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काव्यात्मकता के साथ संचित अनुभव व अनुभूतियाँ : कुछ सुना, अनसुना-सा- डॉ० सुरेश अवस्थी

काव्यात्मकता के साथ संचित अनुभव व अनुभूतियाँ : कुछ सुना, अनसुना-सा- डॉ० सुरेश अवस्थी

पुस्तक- कुछ सुना, अनसुना-सा
रचनाकार- डॉ० कामायनी शर्मा
विधा- कविता
प्रकाशन- इरा पब्लिशर्स, कानपुर

कुछ सुना, अनसुना-सा इस वाक्य में निहित सन्दर्भ मुझे लगता है, हर व्यक्ति के साथ यात्रा करता है पर यहाँ इस वाक्य का सन्दर्भ सुना-अनसुना की मूल प्रवत्ति से नहीं बल्कि  के काव्य संग्रह 'कुछ सुना, अनसुना-सा' का है। छंदमुक्त कविताओं के इस संग्रह में कामायनी शर्मा के विस्तृत अनुभव व अनुभूतियाँ काव्यात्मकता के साथ संचित हैं।

मैं समझता हूँ कि किसी भी काव्य सर्जक की काव्य सर्जना की फसल उसके अनुभव संसार की विशालता, अनुभूतियों की गहनता, भाषा पर अधिकार और काव्य शैली में निपुणता के स्तर से अभिसिंचित भूमि पर उगती है और रसज्ञ पाठकों के दिल-दिमाग़ को अभिसिंचित करती है। कामायनी जी एक शिक्षिका और ज़िम्मेदार गृहिणी हैं इसलिए उनका अनुभव संसार बहुत विस्तृत और अनुभूतियाँ बहुत ही गहन हैं। उन्होंने कविता की छंद विधा से इतर छंदमुक्त कविता को चुना है, जिसमें उनके अनुभवों व गहन अनुभूतियों का विस्तृत संसार बहुत ही विस्तृत रूप से समाहित हुआ है। उन्होंने भक्ति, प्रेम, उत्साह, वात्सल्य, स्त्री विमर्श, प्रगति, सामाजिक संरचना, पर्यावरण, दर्शन, राष्ट्र चेतना के साथ-साथ कोरोना त्रासदी आदि को अपनी कविताओं का विषय बनाया और गुरुतर संवेदना के साथ काव्य सृजन किया है। विषयानुकूल भाषा का संतुलित व आडम्बरविहीन प्रयोग उनकी मौलिकता को बल देता है। इसीलिए उनकी कविताएँ पाठकों को आनन्दित करने के साथ-साथ वैचारिक यात्रा कराने में भी समर्थ हैं। 'निराशा से आशा की ओर', 'कोंपलें', 'चेहरे पर चेहरा', 'ये गंवई फूल', 'बेटी', 'बात रिश्तों की', 'बसन्त आता तो है' शीर्षक सहित तमाम कविताएँ इसकी पुख्ता गवाह हैं। उदाहरण के लिए विभिन्न कविताओं के कुछ अंश द्रष्टव्य हैं-

मेरे मन में
कभी-कभी
एक बियाबान जंगल उग आता है
और उस जंगल में
अपने को तलाशती हूँ

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न पाओगे उजाला
धरा पर कहीं भी जो
मन में अँधेरा
बसा के रखा है

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आज का ये दौर
भूत होता जाएगा
न किये कुछ कर्म तो
यूँ ही सब खो जाएगा

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मत सोच क्या उम्र है
मत सोच क्या लोग हैं
चार बातें जो कहे
कहने दो बस कहने दो
तेरे मन का उजाला ही
इस लोक का उजियारा है

कोरोना काल में जब उत्सवधर्मिता जड़ हो गयी थी और मन अवसाद की गिरफ्त में थे तब कवयित्री ने 'एक नदी लॉकडाउन में', 'छोड़ो रोना', 'होश न खोना', 'मन का दीपक' शीर्षक जैसी कई कविताएँ रचकर हौंसलों को नई उड़ान दी-

बहुत तुमने है जग को जाना
अब थोड़ा अपने को जानो

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हर रात के बाद
आए सवेरा
यह बात हमेशा
मन में रखना
छोड़ो रोना, होश न खोना
मानव हो, मानव ही रहना

मेरी निजी मान्यता है कि मानव जीवन से जुड़े कला, साहित्य, शिक्षा, संस्कृति अथवा कोई और भी क्षेत्र हो, हर कहीं सृजनात्मकता को सम्मान मिलता है। जीवन को नूतन गति प्रदान करने के लिए जिस नवाचार का विशेष महत्व है, उसकी नींव में भी सृजनात्मकता विद्यमान है। जहाँ तक साहित्य का अभिनव व विस्तृत क्षेत्र है, वहाँ नित नूतन सृजन ही उसकी प्राणवायु है। डॉ० कामायनी शर्मा की रचनात्मकता भी इसी की एक कड़ी है। शिक्षिका होने के नाते उनका अनुभव संसार विस्तृत और संवेदना गहन है। नव्यतम पीढ़ी से नित संवाद करते रहने के कारण उनकी भाषा काफी पुष्ट है और कविताओं की विषय-वस्तु मानवीय मूल्यों से सन्नद्ध हैं।

