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ध्यान (Meditation) क्या, क्यों और कैसे- डॉ० दीप्ति तिवारी

ध्यान (Meditation) क्या, क्यों और कैसे- डॉ० दीप्ति तिवारी

जैसे-जैसे मानसिक ऊर्जा का बिखराव कम होता है, व्यक्ति का तनाव कम होने लगता है और जैसे-जैसे ऊर्जा को केन्द्रित करने का अभ्यास होने लगता है, व्यक्ति की मानसिक क्षमताएँ बढ़ने लगती हैं।

तनाव या Stress आजकल की जीवन शैली का एक अभिन्न अंग बन गया है। स्कूल जाने वाले छोटे-छोटे बच्चों से लेकर काम-काजी व्यक्ति और सेवानिवृत्त बुजुर्ग व्यक्ति, हर कोई किसी ना किसी वजह से तनाव में रहता है और लगभग हर व्यक्ति को यह पता है कि ध्यान-साधना तनाव को दूर करने का एक कारगर उपाय है लेकिन ध्यान के संबंध में लोगों के मन में आमतौर पर कुछ सवाल रहते हैं। जिनके उचित उत्तर ना मिल पाने की स्थिति में व्यक्ति ध्यान साधना में अपने मन को नहीं रमा पाता। तो आइए, हम ध्यान से संबंधित कुछ बुनियादी सिद्धान्तों को जानने-समझने की कोशिश करते हैं ।
बहुत ही साधारण शब्दों में कहा जाए तो ध्यान एक मानसिक व्यायाम है जिसमें Relaxation Focus और awareness शामिल है। जिस तरह शारीरिक क्षमता को बढ़ाने के लिए शारीरिक व्यायाम किए जाते हैं । उसी तरह मानसिक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए ध्यान किया जाता है। ध्यान के नियमित अभ्यास से हमारा शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। ध्यान से होने वाले कुछ फ़ायदे निम्न हैं:-
(1) तनाव को कम करना
(2) चिंता, व्यग्रता व अवसाद को कम करना।
(3) Sleep Disorder को कम करना।
(4) एकाग्रता व स्मरणशक्ति को बढ़ाना।
(5) अपने व्यवहार व भावनाओं पर बेहतर नियन्त्रण होना।
(6) रचनात्मक व प्रसन्नता में वृद्धि।
(7) मानसिक शक्ति व स्पष्टता का अनुभव करना।
(8) चेतना का विस्तार होना जिससे व्यक्ति अपने जीवन को बेहतर तरीक़े से जी पाता
है।
ध्यान करने के कई तरीक़े या विधियाँ प्रचलित हैं। कोई ईश्वर के स्वरूप पर ध्यान केन्द्रित करने को कहता है, कोई किसी मंत्र या धुन पर ध्यान केन्द्रित करने को कहता है। कोई शरीर में होने वाले एहसासों पर ध्यान देने को कहता है तो कोई गाइड के द्वारा दिए जा रहे निर्देर्शों के अनुसार अपनी सोच को दिशा देने की सलाह देता है। कहने को ये सब अलग-अलग प्रकार के ध्यान हैं। जिनको हम अलग-अलग नामों से जानते हैं। जैसे- Mindfulness, Meditation, Guided meditation, Zen Meditation, Spiritual Meditation, Mantra Meditation, Music Meditation इत्यादि लेकिन इन सभी विद्याओं में जो एक मूलभूत समानता है वो यह है कि ये सभी ध्यान व्यक्ति की मानसिक ऊर्जा के बिखराव को रोककर उसे एक दिशा में केन्द्रित करने का अभ्यास करवाते हैं। जैसे-जैसे मानसिक ऊर्जा का बिखराव कम होता है, व्यक्ति का तनाव कम होने लगता है और जैसे-जैसे ऊर्जा को केन्द्रित करने का अभ्यास होने लगता है, व्यक्ति की मानसिक क्षमताएँ बढ़ने लगती हैं।
अतः तरीक़ा कोई भी हो, नियमित ध्यान का अभ्यास बच्चों से लेकर बूढ़ों तक हर किसी के लिए लाभदायक है। ध्यान का सर्वश्रेष्ठ समय प्रातः काल का है जब वातावरण में शांति होती है। शाम का समय भी ध्यान के लिए अच्छा है जब हम दिन भर की भाग-दौड़ से निवृत्त हो चुके हों और दिमाग़ में ज़्यादा हलचल ना हो। ध्यान के लिए किसी शांत जगह का चुनाव करें। जहाँ कोई डिस्टर्ब ना हो। ध्यान के समय आपका शरीर ऐसी अवस्था में होना चाहिए जिसमें आप कुछ समय आसानी से बैठ सकें, अन्यथा आपका ध्यान सिर्फ़ शरीर पर ही टिका रहेगा। किन्तु यह भी ख्याल रखना है कि इतनी आरामदायक स्थिति भी ना हो जाए कि आप सो जायें। यह भी ध्यान रखना है कि ध्यान का अभ्यास करते समय ना तो आपको तेज़ भूख लगी हो ओर ना ही भरपेट खाने के तुरन्त बाद ध्यान करना है । अर्थात आपकी शारीरिक स्थिति ऐसी होनी चाहिए जिसमें आप मानसिक ऊर्जा पर ध्यान लगाकर उसको केन्द्रित करने में सफल हो सकें।

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रचनाकार परिचय

दीप्ति तिवारी

ईमेल : deptitew@gmail.com

निवास : कानपुर(उत्तर प्रदेश)

नाम- डॉ० दीप्ति तिवारी 
जन्मतिथि- 30 सितंबर 1972 
जन्मस्थान- कानपुर (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा- एम बी बी एस, एम ए (मनोविज्ञान),डिप्लोमा ( मेंटल हेल्थ), पी जी  डिप्लोमा(काउंसलिंग एंड बिहैवियर मैनेजमेंट), पी जी डिप्लोमा(चाइल्ड साइकोलजी), पी जी डिप्लोमा(लर्निंग डिसबिलिटी मैनेजमेंट)
संप्रति- फैमिली फिजीशियन एंड काउन्सलर, डायरेक्टर, संकल्प स्पेशल स्कूल, मेडिकल सुपरिन्टेंडेंट, जी टी बी हॉस्पिटल प्रा. लि. 
प्रकाशन- learning Disability: An Overview 
संपर्क- फ्लैट न. 101 , कीर्ति समृद्धि अपार्टमेंट, 120/806, लाजपत नगर, कानपुर(उत्तर प्रदेश)
मोबाईल- 9956079347