Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।

बच्चों में आत्मविश्वास कैसे बढ़ायें-डॉ० दीप्ति तिवारी

बच्चों में आत्मविश्वास कैसे बढ़ायें-डॉ० दीप्ति तिवारी

मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों के अनुसार आत्मविश्वास प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है ताकि वो अपनी अधिकतम क्षमता तक पहुँच सके। अत: प्रत्येक माता-पिता के लिए आवश्यक है कि वे अपने बच्चों को ऐसा वातावरण दें जो बच्चे में आत्मविश्वास के विकास को बढ़ावा दे।

जीवन में हमारा वक्त अच्छा चल रहा हो या बुरा, हम सभी को प्रतिदिन आगे बढ़ने के लिए कुछ ऐसा चाहिए होता है जो हमें निरंतर प्रेरित करता रहे। और यह 'कुछ' है हमारा आत्मविश्वास। आत्मविश्वास अपने व्यक्तित्व और अपनी क्षमताओं की स्वस्थ समझ विकसित करने से बनता है और व्यक्ति में ख़ुशी और मानसिक संतुष्टि का कारक बनता है। मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों के अनुसार आत्मविश्वास प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है ताकि वो अपनी अधिकतम क्षमता तक पहुँच सके। अत: प्रत्येक माता-पिता के लिए आवश्यक है कि वे अपने बच्चों को ऐसा वातावरण दें जो बच्चे में आत्मविश्वास के विकास को बढ़ावा दे।
तो आइए हम जाने कि बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए अभिभावक क्या करें और क्या न करें-
1. अपना स्वयं का आत्मविश्वास बढ़ाएँ क्योंकि बच्चे आपको देख कर बहुत कुछ सीखते हैं।
2. बच्चे की ग़लतियों को सहज रूप से स्वीकार करें और उनको दूर करने में बच्चे का मार्गदर्शन
करें।
3. बच्चों को नये व रचनात्मक कार्य करने के लिए प्रेरित करते रहें।
4. असफलत होने पर बच्चे को प्रोत्साहन दें ताकि वह पूरे जोश से दोबारा कोशिश करने के लिए तैयार रहें।
5. बच्चे की दृढ़ता और लगन की सराहना करें।
6. बच्चे की कुदरती प्रतिभा को पहचानें।
7. बच्चे के लिए उसकी क्षमता के अनुसार लक्ष्य तय करें और सही दिशा में बढ़ाए गए हर क़दम और हर प्रयास की सराहना करें।
8. बच्चों को उनकी उम्र और क्षमता के अनुरूप घरेलू ज़िम्मेदारियाँ अवश्य दें।
9. बच्चों से नियमित रूप से बातचीत किया करें।
10. अपने प्रेम और गुस्से दोनों को समान रूप से ज़ाहिर करें लेकिन भावनात्मक अतिश्योक्ति से बचें।

क्या न करें:-
1. बच्चे से बात करते समय अन्य बच्चों से उसकी तुलना ना करें।
2. बच्चे पर हमेशा अन्य बच्चों से आगे निकलने का दबाव ना बनाएँ। इसके विपरीत उसमे जिज्ञासा जगाएँ ताकि उसमें किसी भी विषय को जानने और समझने की ललक उत्पन्न हो।
3. बच्चों पर अपनी इच्छाएँ और अपेक्षाएँ ना थोपें।
4.. बच्चों की हर ग़लती पर अत्यधिक प्रतिक्रिया करके उसके साथ रूखा, व्यांगात्मक, कठोर या क्रूर व्यवहार ना करें । गलती करना इंसान के लिए सामान्य बात है इस तथ्य को स्वीकार करें । 5. हर तक़लीफ़ व परेशानी में बच्चे को बचाने की कोशिश ना करें। दिन प्रतिदिन की सामान्य परेशानी का सामना बच्चे को स्वयं करने दें।
6. बच्चे को अपनी भावनायें व्यक्त करने से ना रोकें।
7. बच्चे को बेचारगी का अहसास उत्पन्न ना होने दें।
8. बच्चे से ऐसी अपेक्षाएँ ना रखें जो उसकी क्षमता के अनुरूप नहीं है।
9. हर छोटी बात पर बच्चे को दोषी ठहराना या उसको शर्मिन्दा करना भी उचित नहीं है।
10. बच्चों को अनुशासित करने के लिए उन्हें नियम बतायें और उसका पालन करना सिखाएँ लेकिन उन्हें डरायें नहीं।
संक्षेप में, हम स्वयं पर और अपने बच्चों पर विश्वास करें ताकि वो ख़ुद पर विश्वास कर सकें।


******************

0 Total Review

Leave Your Review Here

रचनाकार परिचय

दीप्ति तिवारी

ईमेल : deptitew@gmail.com

निवास : कानपुर(उत्तर प्रदेश)

नाम- डॉ० दीप्ति तिवारी 
जन्मतिथि- 30 सितंबर 1972 
जन्मस्थान- कानपुर (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा- एम बी बी एस, एम ए (मनोविज्ञान),डिप्लोमा ( मेंटल हेल्थ), पी जी  डिप्लोमा(काउंसलिंग एंड बिहैवियर मैनेजमेंट), पी जी डिप्लोमा(चाइल्ड साइकोलजी), पी जी डिप्लोमा(लर्निंग डिसबिलिटी मैनेजमेंट)
संप्रति- फैमिली फिजीशियन एंड काउन्सलर, डायरेक्टर, संकल्प स्पेशल स्कूल, मेडिकल सुपरिन्टेंडेंट, जी टी बी हॉस्पिटल प्रा. लि. 
प्रकाशन- learning Disability: An Overview 
संपर्क- फ्लैट न. 101 , कीर्ति समृद्धि अपार्टमेंट, 120/806, लाजपत नगर, कानपुर(उत्तर प्रदेश)
मोबाईल- 9956079347