हिंदी काव्य साहित्य के शास्त्रियों की मानें तो कविता की संक्षिप्त परिभाषा 'रसात्मक वाक्यम् काव्यम' से पूर्ण हो जाती है। अर्थात पाठक अथवा श्रोता को जो रस की अनुभूति कराए वो कविता है। शायद इसीलिए काव्यशास्त्र में नौ रसों का विधान किया गया है। रसों में भी शृंगार रस को रसराज कहा गया। हिन्दी काव्य साहित्य का इतिहास साक्षी है कि सम्पूर्ण काव्यनिधि में श्रृंगारिकता काव्य की एक बड़ी पूंजी संचित है। संग्रह में 'तुम और मैं', 'कहाँ पाऊँ उसे', 'प्रेम तेरे रूप अनेक', 'नीड़', 'कभी कुछ जो मन को छू गया' शीर्षक रचनाएँ सात्विक प्रेम की प्रतीक हैं तो 'शिवानी के शिव', 'हे कृष्ण' और 'नयन से नयन तक' आध्यात्मिक चेतना से लबरेज हैं।

मेरा विश्वास है कि डॉ० कामायनी शर्मा के इस काव्य संग्रह को आलोचक चाहे जिस दृष्टि से जाँचे-परखे, पर संवेदनशील पाठकों की काव्य पिपासा को तृप्ति देने वाला होगा। उन्होंने भले ही छंदमुक्त विधा में अपनी अनुभूतियों को पिरोया हो पर जो भी कहा है, पूरी चेतना और संवेदना से कहा है। आशा है कि उनके इस काव्य संग्रह को सुधी पाठकों का भरपूर प्यार-दुलार व सम्मान मिलेगा। उनकी रचनाधर्मिता निरन्तर जारी रहे। अशेष शुभकामनाएँ।


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रचनाकार परिचय

सुरेश अवस्थी

ईमेल : drsureshawasthi@gmail.com

निवास : कानपुर (उत्तर प्रदेश)

नाम- डॉ सुरेश अवस्थी
जन्मस्थान- ग्राम कहिंजरी, कानपुर देहात
जन्मतिथि- 15 फरवरी, 1953
शिक्षा- एमए, बीएड, पीएचडी (हिंदी साहित्य) छत्रपति शाहू जी महाराज विवि कानपुर से 
सम्प्रति- निवर्तमान विभागाध्यक्ष (हिंदी), गुरु नानक कालेज, कानपुर 
सम्बद्ध- दैनिक जागरण , कानपुर में 26 वर्षों से शिक्षा की मानक  पत्रकारिता
प्रकाशित कृतियाँ
    1. आँधी, बरगद और लोग (कविता संग्रह)
    2. शीतयुद्ध (कथा संग्रह)
    3. चप्पा चप्पा चरखा चले (पद्य व्यंग्य संग्रह)
    4. सब कुछ दिखता है (गद्य व्यंग्य संग्रह)
   5. नो टेंशन (गद्य व्यंग्य संग्रह)
   6. व्यंग्योपैथी (व्यंग्य संग्रह)
   7.कैंची और आलपिन (पद्य व्यंग्य संग्रह)
  8. दशानन का हलफनामा (गद्य व्यंग्य संग्रह)
9. भीतर घाम, बाहर छांव (कृतियों की भाव समीक्षा व साक्षात्कार)
10. मैं गंगा बोल रही हूँ (लंबी कविता)
11. आईने रूठे हुए (गद्य व्यंग्य संग्रह)
12.साधना के स्वर, सिद्धांतों के निकष (शोध प्रबंध)
13. हास्य व्यंग्य सरताज : डॉ सुरेश अवस्थी 
14. कठघरे में खड़े जंगल का बयान (काव्य संकलन)
15. शीत युध्द व अन्य कहानियाँ (कहानी संग्रह)
अन्य प्रकाशन
 - दैनिक जागरण में साप्ताहिक व्यंग्य "शहरनामा" का 25 वर्ष तक निरन्तर लेखन
- डेढ़ दर्जन से अधिक रचनाकारों की पुस्तकों की भूमिका लेखन
- देश के लगभग सभी हिंदी पत्र पत्रिकाओं में कहानी/ कविता/ साक्षात्कार/ समीक्षा/ यात्रा संस्मरण/ आलेख व व्यंग्य रचनाओं का निरन्तर प्रकाशन।
विशेषांक- आपकी रचनाधर्मिता पर केंद्रित 'ट्रू मीडिया' व 'गीत गुंजन' पत्रिकाओं के विशेषांक प्रकाशित।
प्रकाशनाधीन
 दोहा संग्रह, कहानी संग्रह, यात्रा संस्मरण, कविता संग्रह, बाल कथा संग्रह, निबन्ध संग्रह व ग़ज़ल संग्रह 
 
