Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
लता अग्रवाल 'तुलजा' की कविताएँ

साहित्य
आज चेतन मन का भाव नहीं
महज चमत्कृत शब्दों की
बुनावट बन कर रह गया है

उमेश स्वामी 'यायावर' की कविताएँ

गर्मियों की धूप
सर्दियों की ठंड से लड़ते-लड़ते
वह पेड़ मुस्कुराता है
घने कोहरे में तुम्हारे लिए

सरिता भारत की कविताएँ

करतब करती लड़की
अपनी मिट्टी के गढ़े गए वजूद को लिए
पीठ पर गठरिया बाँधे
इस पार से उस पार
आज भी झूल रही
रस्सी पर

अनुभूति गुप्ता की कविताएँ

आख़िरी पर्ची पर लिखा था
'फ़ैसला'
मैंने स्त्री लिख दिया