Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
एक आदिम चरवाहा गाँव की दास्तान- शशि काण्डपाल

एक गौरव गाथा,एक पल्लवित समाज और उसके पलायन/ उन्नति की कीमत का निर्मम इतिहास- डॉ गिरिजा किशोर पाठक द्वारा लिखित पुस्तक “एक आदिम चरवाहा गाँव की दास्तान” की समीक्षा। 

'तोल्स्तोय की जीवनी' अनूदित पुस्तक- रामप्रसाद राजभर

दो वर्ष पूर्व हेनरी त्रोयत द्वारा लिखित तोल्स्तोय की जीवनी को पढ़ने का सौभाग्य मिला। लेकिन कैसे?  वह ऐसे कि लगभग पाँच वर्ष के दौरान कथाकार श्री रूपसिंह चन्देल साहब ने इस जीवनी का पुनर्सृजन किया देवनागरी में। छः सौ छप्पन (बावन और छप्पन की संख्या बदनाम हो चली है!) पृष्ठों का पुनर्सृजन करना वह भी स्वेच्छा से तथा अपने मौलिक लेखन के साथ-साथ! आश्चर्य चकित करता है मगर एक अनुशासित जीवनशैली के विकट अनुयायी के लिए यह सहज है।

मानवीय संवेदना एवं जिजीविषा का आईना : मुस्तरी बेगम- डॉ० पंकज साहा

मुस्तरी बेगम शशि कांडपाल जी का पहला कहानी संग्रह है, जिसमें चौदह कहानियाँ हैं। इस संग्रह में लेखिका ने 'अपनी बात' कहने की परंपरा से स्वयं को मुक्त कर लिया है। शायद उन्हें लगता होगा कि अपनी बात तो उनकी कहानियों में ही है या 'बात बोलेगी मैं नहीं' के तर्ज पर उन्होंने सोचा होगा कि जब कहानियाँ बोल ही रही हैं तो अलग से मैं क्या बोलूँ?

श्रुति अग्रवाल के अनूदित हिन्दी उपन्यास 'ज़ोरबा द ग्रीक'- गंगा शरण सिंह

"इस दुनिया में हर चीज के पीछे कोई छिपा हुआ अर्थ है। आदमी, जानवर, पेड़, सितारे सब चित्रलिपि हैं। उनके लिए दुःख होता है जो इनका अर्थ निकालने की कोशिश करते हैं और अनुमान लगाते हैं।"

"मानवीय जीवन की पीड़ा चरम पर आकर समाप्त हो जाती होगी। संगीत, कविता और पवित्र विचार सभी अपना जादू खो देते होंगे। दुनिया के आख़िरी व्यक्ति के लिए एकांत ही सर्वोपरि होगा। हर संगीत मूक और मौन!"