Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
कंचन अपराजिता की क्षणिकाएँ

कई रिश्ते
पारे जैसे होते हैं 
बिखर गये
फिर कहाँ सिमटे
बिछड़ गये!

शैलेष गुप्त 'वीर' की क्षणिकाएँ

शैलेष गुप्त 'वीर' लब्ध प्रतिष्ठ क्षणिकाकार हैं। आपने हिन्दी साहित्य में बड़ा काम किया है। हिन्दी भाषा के संवर्धन हेतु आप निरंतर प्रयत्नशील हैं। आपकी रचनाओं का कई भाषाओं में अनुवाद भी होता रहता है। 

विनीत मोहन औदिच्य की क्षणिकाएँ

धर्म की तुला में संरक्षित 
नित्य प्रति दिन
आक्टोपस सा 
चारों ओर विस्तार पाता 
जनसंख्या का घनत्व
मुँह चिढ़ा रहा है
विकास को 

महिमा श्रीवास्तव वर्मा की क्षणिकाएँ

तुमने चुरा कर दिया था 
एक टुकड़ा 
फूल-सी ज़िंदगी का
वरना हमने तो 
अब तक 
काँटो भरी 
ज़िंदगी को ही जिया था