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चेतना का बहुआयामी स्वर- अलका मिश्रा

चेतना का बहुआयामी स्वर- अलका मिश्रा

शायद इसी का नाम ज़िन्दगी है, ये कभी भी एक जैसी नहीं रहती नित नये स्वांग रचाती है, कभी हँसाती है तो कभी आँखों में पानी ले आती है। इसीलिए ज़िन्दगी के प्रति हमारा भी रवैया ऐसा ही होना चाहिए कि हर पल को ज़िन्दादिली से जिया जाये, यदि रास्ते में दुःख आये भी तो दो घड़ी ठहर कर फिर सफ़र पर आगे बढ़ा जाये क्योंकि वक़्त बहुत कम है और करने को बहुत कुछ।

सर्वप्रथम आप सभी को नव वर्ष कि हार्दिक शुभकामनाएँ! नया साल हर किसी की ज़िन्दगी में नये संकल्प, नई उमंग, नया उत्साह, नये लोग और नयी ज़िम्मेदारियाँ लेकर आता है। मेरे लिये भी कुछ ऐसा ही होगा वर्ष 2024। 
हालाँकि गया साल बहुत कुछ देने के साथ काफ़ी कुछ छीनकर भी ले गया। शायद इसी का नाम ज़िन्दगी है, ये कभी भी एक जैसी नहीं रहती नित नये स्वांग रचाती है, कभी हँसाती है तो कभी आँखों में पानी ले आती है। इसीलिए ज़िन्दगी के प्रति हमारा भी रवैया ऐसा ही होना चाहिए कि हर पल को ज़िन्दादिली से जिया जाये, यदि रास्ते में दुःख आये भी तो दो घड़ी ठहर कर फिर सफ़र पर आगे बढ़ा जाये क्योंकि वक़्त बहुत कम है और करने को बहुत कुछ। इसी ज़ाविये का मेरा एक शेर मुलाहिज़ा फ़रमाइये-
 
कुछ साँसें ही दी हैं रब ने काम न जाने कितने हैं
पहले काम समेटो अपना पीछे तुम आराम करो
 
नया साल, नयी आशा का सूरज लेकर आया है और इसी सूरज की रौशनी में अपने एक पुराने ख़्वाब की ताबीर ‘इरा: चेतना का बहुआयामी स्वर’ मासिक वेब पत्रिका के रूप में होते हुए देख रही हूँ। बरसों से सहेजा हुआ मेरा ये ख़्वाब जो आज साकार होने जा रहा है, अगर मैं चाहती भी तो शायद मुकम्मल नहीं होता। क्योंकि इसका उद्देश्य भी इसकी टैग लाइन की तरह ही बहुआयामी है। पत्रिका का उद्देश्य जनमानस तक स्तरीय साहित्य पहुँचाने के साथ ही हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार देश-विदेश तक करना भी है। इसीलिए इस पर बहुआयामी सोच के साथ कार्य किया जाना अत्यंत आवश्यक था। पत्रिका को बहुआयामी स्वरूप देने हेतु एक बेहतरीन टीम का होना भी नितांत आवश्यक था। इसके लिये अपने अंतर्मन की आवाज़ पर बेहद चुनिंदा एवं शिद्दत से काम करने वाले अपने कुछ साहित्यिक मित्रों से बात की और उनको अपनी इस परिकल्पना के बारे में बताया तो सभी ने एक बार में ही साथ देने के भरोसे के साथ ही जी भर के दुआएँ दीं। यह सच है कि हमारी पूरी टीम के बिना इतना बड़ा काम कर पाना असम्भव सा था। कोई भी पत्रिका बिना सशक्त सम्पादक के बहुत दूर तक नहीं जा सकती। इसीलिये मैंने उम्र में कम मगर अनुभवी एवं उत्साही युवा के० पी० अनमोल जी को बतौर सम्पादक मेरा साथ देकर पत्रिका का कार्यभार संभालने के लिये आग्रह किया और मुझे ख़ुशी है कि अनमोल जी ने व्यस्तताओं के बीच भी इस ज़िम्मेदारी में हमारा सहभागी होना स्वीकार किया।अनमोल जी ने प्रारम्भ से ही वेबसाईट की रूपरेखा तैयार करवाने में पूरा सहयोग किया। इसीलिए यह इतनी यूजर फ़्रेंडली बन सकी है। क्योंकि हम चाहते थे कि यह पत्रिका हर उस व्यक्ति तक पहुँचे जो कोई भी पढ़ने का इच्छुक है। पाठक को किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं होना चाहिए। पत्रिका के प्रवेशांक के लिए हमें वरिष्ठ रचनाकारों का भी सहयोग एवं आशीर्वाद प्राप्त हुआ तभी पत्रिका में स्तरीय रचनाएँ सम्मिलित हो सकीं। इसके लिए हम सभी सहयोगियों (संरक्षक, परामर्श मण्डल, शोध सम्पादक एवं विशेष सहयोगी) एवं रचनाकारों के हृदय तल से आभारी हैं। हमने पूरा प्रयास किया है कि इसमें सभी विधाओं को समाहित किया जाये एवं स्तरीय रचनाओं को ही स्थान दिया जाये। इसमें शोध-पत्र का स्तम्भ भी शामिल किया है ताकि हिन्दी के शोधार्थियों को भी पत्रिका से कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके। भविष्य में कुछ और योजनाएँ भी हैं जिनसे पत्रिका और भी रोचक एवं उपयोगी बन सकेगी, मगर उसमें अभी समय लगेगा। आशा करती हूँ कि नये साल में नये कलेवर का प्रवेशांक आप सभी को पसंद आयेगा। यदि आपको पत्रिका पसंद आये तो अपनी प्रतिक्रिया हमें अवश्य दें और यदि कोई सुझाव हो तो उसका भी स्वागत है।
आप सभी का नव वर्ष मंगलमय हो!

