Ira
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कंचन अपराजिता की क्षणिकाएँ

कंचन अपराजिता की क्षणिकाएँ

कई रिश्ते
पारे जैसे होते हैं 
बिखर गये
फिर कहाँ सिमटे
बिछड़ गये!

मध्य में प्रेम रख
दुआओं का एक चक्र
खींच दिया है मैंने,
इससे बढ़कर 
प्रेम का
प्रेम के लिए
प्रेममय उपहार क्या होगा!
 


स्त्रियाँ 
चंद पल पुरूष के साथ 
चल लेती है,
फिर मीलों 
अकेले ही चलती है,
हमराज होना 
विवाह की शर्त नहीं होती!



पार्क के मध्य की घड़ी 
बेचैनी में
द्रुत गति से
और मन शांत हो
तो धीमी गति से
सरकती है
यह वक़्त नही सरकता
भावनाएँ सरकती हैं!
 


कई रिश्ते
पारे जैसे होते हैं 
बिखर गये
फिर कहाँ सिमटे
बिछड़ गये!
 


शब्दों के मेले में भी जाकर
कुछ उद्गार रह गये,
क्योंकि
उन्हे अभिव्यक्त होना ही नही था,
वे बीज थे!
 
 


शॅटल कॉक की तरह
पड़ती रही
वक़्त की मार,
कभी सुख की बहार
कभी दुख का अम्बार!

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रचनाकार परिचय

कंचन अपराजिता

ईमेल : kanchan.aprajita@gmail.com

निवास : बोकारो(झारखण्ड)

जन्मतिथि- 03 मई
जन्मस्थान- राँची 
शिक्षा- रसायनशास्त्र में बी. एससी. (प्रतिष्ठा) तथा राँची यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में स्नातक।
लेखन विधा- हाइकु, क्षणिका, लघुकथा एवं अन्य विधा।
प्रकाशन- केसर (क्षणिका संग्रह) बोधि प्रकाशन से 2021 में।
संप्रति- लेखन , शब्द चितेरे' हाइकु ई पत्रिका (मासिक) तथा कचनार प्रेम क्षणिकाएँ (मासिक) ई-पत्रिका का संपादन।
सम्पर्क- क्यूआर नम्बर- 7139, सेक्टर- 4 एफ, बोकारो स्टील सिटी, झारखण्ड- 827004
मोबाइल-9007819016