दूरदर्शन में लेखन
डीडी-1 व डीडी-2 पर प्रसारित 18 धारावाहिकों की कथा/पटकथा/ शीर्षक गीत/ संवाद 
ऑडियो सीडी-
0 व्यंग्य विटामिन
0 हंसी खुशी डॉट कॉम
रंगमंच पर- रामलीला व नाटकों में विभिन्न पात्रों का अभिनय 
विशिष्ट सम्मान-
देश में
 0 हिंदी शिक्षण व साहित्य प्रसार के लिए राष्ट्रपति सम्मान 2008 
0 काका हाथरसी स्मृति हास्य व्यंग्य सम्मान, माध्यम संस्था अट्टाहास सम्मान, लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान, विक्रमादित्य सम्मान (मध्य प्रदेश सरकार),टेपा सम्मान (उज्जैन), कानपुर रत्न व कानपुर गौरव सम्मान, उज्जैन नगर पालिका निगम द्वारा श्रीकृष्ण सरल सम्मान,अखिल भारतीय बागीश्वरी साहित्य परिषद, लखनऊ का बागीशवरी सम्मान,अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्क्रति समिति दिल्ली द्वारा,काव्य कलश नव ज्योति सम्मान, जयपुर, पंडित तिलकराज शर्मा स्मृति साहित्य रत्न सृजन सम्मान दिल्ली, विष्णु प्रभाकर स्मृति सृजन सम्मान बरेली, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा श्री गोपाल सिंह नेपाली सम्मान, पटना, पद्मविभूषण गोपालदास नीरज स्मृति सम्मान पटना सहित अलग अलग समारोहों में 
-14 महामहिम राज्यपालों द्वारा सम्मान/ सानिध्य। कुल दो सौ से अधिक सम्मान।
विदेश में
0 उच्चायुक्त लन्दन में दो बार सम्मान
इंग्लैंड में: 
0 उच्चायोग की ओर दो बार संम्मान 
0 यूके हिंदी समिति, इंग्लैंड  द्वारा  सम्मान
अमेरिका में- आर्य समाज, प्रवासी भारतीय संघ, अखिल विश्व हिंदी समिति, इंटरनेशनल हिंदी एशोसिएशन, उत्तरी अमेरिका सहित अन्य संस्थाओं द्वारा सम्मान। 
कनाडा में- हिंदी साहित्य सभा टोरेंटो, हिन्दू कल्चरल सोसायटी कैम्ब्रिज व अखिल विश्व हिंदी समिति सहित अन्य एक दर्जन संस्थाओं द्वारा सम्मान।
काव्यपाठ- हिंदी भाषा प्रसार
विदेश में
 - अमेरिका (4 बार : 30 से अधिक शहरों में), इंग्लैंड (दो बार : डेढ़ दर्जन शहरों में), कनाडा (चार बार : 8 शहरों में), दुबई (6 बार), इंडोनेशिया, मलेशिया, बहरीन, नायजीरिया, मस्कट, मॉरीशस, बैंकाक, केन्या ,आबूधाबी, ककेन्यासहित डेढ़ दर्जन से अधिक देशों की कई कई बार काव्य यात्राएं।
देश में
विभिन्न संस्थाओं द्वारा आयोजित देश के तमाम शहरों के कवि सम्मेलनों/ मुशायरों में निरन्तर काव्यपाठ, संयोजन व संचालन
- लाल किला के रास्ट्रीय कवि सम्मेलन में दो बार काव्यपाठ
- संसद भवन में भारतरत्न अटल विहारी बाजपेयी जी की स्मृति में आयोजित कवि सम्मेलन में काव्यपाठ।
- आकाशवाणी व टीवी चैनल्स दर्जनों बार काव्यपाठ, वाह वाह क्या बात धारावाहिक में सम्मान।
- दैनिक जागरण द्वारा बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, एनसीआर, उत्तराखण्ड व उड़ीसा के शहरों में तथा नई दुनिया समाचार पत्र द्वारा मध्य प्रदेश व छतीसगढ़ में हर हर साल  आयोजित होने वाले लगभग 150 कवि सम्मेलनों का विगत कई सालों से संयोजन, इनमें से तमाम का संचालन व काव्यपाठ।
मानद सदस्य-
0 केंद्रीय फ़िल्म प्रमाणन बोर्ड , सूचना प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार की सलाहकार समिति में दो बार।
0 माध्यमिक शिक्षा परिषद, उप्र की इंटर हिंदी पाठ्यक्रम समिति में दो बार
विश्व हिंदी सम्मेलनों में भागीदारी-
0 विश्व हिंदी सम्मेलन, भोपाल : 2015
0 विश्व हिंदी सम्मेलन मॉरीशस : 2018
0 विश्व हिंदी दिवस समारोह, दुबई : 2019
0 विश्व हिंदी दिवस समारोह, दुबई - 2020
0 बिहार हिंदी सम्मेलन - 2018
संपादन- मानस मंच पत्रिका के 36 अंकों का संपादन।
सम्पर्क-
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मोबाइल- 9336123032 / 9532834750 / 7905308794