। उनमें कुछ न कुछ सरकारी पैसा आ जाता हैं बैंक से थोड़ा क़र्ज़ लेकर मकान बना लिया। सुना है इस बार आने वाली सरकार सभी के क़र्ज़ माफ़ करेगी। फिर तो बल्ले-बल्ले।'
रिश्तेदार ने पूछा, 'पर दद्दू यह बिजली, पानी ?' बुजुर्गवार ज़ोर से हँसे फिर बोले, 'भैया बिजली तो कटिया से चल रही है।आगे 300 वाट मुफ़्त मिलेगी तो कटिया हटा देंगे और बिजली का मीटर बडके लड़के के नाम लगवा देंगे। 300 वाट बिजली उसमें मिलेगी तो जो अगली गली में रह रहे दोस्त के ई रिक्शा चार्ज करने के काम आएगी। बात हो गयी वह इसके बदले में कुछ ख़र्च पानी देगा। भैया जी हम ही नहीं शहर में कई ऐसे मोहल्ले हैं जहाँ कटियाबाजी से रोशनी होती है और पानी के लिए सरकारी नल हैं जिनसे पाइप जोड़ लिया है।'
अब रिश्तेदार के चौंकने की बारी थी। इसके पहले वह कोई सवाल करे बुजुर्गवार ही सवाल कर बैठे, 'सुना है कि इस चुनाव में कोई मुफ़्त में मोबाइल तो कोई स्कूटी, कोई ग़रीबों के बच्चों को पाँच-पाँच हजार व महिलाओं को एक हज़ार रुपए देने और कोई क़र्ज़ माफ़ करने का वादा कर रहा है। काश, ऐसा हो जाए तो ...... ।' रिश्तेदार जी ने उन्हें समझाया, 'पर ये वादे अलग-अलग पार्टियों ने किए हैं। कोई एक पार्टी ही तो सरकार बनाएगी। इसका मतलब इनमें से कोई एक लाभ ही मिल सकेगा।' बुजुर्ग जी नें तुरन्त सवाल किया, 'क्या कोई ऐसी पार्टी नहीं है जो ये सभी लाभ देने का वादा कर रही हो ? या ऐसा नहीं हो सकता कि थोड़े-थोड़े समय के लिए सभी पार्टियों को सरकार बनाने का मौक़ा मिले?'
कथा कह कर गुरुदेव ख़ामोश हो गए। शिष्य भी थोड़ी देर ख़ामोश रहे फिर एक शिष्य बोला, 'गुरुदेव उस कविता का अर्थ अच्छी तरह से समझ में आ गया। इसका अर्थ यही हुआ न कि ...... '
घर बैठ मिले जो खाने को।
तो जाए कौन कमाने को।
न कोई झोल, न कोई भ्रम।
मुफ़्त मिले, क्यों कर श्रम।
पड़े-पड़े, सरकार खिलाए।
मूरख है, जो पसीना बहाए।

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रचनाकार परिचय

सुरेश अवस्थी

ईमेल : drsureshawasthi@gmail.com

निवास : कानपुर (उत्तर प्रदेश)

नाम- डॉ सुरेश अवस्थी
जन्मस्थान- ग्राम कहिंजरी, कानपुर देहात
जन्मतिथि- 15 फरवरी, 1953
शिक्षा- एमए, बीएड, पीएचडी (हिंदी साहित्य) छत्रपति शाहू जी महाराज विवि कानपुर से 
सम्प्रति- निवर्तमान विभागाध्यक्ष (हिंदी), गुरु नानक कालेज, कानपुर 
सम्बद्ध- दैनिक जागरण , कानपुर में 26 वर्षों से शिक्षा की मानक  पत्रकारिता
प्रकाशित कृतियाँ
    1. आँधी, बरगद और लोग (कविता संग्रह)
    2. शीतयुद्ध (कथा संग्रह)
    3. चप्पा चप्पा चरखा चले (पद्य व्यंग्य संग्रह)
    4. सब कुछ दिखता है (गद्य व्यंग्य संग्रह)
   5. नो टेंशन (गद्य व्यंग्य संग्रह)
   6. व्यंग्योपैथी (व्यंग्य संग्रह)
   7.कैंची और आलपिन (पद्य व्यंग्य संग्रह)
  8. दशानन का हलफनामा (गद्य व्यंग्य संग्रह)
9. भीतर घाम, बाहर छांव (कृतियों की भाव समीक्षा व साक्षात्कार)
10. मैं गंगा बोल रही हूँ (लंबी कविता)
11. आईने रूठे हुए (गद्य व्यंग्य संग्रह)
12.साधना के स्वर, सिद्धांतों के निकष (शोध प्रबंध)
13. हास्य व्यंग्य सरताज : डॉ सुरेश अवस्थी 
14. कठघरे में खड़े जंगल का बयान (काव्य संकलन)
15. शीत युध्द व अन्य कहानियाँ (कहानी संग्रह)
अन्य प्रकाशन
 - दैनिक जागरण में साप्ताहिक व्यंग्य "शहरनामा" का 25 वर्ष तक निरन्तर लेखन
- डेढ़ दर्जन से अधिक रचनाकारों की पुस्तकों की भूमिका लेखन
- देश के लगभग सभी हिंदी पत्र पत्रिकाओं में कहानी/ कविता/ साक्षात्कार/ समीक्षा/ यात्रा संस्मरण/ आलेख व व्यंग्य रचनाओं का निरन्तर प्रकाशन।
विशेषांक- आपकी रचनाधर्मिता पर केंद्रित 'ट्रू मीडिया' व 'गीत गुंजन' पत्रिकाओं के विशेषांक प्रकाशित।
प्रकाशनाधीन
 दोहा संग्रह, कहानी संग्रह, यात्रा संस्मरण, कविता संग्रह, बाल कथा संग्रह, निबन्ध संग्रह व ग़ज़ल संग्रह 
 
