Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी- गोपाल खन्ना

बाबू के सर से रक्त की धार बह चली होगी। बाबू के हाथ से चाय की केतली छूट कर गिर गई होगी, गर्म चाय और अपने रक्त के ऊपर बाबू निढाल पड़े खुली आँखों से इस बेरहम दुनिया को अलविदा कह रहे होंगे। केतली से गिरी चाय ने खून की लालिमा को कुछ सफेद कर दिया होगा।

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल- केशुभाई देसाई

डायरी में एक-एक शब्द आँसू की स्याही से लिखा गया था इसलिए जिस किसी ने भी पढ़ी, वह गांधी जी के परम प्रिय नाती के साथ हुए अमानवीय दुर्व्यवहार की हृदय विदारक कथा से व्यथित होकर सन्न रह गया। गांधीनगर में मेरे पड़ोस में रहने वाले बुजुर्ग नेता माधवसिंह सोलंकी ने वह किताब समीक्षा करने के लिए मुझे भेजी। तब तक मैं हमीद कुरेशी से व्यक्तिगत तौर पर मिला नहीं था।

ख़राब बॉस- हर्षा श्री

बड़ा ही मनोरंजक एवं स्मरणीय संस्मरण 

माँ ने कहा था- श्यामल बिहारी महतो

स्कूल के हिंदी शिक्षक और हेडमास्टर शिवदत्त शर्मा के हाथ में पहली बार देखा था निर्मला को। वह कई दिनों से उसे लेकर क्लास में आ रहे थे और और मैं बड़ी ललचाई नज़रों से उसे देखा करता था। पढ़ाते वक़्त एक दिन हेड सर ने मेरी चोरी पकड़ ली। तब मेरा ध्यान पढ़ाई की जगह 'निर्मला' पर था। वह अनुशासन के बहुत पक्के थे। उन्होंने हाथ से खड़े होने का इशारा किये। बोले- "क्लास के बाद ऑफिस में आकर मिलो!" मेरी तो सिटी-पिटी गुम।