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खालेदा खुरसंद की अफ़ग़ान कहानी 'संदेह' श्रीविलास सिंह द्वारा अनुवाद

खालेदा खुरसंद की अफ़ग़ान कहानी 'संदेह' श्रीविलास सिंह द्वारा अनुवाद

तुम्हारे पेट में गुदगुदी और पैरों में झुनझुनी-सी है। तुमने अपनी माँ को फ़ोन किया था, जिससे वे ख़ुश हो गई थीं। माहौल उदास था और बाहर बर्फ पड़ रही थी। तुम्हारी नन्ही बेटी तुम्हारी बग़ल में बैठी धीरे-धीरे साँस ले रही थी। मेहनत से तुम्हें थकान हो गई थी। तुमने अपनी बच्ची को ध्यान से देखा। वह अपनी बड़ी-बड़ी आँखों संग थोड़ा-थोड़ा तुम्हारे जैसी दिख रही थी। वह अपने आसपास जो कुछ घटित हो रहा था, उसे देख रही थी और उसके मुँह से कुछ चूसने की-सी आवाज़ आ रही थी।


तुम हत्थे को नीचे घुमाती हो और दरवाज़े को धकेलती हो। उसमें ताला लगा हुआ है, क्या नहीं! तुम उसे ताला लगाना याद करती हो, क्या नहीं? तुम चाभी भीतर डालती हो और उसे एक बार घुमाती हो, फिर एक और बार, और क्लिक-क्लैक की आवाज़ सुनती हो। तुम हत्थे को फिर नीचे की ओर घुमाती हो, फिर दरवाज़े को धकेलती हो, चेक करती हो कि वह फिर से लॉक हो गया है… वह लॉक हो गया है, हाँ, वह लॉक हो गया है।

तुम....तुम नीम अंधेरे में सावधानी से रेफ़्रीजरेटर की ओर जाती हो और उसका दरवाज़ा खोलती हो। वहाँ लाल बर्तन है, जिसमें तुम्हारी बेटी का ख़ाना है, चीनी व्यंजन, जिसमें तुमने दही के साथ ख़मीर उठाया हुआ है….नाश्ता, दोपहर का ख़ाना, रात का ख़ाना, कल के लिए सब तैयार है। ठंडी हवा का प्रवाह भीतर ही रखते हुए, तुम कुहनी से रेफ़्रीजरेटर का दरवाज़ा बंद करती हो और दूर चली जाती हो। ओह! कल के लिए आइस क्यूब्स का क्या है? तुम धीरे से वापस आती हो और बिना अपनी बेटी को जगाए फ़्रीजर चेक करती हो और तुम्हें चूल्हे पर बचे हुए ख़ाने को फ्रिज में रखना नहीं भूलना चाहिए। गुड, वह हो जाएगा। चूल्हे के नीचे की दोनों लाइटें जल रही हैं। तुम बर्तन का ढक्कन उठाती हो और देखती हो कि तुमने बचा हुआ ख़ाना पहले ही और जगह रख दिया है। ओह! हाँ, तुम से गीज़र का स्विच बंद करना अपेक्षित है। दिन के इस समय गर्म पानी की कोई आवश्यकता नहीं। तुम झुंझलायी हुई सोचती हो- केबिल के लिए स्विच क्यों नहीं है? तुम खिसिया कर आश्चर्य करती हो। तुमने उससे इस मनहूस केबल की मरम्मत करवाने के लिए कहा था ताकि तुम्हें बिजली का झटका न लगे। तुम्हें झटका लगता है। तुम दर्द से लगभग चिल्ला उठती हो लेकिन उसे भीतर ही दबा लेती हो, तुम्हारी बेटी सोयी है। उसका स्टफ़्ड बियर पिछली शाम को खो गया था। तुम्हें उसे ढूँढना पड़ा क्योंकि वह इसके बिना सो नहीं सकती। अधखुले दरवाज़े से तुम्हारी दृष्टि अपनी बेटी पर पड़ती है। अच्छा रहा, तुमने उसे खोज लिया। थोड़ा-थोड़ा कर के रात्रि गहराती है और कुछ और अंधेरी होती जाती है। कितनी काली रात है! तुम कैलेंडर पर दृष्टि डालती हो। निश्चित रूप से भयानक ठंड है, यह जनवरी का महीना है।

तुम्हारे पेट में गुदगुदी और पैरों में झुनझुनी-सी है। तुमने अपनी माँ को फ़ोन किया था, जिससे वे ख़ुश हो गई थीं। माहौल उदास था और बाहर बर्फ पड़ रही थी। तुम्हारी नन्ही बेटी तुम्हारी बग़ल में बैठी धीरे-धीरे साँस ले रही थी। मेहनत से तुम्हें थकान हो गई थी। तुमने अपनी बच्ची को ध्यान से देखा। वह अपनी बड़ी-बड़ी आँखों संग थोड़ा-थोड़ा तुम्हारे जैसी दिख रही थी। वह अपने आसपास जो कुछ घटित हो रहा था, उसे देख रही थी और उसके मुँह से कुछ चूसने की-सी आवाज़ आ रही थी।