दूरदर्शन में लेखन
डीडी-1 व डीडी-2 पर प्रसारित 18 धारावाहिकों की कथा/पटकथा/ शीर्षक गीत/ संवाद 
ऑडियो सीडी-
0 व्यंग्य विटामिन
0 हंसी खुशी डॉट कॉम
रंगमंच पर- रामलीला व नाटकों में विभिन्न पात्रों का अभिनय 
विशिष्ट सम्मान-
देश में
 0 हिंदी शिक्षण व साहित्य प्रसार के लिए राष्ट्रपति सम्मान 2008 
0 काका हाथरसी स्मृति हास्य व्यंग्य सम्मान, माध्यम संस्था अट्टाहास सम्मान, लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान, विक्रमादित्य सम्मान (मध्य प्रदेश सरकार),टेपा सम्मान (उज्जैन), कानपुर रत्न व कानपुर गौरव सम्मान, उज्जैन नगर पालिका निगम द्वारा श्रीकृष्ण सरल सम्मान,अखिल भारतीय बागीश्वरी साहित्य परिषद, लखनऊ का बागीशवरी सम्मान,अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्क्रति समिति दिल्ली द्वारा,काव्य कलश नव ज्योति सम्मान, जयपुर, पंडित तिलकराज शर्मा स्मृति साहित्य रत्न सृजन सम्मान दिल्ली, विष्णु प्रभाकर स्मृति सृजन सम्मान बरेली, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा श्री गोपाल सिंह नेपाली सम्मान, पटना, पद्मविभूषण गोपालदास नीरज स्मृति सम्मान पटना सहित अलग अलग समारोहों में 
-14 महामहिम राज्यपालों द्वारा सम्मान/ सानिध्य। कुल दो सौ से अधिक सम्मान।
विदेश में
0 उच्चायुक्त लन्दन में दो बार सम्मान
इंग्लैंड में: 
0 उच्चायोग की ओर दो बार संम्मान 
0 यूके हिंदी समिति, इंग्लैंड  द्वारा  सम्मान
अमेरिका में- आर्य समाज, प्रवासी भारतीय संघ, अखिल विश्व हिंदी समिति, इंटरनेशनल हिंदी एशोसिएशन, उत्तरी अमेरिका सहित अन्य संस्थाओं द्वारा सम्मान। 
कनाडा में- हिंदी साहित्य सभा टोरेंटो, हिन्दू कल्चरल सोसायटी कैम्ब्रिज व अखिल विश्व हिंदी समिति सहित अन्य एक दर्जन संस्थाओं द्वारा सम्मान।
काव्यपाठ- हिंदी भाषा प्रसार
विदेश में
 - अमेरिका (4 बार : 30 से अधिक शहरों में), इंग्लैंड (दो बार : डेढ़ दर्जन शहरों में), कनाडा (चार बार : 8 शहरों में), दुबई (6 बार), इंडोनेशिया, मलेशिया, बहरीन, नायजीरिया, मस्कट, मॉरीशस, बैंकाक, केन्या ,आबूधाबी, ककेन्यासहित डेढ़ दर्जन से अधिक देशों की कई कई बार काव्य यात्राएं।
देश में
विभिन्न संस्थाओं द्वारा आयोजित देश के तमाम शहरों के कवि सम्मेलनों/ मुशायरों में निरन्तर काव्यपाठ, संयोजन व संचालन
- लाल किला के रास्ट्रीय कवि सम्मेलन में दो बार काव्यपाठ
- संसद भवन में भारतरत्न अटल विहारी बाजपेयी जी की स्मृति में आयोजित कवि सम्मेलन में काव्यपाठ।
- आकाशवाणी व टीवी चैनल्स दर्जनों बार काव्यपाठ, वाह वाह क्या बात धारावाहिक में सम्मान।
- दैनिक जागरण द्वारा बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, एनसीआर, उत्तराखण्ड व उड़ीसा के शहरों में तथा नई दुनिया समाचार पत्र द्वारा मध्य प्रदेश व छतीसगढ़ में हर हर साल  आयोजित होने वाले लगभग 150 कवि सम्मेलनों का विगत कई सालों से संयोजन, इनमें से तमाम का संचालन व काव्यपाठ।
मानद सदस्य-
0 केंद्रीय फ़िल्म प्रमाणन बोर्ड , सूचना प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार की सलाहकार समिति में दो बार।
0 माध्यमिक शिक्षा परिषद, उप्र की इंटर हिंदी पाठ्यक्रम समिति में दो बार
विश्व हिंदी सम्मेलनों में भागीदारी-
0 विश्व हिंदी सम्मेलन, भोपाल : 2015
0 विश्व हिंदी सम्मेलन मॉरीशस : 2018
0 विश्व हिंदी दिवस समारोह, दुबई : 2019
0 विश्व हिंदी दिवस समारोह, दुबई - 2020
0 बिहार हिंदी सम्मेलन - 2018
संपादन- मानस मंच पत्रिका के 36 अंकों का संपादन।
सम्पर्क-
117 एल, 233 नवीन नगर , कानपुर .208026 ( उप्र,)
मोबाइल- 9336123032 / 9532834750 / 7905308794