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इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
आपदाओं व आशंकाओं से आगाह करता उपन्यास : पानी-पानी- कुलदीप सिंह भाटी

मेरी नज़र में यह उपन्यास एक आँख से गिरते भू-जल स्तर और दूसरी आँख से हमारे गिरते मानवीय गुणों को देखता है। यह उपन्यास पानी के लिए होने वाले संघर्षों, बिन पानी के लोगों के दूभर जीवन की स्याह तस्वीर हमारे समक्ष रखता है।

आधुनिक संस्कृत समीक्षा का नया स्वर- डॉ० कौशल तिवारी

प्रस्तुत ग्रन्थ में अर्वाचीन संस्कृत साहित्य पर समय-समय पर डॉ० अरुण कुमार निषाद द्वारा लिखित 25 आलेखों का संकलन करके एक साथ प्रकाशित करवाया जा रहा है, जो निश्चित ही प्रशंसनीय है।

काव्यात्मकता के साथ संचित अनुभव व अनुभूतियाँ : कुछ सुना, अनसुना-सा- डॉ० सुरेश अवस्थी

पुस्तक- कुछ सुना, अनसुना-सा
रचनाकार- डॉ० कामायनी शर्मा
विधा- कविता
प्रकाशन- इरा पब्लिशर्स, कानपुर

यथार्थ बोध की स्वाभाविक निर्मिति है : पीठ पर टिका घर- रमेश प्रसून

लेखिका ने अपनी इन लघुकथाओं में अति विद्वतापूर्ण, अतिरंजित व्यन्जनाओं और अनावश्यक काल्पनिक उद्भावनाओं से बचकर अपनी बातें अति सहज और सरल तरीके से कह दी हैं। पीठ पर टिका घर एक पारिवारिक एवं सामाजिक रूपताओं और विद्रूपताओं के सत्य को उद्घाटित करने वाला 'कथा-गुच्छ' है, जो सहज पठनीय एवं अति प्रशंसनीय है।