डॉक्टर ने अपने हाथ धोये। तुमने उसकी ओर देखा; तुम्हें फिर दर्द हो रहा था। उसने अभी-अभी पहने दस्ताने उतार दिए, अपना सिर हिलाया और एक बार फिर सावधानी से अपने हाथ धोए। तुमने उसे फिर देखा। उसने नर्स से एक विसंक्रमित नैपकिन माँगी, वह थोड़ा चिंतित लग रहा था। उसने एक सिरिंज भरी और उसे नर्स को देते हुए झिड़का, "तुम्हें अपना काम कैसे करना चाहिए तुम यह भी नहीं जानती!" नर्स ने सारी दवा इंजेक्ट करने हेतु धीरे-धीरे प्लंजर दबाया। तुमने पानी माँगा लेकिन नर्स ने तुम्हारी बात नहीं सुनी। वह दवा की शीशी लिए हुए थी और उसका लेबल ध्यान से पढ़ रही थी। वह डॉक्टर के पास गई और उससे कुछ थोड़ी-सी बात की। डॉक्टर ने सिर हिलाया और शीशी पर का लेबल पढ़ा। नर्स मुस्करायी, तुमने उससे फिर पानी माँगा। वह ठंडे पानी का एक ग्लास ले आयी और उसे मेज़ पर रख गई। जब वह जा रही थी, उसने भौंहें टेढ़ी की और शीशी के पास लौट आयी। उसने शीशी के लेबल की कुछ पंक्तियाँ फिर पढ़ीं, जो विदेशी भाषा में लिखी हुई थी, फिर उसे डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर अपना हाथ धो रहा था और चिंतित दिख रहा था। तुम्हारा पेट भीतर से ऐंठता-सा लग रहा था। दर्द किसी कसी हुई बेल्ट की भाँति तुम्हारी कमर को जकड़े हुए था। तुमने चिल्लाने के लिए मजबूर-सा महसूस किया और तुम चिल्ला उठी। तुम्हारी चीख हवा और खिड़की से होती हुई बाहर जाकर गिरती हुई बर्फ के फाहों से मिल गई, ज़मीन पर गिरी और जम गई।

फ्रिज में तापमान ठीक से नहीं समायोजित है और खाने का स्वाद बिगड़ सकता है। तुम बिस्तर पर बैठी हो; वह तकिये पर धीरे-से अपना हाथ चलाता है। तुम उसके हाथ पर अपना हाथ रख देती हो और सुनिश्चित करती हो कि वह सो रहा है। उसके बड़े-बड़े हाथ बर्फ हो रहे हैं। तुम अपने पाँव बिस्तर के किनारे की ओर घुमाती हो, उठती हो और हीटर चालू करती हो। फिर तुम फ्रिज के पास जाती हो और उसके तापमान नियंत्रण करने वाली घुंडी को घुमाती हो। वह एक रैंडम नंबर पर रुक जाती है।

वापस बिस्तर में, तुम कंबल अपने गले तक खींच लेती हो। वह तुम्हें अपनी बाँहों में ले लेता है और कहता है, "तुम्हें फ्रिज या स्टोव में से एक को बंद कर देना चाहिए। तुम उन दोनों को ही एक साथ क्यों चालू रखती हो?" यदि तुम फ्रिज को बंद कर देती हो, कल का नाश्ता और ख़ाना ख़राब हो जाएगा। नमी और सड़न की गंध फलों और तुम्हारे पकाए भोजन को ख़राब कर देगी। तुम पुनः बिस्तर में बैठ जाती हो; वह धीरे-धीरे साँस ले रहा है। उसका सिर उसकी बाँह पर है। वह तुम्हारे मामलों में बहुत टाँग अड़ाता है और यह बात तुम कितनी बार बता चुकी हो। जीवन तुम्हारे लिए कड़वा हो चुका है। तुम्हें अब किसी आनंद अथवा प्रसन्नता का अनुभव नहीं होता। मात्र उसकी विचारहीन बातों के कारण, "नाश्ते में चीज़ अच्छी नहीं थी। चावल ठीक से नहीं पका था…."

