Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
जीवन के कई रंग अपने भीतर समेटे है: जैसे बहुत क़रीब- नेहा कटारा पाण्डेय

अनमोल जी एक सरल स्वभाव व सादगी प्रिय इंसान हैं। वे हमेशा अपने लेखन को सरल व सहज बनाने की बात कहते हैं। जितना सरल आप लिखेंगे उतनी ही आपके लेखन की पहुँच अधिक पाठकों तक हो सकेगी, ऐसा मानना है उनका। वे वर्तमान में हिन्दी ग़ज़ल के युवा ग़ज़लकार व अनमोल‌‌ सितारे हैं। हमेशा अपने शिल्प व कहन‌ के अंदाज़ से‌ हर‌ ग़ज़ल को एक नया मेयार दे रहे अनमोल जी की ग़ज़लों में मित्रता, गाँव की मिट्टी से लगाव, पर्यावरण के प्रति चिंतन, सामाजिक मुद्दों पर विचार, प्रेम, बुज़ुर्गों के‌ प्रति सम्मान, देश-प्रेम जैसे कई रंग मिलते हैं।

हिन्दी भावधारा की अनूठी ग़ज़लों का संग्रह: पतवार तुम्हारी यादें- के० पी० अनमोल

यह पुस्तक हिन्दी शिक्षण संस्थान, जोधपुर से वर्ष 2023 में आयी है। इसे राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर द्वारा आंशिक सहयोग भी प्रदान किया गया है। संग्रह की एक ख़ास बात यह भी है कि अपने पहले संग्रह की तरह महावीर जी ने इसमें भी केवल फ़ेलुन के रुक्नों की बहरों यानी बह्रे-मीर पर आधारित ग़ज़लों को ही सम्मिलित किया है।

बोल जमूरे! बोल के बहाने अपने समय की पड़ताल- डॉ० लवलेश दत्त

पुस्तक में जनक छंद में निबद्ध छोटी-छोटी कविताएँ, जो कहीं कटाक्ष करती हैं, कहीं हमारी व्यवस्था पर प्रहार करती हैं, कहीं गुदगुदाती हैं तो कहीं आँखों को नम भी कर देती हैं।

सादगी के साथ अपने दौर के अनुभवों और भावनाओं का शेरों में बयान: आसमां तू ही बता- अशोक रावत

ऐसे बहुत कम ग़ज़ल संग्रह हाथ में आते हैं जिनको एक बार पढ़ना शुरू करने के बाद उसे पढ़ते जाने का मन करे। मक़सूद अनवर साहब की  ग़ज़लों में खास बात जिसने मुझे प्रभावित किया वह है बड़ी सादगी के साथ उनका अपने दौर के अनुभवों  और भावनाओं को शेरों में बयान करते जाना. शायर शेर में अपने नज़रिये से किसी बात को कहता है लेकिन उसके अर्थ कहाँ  तक जाते हैं इसकी कोई सीमा नहीं है।