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दास्तान ए बीबीघर (बीबीघर हत्याकाण्ड)- अनूप कुमार शुक्ला

दास्तान ए बीबीघर (बीबीघर हत्याकाण्ड)- अनूप कुमार शुक्ला

कानपुर शहर मे बीबीघर नामक एक छोटा सा भवन था। इसे किसी अंग्रेज अफसर ने अपनी हिन्दुस्तानी बीबी (प्रेयसी) के लिए बनवाया जो बीबीघर कहा जाने लगा । इसमे 6 गज लम्बा आँगन था और इसके दोनो ओर 20 फुट लम्बे व 16 फुट चौड़े दो कमरे थे।

कानपुर शहर मे बीबीघर नामक एक छोटा सा भवन था। इसे किसी अंग्रेज अफसर ने अपनी हिन्दुस्तानी बीबी (प्रेयसी) के लिए बनवाया जो बीबीघर कहा जाने लगा । इसमे 6 गज लम्बा आँगन था और इसके दोनो ओर 20 फुट लम्बे व 16 फुट चौड़े दो कमरे थे। इन कमरों के सामने बरामदे थे। कमरों के दोनो ओर पाखाने व स्नानघर बने थे और परिसर मे ही एक कुआं भी था। यहाँ पर कुछ समय पहले तक बीबीघर में एक यूरेशियन परिवार रहता था परन्तु क्रान्ति के प्रारम्भ होते ही वह परिवार चला गया और बीबीघर खाली पड़ा था।

27 जून 1857 को सत्तीचौरा घाट हत्याकाण्ड मे बचाये गये सवा सौ अंग्रेज स्त्रियाँ व बच्चे सवादा कोठी मे रखे गये थे जो बाद नाना साहब पेशवा के निर्देश पर बीबीघर लाकर रखे गये। यहाँ पर फतेहगढ़ से आ रही नाव मे पकड़े गये अंग्रेज अफसर व स्त्रियाँ व बच्चे भी यहीं रखे गये उस समय बीबीघर मे कुल 3 अंग्रेज अफसर 73 महिलाएं व 124 बच्चे बन्द थे। बीबीघर मे बन्द अंग्रेज स्त्रियों व बच्चो की व्यवस्था का काम पेशवा बाजीराव द्वितीय के आश्रय मे रही हुसेनी खानम को सौपा गया जो बेगम के नाम से ख्यात थी। बीबीघर पर नाना साहब पेशवा के सैनिकों का पहरा लगा दिया गया। बीबीघर के पास ही नाना साहब पेशवा ने नूर मुहम्मद के ओल्ड कानपुर होटल मे डेरा डाले रहे।

इधर 15 जुलाई 1857 को जब जनरल हैवलक की फौज पाण्डु नदी पार कर कानपुर जिले की सीमा मे प्रवेश किया तो क्रान्तिकारियों के पैर उखड़ने लगे फिर भी उन्होने मोर्चा लिया। इस युद्ध मे बाला साहब के कन्धे मे गोली लगी और वह घायल हो गये नाना साहब ने उन्हें रणकुशल की उपाधि प्रदान की । इसके बाद महराजपुर व अहिरवाँ मे भी मोर्चा लिया गया । लेकिन 17 जुलाई 1857 को अंग्रेज फौज ने कानपुर पर कब्ज़ा कर लिया था।

नाना साहब पेशवा ने कानपुर छोड़ दिया और बिठूर पहुँच कर रात्रि मे ही पलायन कर गये । 16 जुलाई 1857 की रात्रि में बेगम हुसैनी खानम ने इतवरिया से कुछ जल्लाद बुलाए और सभी बन्द अंग्रेज कैदियों का कत्ल करा दिया और सुबह 17 जुलाई 1857 को सभी शवों को बीबीघर के अहाते के कुएँ मे डलवा दिया गया । 17 जुलाई को कानपुर मे अंग्रेजो ने कब्जा कर 18 जुलाई को बीबीघर व उक्त कुएँ का निरीक्षण किया ।

अनूप कुमार शुक्ल
महासचिव कानपुर इतिहास समिति


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रचनाकार परिचय

अनूप कुमार शुक्ल

ईमेल :

निवास : कानपुर (उत्तर प्रदेश)

जन्मतिथि- 13 जुलाई 1971
जन्मस्थान- मैथा, मारग कानपुर देहात
लेखन विधा- स्थानीय इतिहास / पुरातत्त्व/साहित्य/संस्कृति
शिक्षा- परास्नातक हिन्दी
सम्प्रति- राजकीय सेवा एवं स्वतंत्र लेखन 
प्राकाशन- स्फुट
सम्मान- बहुत सी संस्थाओं से मानपत्र व सम्मानोपाधियों से अलंकृत
विशेष- "लिविंग इन्सक्लोपीडिया " के रूप में ख्यात
संपर्क- केनाल कालोनी गोविन्दनगर कानपुर नगर
मोबाइल- 9140237486