तुम उस नाम को ले कर कितनी ग़ुस्से में थी, जो उसने थोपा था। तुम चिल्लाई थी और दुःखी हो गई थी और जो नाम तुमने चुना था, उसे कागज के एक टुकड़े पर नोट कर लिया था- बहार। तुमने आधे कार्ड्स पर लिखा था- "हम ख़ुशी से अपनी बेटी, बहार के जन्म पर अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं।" जब तुम इस घोषणा की तैयारी के अंतिम पड़ाव पर थी तब तुम जानती थी कि कहासुनी होने वाली थी। इस बार, पहली बार, तुम्हें ख़ुद पर विश्वास था। हाँ, बहार, तुम्हारी बेटी का सबसे सुंदर नाम।

"समीरा जाग गई है। वह रो रही है।" उसने इशारा करते हुए कहा।
तुम्हारी बेटी के कमरे से सिसकने की आवाज़ें आ रही थी। तुम तेज़ी से भीतर गई, उसके कोमल बालों को थपथपाया और उसके सिर के नीचे तकिए को ठीक किया। सो जाओ बहार! सो जाओ समीरा!
तुमने सोचा कि समीरा भी प्यारा नाम है लेकिन तुम्हारी बेटी का नाम बहार है। सो जाओ बहार!

तुम पंजों के बल धीरे से बेसमेंट में जाती हो और स्विच दबाती हो। धूल से मैले बल्ब की मद्धम रोशनी तहख़ाने को प्रकाशित कर देती है। हर चीज़ पुरानी और घिसी हुई है। तुम्हारा पाँव एक बदरंगं किलिम (एक तरह का कालीन) पर पड़ता है और तुम एक वार्डरोब पर गिरती हो, अपने हाथों से बचाव करती सीधी खड़ी हो जाती हो। उत्तराधिकार में प्राप्त इन चीज़ों को बेच देने की अनवरत इच्छा तुम्हारे वक्ष में ज़ोर मारती है। लकड़ी में नक़्क़ाशी वाली विशाल और भारी दीवार घड़ी अभी भी अतीत की यादों में ले जाती टिक-टिक जारी रखे है। तुम मुस्कराती हो, जब देखती हो कि वह अपराह्न के दो बजे का समय दिखा रही है। फिर तुम्हारी मुस्कराहट अदृश्य हो जाती है, मानो कोई भयानक विचार तुम्हारे मस्तिष्क से गुज़र गया हो। परेशान, तुम क्षीण दरवाज़ों वाले वार्डरोब की ओर तेजी से जाती हो। "मैंने अपनी बेटी के कपड़े इस्त्री नहीं किए।" तुम सोचती हो। तुम तेज़ी से वार्डरोब के कपड़े उलट-पलट डालती हो। जब तुम वापस बैठक में जाती हो, तुम अपने हाथ में जन्म की घोषणा के कार्ड्स का एक बंडल लिए हो। तुम वहाँ चमकीली रोशनी में उनका परीक्षण करती हो। हाँ, यह तुम्हीं थीं, जिसने उन्हें लिखा था, "हम ख़ुशी से अपनी बेटी, बहार के जन्म पर अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं…" तुम सीधे अपनी बेटी के कमरे में जाती हो। वह कंबल में लिपटी धीरे-धीरे खर्राटे ले रही है। उसका कमरा बर्फ जैसा ठंडा लग रहा है। तुम हीटर तेज कर देती हो और उसके स्कूल बैग से धीरे से एक पेंसिल लेकर बैठक में वापस आ जाती हो। तुम्हारे सीने में बहुत तकलीफ़-सी हो रही है और तुम्हें उबकाई-सी आ रही है। तुम कार्ड्स की ओर देखती हो और उन्हें एक-एक कर चेक करती हो। 'बहार' नाम किसी एक पर भी नहीं है। तुम साहस जुटाती हो और पहले कार्ड में 'बहार' जोड़ती हो, फिर दूसरे में, फिर तीसरे….।

सुबह की कोमल रोशनी कार के टायरों की कड़कड़ाहट तुम्हारे भोर के स्वप्न को भंग कर देती है। तुम्हें नाश्ता बनाना है। तुम अंतिम कार्ड पर काम पूरा करती हो, जैसे तुमने कुछ बहुत महत्वपूर्ण काम पूरा कर लिया हो। तुम अपनी बाँहें सूरज की किरणों की ओर फैलाती और गहरी साँस लेती हो। बड़े-बड़े हाथ तुम्हारी कमर को घेर लेते हैं। "क्या नाश्ता तैयार है?" वह पूछता है। और तुम सोचती हो कि तुम्हें उस जैसे किसी मामूली आदमी पर मुस्कुराना चाहिए।

 

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रचनाकार परिचय

श्रीविलास सिंह

ईमेल : sbsinghirs@gmail.com

निवास : बरेली (उत्तरप्रदेश)

जन्मतिथि- 5 फरवरी, 1962
जन्मस्थान- गंगापुर (उत्तरप्रदेश)
प्रकाशन- 'कविता के बहाने' एवं 'रोशनी के मुहाने तक' (कविता संग्रह), 'सन्नाटे का शोर' (कहानी संग्रह), आवाज़ों के आर-पार (अनूदित कहानियों का संग्रह)
निवास- बरेली (उत्तरप्रदेश)
मोबाइल- 8851054620