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शिव मोहन यादव की बालकथा- चोर की खोज

अगले दिन फिर दरबार लगा। चोरी वाली बात उन्होंने सबके सामने रखी। भालू, बंदर और लोमड़ी को भी बुलाया गया। मंत्री हाथी दादा बोले-‘‘प्यारे बंधुओं! हमारे प्यारे जंगल में कोई चोर घुस आया है, जो खाने-पीने की चीजों पर हाथ साफ करता है। हम सब लोगों को सावधानी से अपने भोजन की निगरानी करनी होगी और पता लगाना होगा कि ये चोर है कौन?‘‘

प्रियंका गुप्ता की बालकथा- हैसियत

विशाल की बात से संध्या बिल्कुल निश्चिन्त हो गई। विशाल सिर्फ़ उसका सहपाठी ही नहीं था, बल्कि एक बहुत अच्छा दोस्त भी था। पढ़ाई के अलावा अन्य क्षेत्रों भी वह उसकी बहुत मदद करता था। वह अक्सर उसे नई-नई जानकारियाँ देता रहता था और उसकी किसी भी परेशानी में सदा उसकी हरसम्भव सहायता करने को तैयार रहता था।

सुधा भार्गव की बाल कहानी 'बादल बरस पड़े'

एक साल उस गाँव का मौसम गड़बड़ा गया। न बारिश हुई और न ही फसल उगी। फसल सूखने लगी। पक्षी भूखे मरने लगे। हर कोई प्यासा। सुनहरी चिड़िया को चिंता सताने लगी। वह अपने दोस्त तोते से मिलने गई। तोता बड़ा बुद्धिमान था। चिड़िया बोली- "वैज्ञानिक महाराज सब समय न जाने क्या सोचते रहते हो! पानी न बरसने से सबके गले सूखे जा रहे हैं। खाने को सब तरस रहे हैं। क्या किया जाए!"

चक्रधर शुक्ल की बालकाविताएं

लिट्टी-चोखा खाओगे।
सत्तू उसमें पाओगे।।

सत्तू जो भी खाएगा।
गर्मी से बच जाएगा।।