Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।

सरिता भारत की कविताएँ

सरिता भारत की कविताएँ

करतब करती लड़की
अपनी मिट्टी के गढ़े गए वजूद को लिए
पीठ पर गठरिया बाँधे
इस पार से उस पार
आज भी झूल रही
रस्सी पर


नटनी के पंख

करतब करती लड़की
पैरो के बल जब चलती है रस्सी पर
कोई नहीं रोक पाता
उसकी उड़ान को
आँखों से टिकटिकी लगाए
एक तीर की भांति
बढ़ाती है कदमताल
कोई नही रोक पाता
उसकी आँखों के स्वप्न को

करतब करती लड़की
अपनी बाँहों को फैलाए
आकाश छूने की चाहत में
पतंग की डोर की भांति
फैला देती है भुजाओं को
बांस की गति के साथ
जोश और जज़्बे के साथ

दलित समाज में पैदा होकर भी
डिगना नहीं सीखा उसने
सीखी है कलाबाज़ियाँ पैदायशी
तेज़-तर्रार आँखों में आशा
और क़दमों में फुर्ती लिए
बिना आत्मरक्षा के गुर सीखे
कितनी आत्मविश्वास से भरी लड़की

करतब करती लड़की
टिकी है रस्सी की डोर पर
इस बात से अनजान
कि कौन कस रहा है उस पर फ़ब्तियाँ
पेट की आग और परिवार की ख़ातिर
लड़की सीख रही पेशागत तमाशे
अबोध-सी लड़की सोचती होगी
कभी जाएगी वह स्कूल
खेलेगी गुड्डे-गुड़ियों से
फिर तनहा ख़ुद को समझाती होगी
कि जो खेल खेलती है वह
नहीं है इतना आसान हर किसी के लिए
यही सब तो उसके खेल हैं
अपनी निगाहों को बाँधे
नहीं कोई संगी-साथी
नर्तक की भांति थिरकती हुई झूलती हुई
कोई बदरंग से गाने के साथ
बढ़ चलती है लक्ष्य को साधे
इस छोर से उस छोर

करतब करती लड़की
अपनी मिट्टी के गढ़े गए वजूद को लिए
पीठ पर गठरिया बाँधे
इस पार से उस पार
आज भी झूल रही
रस्सी पर
अपने ही वजूद के टुकड़े करना
सीख गई होगी
अज्ञानतावश
भूख की आग के समक्ष।

*************


प्रकृति का केनवास

पाट दी जाएँगी जब तमाम
जाति और धर्म की खाइयाँ
जब पृथ्वी, वायु, जल, जंगल, ज़मीन का
समान होगा बंटवारा
तब एक दीप जलेगा

जब ब्रह्माण्ड के
चक्कर लगाकर लौटेगी
एक नई आस लेकर
जब भूख, ग़रीबी और बेचारगी की
हदें टूटेंगी
तब एक दीप जलेगा

पहाड़ का टूटेगा ग़रूर
और झरने बहेंगे सदा
बारिश का पानी जब इतरायेगा
तितली, फूल, कलियाँ महकेंगी
जब मोर झूम के नाचेगा
और पेड़ ठाठ से खड़े रहेंगे
वर्षों पुरानी अपनी जड़ें जमाए
जब लड़कियाँ खिलखिलायेंगी
जब बच्चे उतारेंगे केनवास पर
अपने स्वप्न की उड़ानों को
तब एक दीप जलेगा

वृक्षों पर चिड़िया चहचाएँगी
जब किताबों की होगी दस्तक
हर एक झोपड़ पट्टी में
जब स्त्रियाँ कर लेंगी
सूरज को मुठ्ठी में बंद
तब उसके दीये की रोशनी से
जगमगा उठेगा सम्पूर्ण विश्व
रोशनी का वजूद लिए
तब एक दीप जलेगा

*************


पृथ्वी रहेगी सुरक्षित तब!

पृथ्वी रहेगी सुरक्षित तब!
जब जल, जंगल, ज़मीन का
होगा समान बंटवारा
गगनचुंबी इमारतों से
उठते काले-काले
दम घोटू धुँए का उड़ना होगा बंद
पृथ्वी रहेगी सुरक्षित तब!

माफियाओं के हाथों
पहाड़ों का रुकेगा खनन
और वृक्षों की कटाई होगी बंद
पेड़-फूल-पत्तों को मिलेगा
संपूर्ण जल और झरने, नदियों का
होगा खुला प्रवाह
पृथ्वी रहेगी सुरक्षित तब!

वायुमंडल में फैल रही
ज़हरीली गैसों का रिसाव थमेगा,
नदी नालों में
बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों कारखानों के
दूषित जल का बहाव रुकेगा,
पशु-पक्षी और फिर चहचहा उठेंगे यकायक
पृथ्वी रहेगी सुरक्षित तब!

अनगिनत वाहनों के
धुँए को मिलेगी लगाम,
मोबाइल टावरों की
वाइब्रेशन होगी जब कम
हवा भी दिखाएगी रुख़ अपना
पृथ्वी रहेगी सुरक्षित तब!

4 Total Review
M

Majlis Khan

20 July 2024

वाकई लाज़वाब कविताएं हैं सभी..... मेरा मानना है कि अगर ख्वाहिशों के फलसफे लिखें जाएं तो यक़ीनन वे इन कविताओं की तरह खूबसूरत व नायाब होंगे, लेकिन हकीकत के आईने में अधूरी मुस्कान लिए ज़िन्दगी के उन ज़िम्मेदारियों को निभाते रहना, जो आख़िरत में आपके लिए अज्र का जरिया बनेंगे, यही बेहतरीन व कामयाब कोशिश होगी ..... ढेर सारी दुआएं....

M

Majlis Khan

20 July 2024

वाकई लाज़वाब कविताएं हैं सभी..... मेरा मानना है कि अगर ख्वाहिशों के फलसफे लिखें जाएं तो यक़ीनन वे इन कविताओं की तरह खूबसूरत व नायाब होंगे, लेकिन हकीकत के आईने में अधूरी मुस्कान लिए ज़िन्दगी के उन ज़िम्मेदारियों को निभाते रहना, जो आख़िरत में आपके लिए अज्र का जरिया बनेंगे, यही बेहतरीन व कामयाब कोशिश होगी ..... ढेर सारी दुआएं....

S

Sarita bharat

15 July 2024

You can understand the journey of girls' struggle very well, thank you very much abhishek sir

A

Abhishek Saini

14 July 2024

Great poem. I can feel the poetess has a really meticulous observation of her surroundings. The beauty of describing a girls journey in a simple and elegant words is really appreciable.

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रचनाकार परिचय

सरिता भारत

ईमेल : sarita02bharat@gmail.com

निवास : अलवर (राजस्थान)

सम्प्रति- सामाजिक कार्यकर्ता एवं शिक्षाविद्
निवास- अलवर गुलमोहर 33, अपना घर शालीमार, अलवर (राजस्थान)
मोबाइल- 7627019610