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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मेरी नज़र से- अलका मिश्रा

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मेरी नज़र से- अलका मिश्रा

जिन परों में उड़ानन ज़िंदा  है
उनमें इक आसमान ज़िंदा है

ज़िंदगी     औरतों     को     देती    हैं
घर की छोटी-सी खिड़कियाँ अक्सर

मेरे इस शेर से ज़ाहिर है कि महिलाओं की प्रकृति संतोष भाव वाली रही है, जहाँ पर उन्हें क़ैद में रहकर भी यदि एक खिड़की से आसमान का छोटा-सा टुकड़ा भी नज़र आ जाए तो वो ख़ुशी-ख़ुशी अपना जीवन परिवार और समाज के लिए होम कर देती हैं। मगर आज की महिला, मेरा मतलब यहाँ जागरूक महिला से है, जिसे अपने कर्तव्यों के साथ अपने हिस्से का पूरा आसमान भी चाहिए और इसमें मुझे कोई बुराई भी नज़र नहीं आती।

जैसा कि हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं, लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने में हुई प्रगति पर विचार करना और उन चुनौतियों को पहचानना आवश्यक है, जो अभी भी सामने हैं। पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के अधिकारों, शिक्षा और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में भागीदारी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। हालाँकि सच्ची समानता हासिल करने के लिए अभी भी बहुत काम किया जाना बाक़ी है। यदि अभी भी जिन समाज के इस वंचित वर्ग की प्रगति एवं उचित अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया तो निश्चित रूप से इसके परिणाम भी भुगतने होंगे। यही बात मेरे इस शेर में मैंने कही है-

तोड़ देती हैं बेड़ियाँ  अक्सर
क़ैद में रह के बेटियाँ अक्सर

उन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक, जहाँ प्रगति हुई है वह महिला शिक्षा है। दुनिया भर में अधिक लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है, जिससे वे अपने सपनों को आगे बढ़ाने और समाज में सार्थक योगदान देने के लिए सशक्त हो रही हैं। शिक्षा न केवल महिलाओं को व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के अवसर प्रदान करती है बल्कि उन्हें सामाजिक मानदंडों को चुनौती देने और बाधाओं को तोड़ने के कौशल और ज्ञान से भी सुसज्जित करती है।
प्रगति का एक अन्य क्षेत्र महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण है। कार्यबल में प्रवेश करने और विभिन्न उद्योगों में नेतृत्व की स्थिति संभालने वाली महिलाओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। हालाँकि लैंगिक वेतन अंतर बरकरार है और वरिष्ठ प्रबंधन और कॉर्पोरेट बोर्डरूम में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अभी भी कम है। इन असमानताओं को दूर करने के लिए कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए समान अवसर और उचित व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए सरकारों, व्यवसायों और समग्र रूप से समाज के ठोस प्रयासों की आवश्यकता अभी भी है।

इसके अलावा, #MeToo आंदोलन और अन्य पहलों ने लिंग आधारित हिंसा और उत्पीड़न की व्यापकता पर प्रकाश डाला है, जिससे महत्वपूर्ण बातचीत शुरू हुई है और बदलाव आया है। उन नीतियों और कार्यक्रमों की वकालत जारी रखना महत्वपूर्ण है, जो ऐसे लोगों का समर्थन करते हैं, हानिकारक रूढ़िवादिता को चुनौती देते हैं और सभी व्यक्तियों के लिए स्वस्थ संबंधों और सम्मान को बढ़ावा देते हैं।
इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर, आइए हम दुनिया भर में महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाएँ और लैंगिक समानता के लिए चल रहे संघर्ष के लिए ख़ुद को फिर से प्रतिबद्ध करें। साथ मिलकर हम एक अधिक समावेशी और न्यायसंगत समाज बना सकते हैं, जहाँ हर महिला आगे बढ़ सके और अपनी क्षमता का पूर्ण उपयोग कर सके। यह मात्र जश्न मनाने का दिन नहीं है; यह सभी के लिए बेहतर भविष्य के लिए एकजुट होने और वकालत करने का दिन भी है। इसके लिए हम सभी महिलाओं को एक-दूसरे के साथ खड़ा होने की आवश्यकता के साथ ही उनको अपनी शक्तियों का स्मरण करवाने की भी आवश्यकता भी है। आप सभी को"होली" एवं "अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!” एक शेर से अपनी बात समाप्त करती हूँ-

जिन परों में उड़ान ज़िंदा है
उनमें इक आसमान ज़िंदा है

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रचनाकार परिचय

अलका मिश्रा

ईमेल : alkaarjit27@gmail.com

निवास : कानपुर (उत्तर प्रदेश)

जन्मतिथि-27 जुलाई 1970 
जन्मस्थान-कानपुर (उ० प्र०)
शिक्षा- एम० ए०, एम० फिल० (मनोविज्ञान) तथा विशेष शिक्षा में डिप्लोमा।
सम्प्रति- प्रकाशक ( इरा पब्लिशर्स), काउंसलर एवं कंसलटेंट (संकल्प स्पेशल स्कूल), स्वतंत्र लेखन तथा समाज सेवा
विशेष- सचिव, ख़्वाहिश फ़ाउण्डेशन 
लेखन विधा- ग़ज़ल, नज़्म, गीत, दोहा, क्षणिका, आलेख 
प्रकाशन- बला है इश्क़ (ग़ज़ल संग्रह) प्रकाशित
101 महिला ग़ज़लकार, हाइकू व्योम (समवेत संकलन), 'बिन्दु में सिन्धु' (समवेत क्षणिका संकलन), आधुनिक दोहे, कानपुर के कवि (समवेत संकलन) के अलावा देश भर की विभिन्न साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं यथा- अभिनव प्रयास, अनन्तिम, गीत गुंजन, अर्बाबे कलाम, इमकान आदि में रचनाएँ प्रकाशित।
रेख़्ता, कविता कोष के अलावा अन्य कई प्रतिष्ठित वेब पत्रिकाओं हस्ताक्षर, पुरवाई, अनुभूति आदि में रचनाएँ प्रकाशित।
सम्पादन- हिज्र-ओ-विसाल (साझा शेरी मजमुआ), इरा मासिक वेब पत्रिका 
प्रसारण/काव्य-पाठ- डी डी उत्तर प्रदेश, के टी वी, न्यूज 18 आदि टी वी चैनलों पर काव्य-पाठ। रेखता सहित देश के प्रतिष्ठित काव्य मंचों पर काव्य-पाठ। 
सम्मान-
साहित्य संगम (साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक) संस्था तिरोड़ी, बालाघाट मध्य प्रदेश द्वारा साहित्य शशि सम्मान, 2014 
विकासिका (साहित्यिक सामजिक एवं सांस्कृतिक) संस्था कानपुर द्वारा ग़ज़ल को सम्मान, 2014
संत रविदास सेवा समिति, अर्मापुर एस्टेट द्वारा संत रवि दास रत्न, 2015
अजय कपूर फैंस एसोसिएशन द्वारा कविवर सुमन दुबे 2015
काव्यायन साहित्यिक संस्था द्वारा सम्मानित, 2015
तेजस्विनी सम्मान, आगमन साहित्य संस्था, दिल्ली, 2015
अदब की महफ़िल द्वारा महिला दिवस पर सम्मानित, इंदौर, 2018, 2019 एवं 2020
उड़ान साहित्यिक संस्था द्वारा 2018, 2019, 2021 एवं 2023 में सम्मानित
संपर्क- एच-2/39, कृष्णापुरम
कानपुर-208007 (उत्तर प्रदेश) 
 
मोबाइल- 8574722458