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राहुल शिवाय के दोहे

राहुल शिवाय के दोहे

चाहे तुम मेरा कहो, या अपनों का स्वार्थ।
मैं अंदर से बुद्ध हूँ, ऊपर से सिद्धार्थ।

दोहे


चाहे तुम मेरा कहो, या अपनों का स्वार्थ।
मैं अंदर से बुद्ध हूँ, ऊपर से सिद्धार्थ।।1।।


आओ हम उस वृक्ष में, डालें पानी-खाद।
जो करता है धूप का, छाया में अनुवाद।।2।।


नयी सदी ने प्रेम का, देखा कैसा ख़्वाब।
मुखड़े पर इनकार के, फेंक दिया तेज़ाब।।3।।


साँप, भेड़िया, नेवला, गिरगिट, कुत्ता, चील।
एक आदमी हो गया, किस-किस में तब्दील।।4।।


कहाँ सिया को ले गयी, स्वर्ण हिरण की चाह।
जान रहे, फिर भी नहीं, हमने बदली राह।।5।।


सूरज पर उँगली उठा, वे करते परिहास।
अँधियारा जिनका रहा, जीवन का इतिहास।।6।।


तुम क्या जानो किस तरह, हुआ समय अनुकूल।
लहू सने इस हाथ में, दिखा तुम्हें बस फूल।।7।।


मिट्टी की सौंधी महक, लेकर आयी तार।
माँ-बापू की आँख का, सावन रहा पुकार।।8।।


जैसे तपती रेत पर, बूँद पड़े दो-चार।
रोज़गार को बाँटती, वैसे ही सरकार।।9।।


अगर सिकंदर की तरह, जीत न पाया यार।
तो पोरस की ही तरह, लड़कर जाना हार।।10।।


जनमत की खुरपी बिकी, हुई भोथरी धार।
तब तो संसद में उगे, इतने खरपतवार।।11।।


लोकतंत्र में लोक का, दिखा अजब क़िरदार।
खरबूजे चुनते रहे, चाकू की सरकार।।12।।


किस नाइन ने हैं रँगे, इस पूरब के पाँव।
जिसे देखने जग रहा, धीरे-धीरे गाँव।।13।।


तुलसी, कोठी, चिट्ठियाँ, गौरैया, सन्दूक।
कल तक थे जितने मुखर, उतने ही अब मूक।।14।।


निर्गुण हो या हो सगुन, लो श्रद्धा से नाम।
हैं कबीर से कब अलग, गोस्वामी के राम।।15।।


सच है समझेंगे कहाँ, कृषकों का श्रम आप।
सिर्फ़ रोटियाँ जानतीं, गर्म तवे का ताप।।16।।


आग लगा देती तुरत, बिन माचिस बिन तेल।
राजनीति जब खेलती, जुमलों वाला खेल।।17।।


विज्ञापन के बल हुआ, ऐसा सुखद सुयोग।
लाखों में बिकने लगे, दो कौड़ी के लोग।।18।।


एक बार इस बात पर, सोचो हिन्दुस्तान।
सत्तर वर्षों बाद भी, प्रासंगिक गोदान।।19।।


जब भी सुख मेरे लिए, हुआ बहुत गम्भीर।
कहा बनाओ आज तुम, पानी पर तस्वीर।।20।।


अब किसको क्या दोष दूँ, थी मेरी ही भूल।
नागफनी को सींचकर, चाह रहा था फूल।।21।।


आया समय चुनाव का, बिछने लगी बिसात।
शूकर भी करने लगे, रसगुल्ले की बात।।22।।


मनमोहन ने पास आ, ज्यों ही पूछा हाल।
टेसू जैसे हो गये, उसके दोनों गाल।।23।।


होली में जब प्रीत के, पूरे हुए उसूल।
अधरों पर दिखने लगे, तब सेमल के फूल।।24।।


नोंच रही सुख के सपन, पूँजीवादी चील।
कोई आज ग़रीब की, सुनता नहीं अपील।।25।।

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रचनाकार परिचय

राहुल शिवाय

ईमेल : rahulshivay@gmail.com

निवास : बेगूसराय (बिहार)

जन्मतिथि- 01 मार्च, 1993
जन्मस्थान- बेगूसराय (बिहार)
सम्प्रति- उपनिदेशक कविता कोश
लेखन विधाएँ- कविता एवं गद्य की विभिन्न विधाओं में लेखन।
प्रकाशित कृतियाँ- हिंदी- स्वाति बूँद (कविता संग्रह), मेवाड़ केसरी (प्रबंध काव्य), बच्चों का बसंत (बाल कविताएँ), शब्द-शब्द से प्यार किया (कविता, गीत, ग़ज़ल संग्रह), तप रहे हैं शब्द मन के (नवगीत संग्रह), आँसू मेरे मधुमास तुम्हारे (कविता संग्रह), एक कटोरी धूप (दोहा संग्रह), मौन भी अपराध है (नवगीत संग्रह)
अंगिका- संवेदना (कविता संग्रह), अंगिका दोहा शतक (दोहा संग्रह), मांटी हिन्दुस्तान के (देशभक्ति गीत) रितु-रास (रितु गीत), भर-भर हाथ सरंग (नवगीत संग्रह)
सम्पादित कृतियाँ- स्वर धारा (कविता संग्रह), दोहा एकादशी (दोहा संग्रह), कविता के नवरत्न (कविता संग्रह), गुनगुनाएँ गीत फिर से (गीत संग्रह), दोहा दर्शन (दोहा संग्रह), गुनगुनाएँ गीत फिर से-2 (गीत संग्रह), दोहा मंथन (दोहा संग्रह), नयी सदी के नये (गीत-नवगीत संग्रह), गुनगुनाएँ गीत फिर से-3 (गीत संग्रह), कविता के दरवेश: दरवेश भारती, एक चिड़िया धड़कनों में (माहेश्वर तिवारी के प्रतिनिधि नवगीत), उम्मीद (हिन्दी भाषा की प्रेरक कविताएँ)
पुरस्कार/सम्मान- उ०प्र० हिन्दी संस्थान, लखनऊ से हरिवंश राय बच्चन युवा गीतकार सम्मान, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन से शताब्दी सम्मान सहित देशभर की विभिन्न संस्थाओं से सम्मानित।
पता- सरस्वती निवास, चट्टी रोड, रतनपुर, बेगूसराय (बिहार)- 851101
मोबाइल- 8240297052