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रचनाकार परिचय

अलका मिश्रा

ईमेल : alkaarjit27@gmail.com

निवास : कानपुर (उत्तर प्रदेश)

जन्मतिथि-27 जुलाई 1970 
जन्मस्थान-कानपुर (उ० प्र०)
शिक्षा- एम० ए०, एम० फिल० (मनोविज्ञान) तथा विशेष शिक्षा में डिप्लोमा।
सम्प्रति- प्रकाशक ( इरा पब्लिशर्स), काउंसलर एवं कंसलटेंट (संकल्प स्पेशल स्कूल), स्वतंत्र लेखन तथा समाज सेवा
विशेष- सचिव, ख़्वाहिश फ़ाउण्डेशन 
लेखन विधा- ग़ज़ल, नज़्म, गीत, दोहा, क्षणिका, आलेख 
प्रकाशन- बला है इश्क़ (ग़ज़ल संग्रह) प्रकाशित
101 महिला ग़ज़लकार, हाइकू व्योम (समवेत संकलन), 'बिन्दु में सिन्धु' (समवेत क्षणिका संकलन), आधुनिक दोहे, कानपुर के कवि (समवेत संकलन) के अलावा देश भर की विभिन्न साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं यथा- अभिनव प्रयास, अनन्तिम, गीत गुंजन, अर्बाबे कलाम, इमकान आदि में रचनाएँ प्रकाशित।
रेख़्ता, कविता कोष के अलावा अन्य कई प्रतिष्ठित वेब पत्रिकाओं हस्ताक्षर, पुरवाई, अनुभूति आदि में रचनाएँ प्रकाशित।
सम्पादन- हिज्र-ओ-विसाल (साझा शेरी मजमुआ), इरा मासिक वेब पत्रिका 
प्रसारण/काव्य-पाठ- डी डी उत्तर प्रदेश, के टी वी, न्यूज 18 आदि टी वी चैनलों पर काव्य-पाठ। रेखता सहित देश के प्रतिष्ठित काव्य मंचों पर काव्य-पाठ। 
सम्मान-
साहित्य संगम (साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक) संस्था तिरोड़ी, बालाघाट मध्य प्रदेश द्वारा साहित्य शशि सम्मान, 2014 
विकासिका (साहित्यिक सामजिक एवं सांस्कृतिक) संस्था कानपुर द्वारा ग़ज़ल को सम्मान, 2014
संत रविदास सेवा समिति, अर्मापुर एस्टेट द्वारा संत रवि दास रत्न, 2015
अजय कपूर फैंस एसोसिएशन द्वारा कविवर सुमन दुबे 2015
काव्यायन साहित्यिक संस्था द्वारा सम्मानित, 2015
तेजस्विनी सम्मान, आगमन साहित्य संस्था, दिल्ली, 2015
अदब की महफ़िल द्वारा महिला दिवस पर सम्मानित, इंदौर, 2018, 2019 एवं 2020
उड़ान साहित्यिक संस्था द्वारा 2018, 2019, 2021 एवं 2023 में सम्मानित
संपर्क- एच-2/39, कृष्णापुरम
कानपुर-208007 (उत्तर प्रदेश) 
 
मोबाइल- 8574722458