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डिसलैक्सिया- नूपुर चौहान

डिसलैक्सिया- नूपुर चौहान

नमस्कार मैं इस लेख में आज  डिस्लेक्सिया के विषय में बात करूँगी  अपना लेख शुरू करने से पहले सभी लोगों से एक बात कहना चाहूँगी कि अगर आपके आसपास किसी बच्चे को डिस्लेक्सिया है तो उस बच्चे की परेशानी को समझने की कोशिश करें और उसका मज़ाक कतई न बनाए। -
औरों से अलग होने का मतलब गलत होना बिल्कुल भी नहीं हैं। 

नमस्कार मैं इस लेख में आज  डिस्लेक्सिया के विषय में बात करूँगी  अपना लेख शुरू करने से पहले सभी लोगों से एक बात कहना चाहूँगी कि अगर आपके आसपास किसी बच्चे को डिस्लेक्सिया है तो उस बच्चे की परेशानी को समझने की कोशिश करें और उसका मज़ाक कतई न बनाए। -
औरों से अलग होने का मतलब गलत होना बिल्कुल भी नहीं हैं। 
प्रत्येक बच्चा अपने माता- पिता और परिवार के जीवन की सबसे बड़ी ख़ुशी होता है इसीलिए हर माता- पिता अपने बच्चे के भविष्य को मज़बूत बनाने के लिए उसे बेहतरीन शिक्षा प्रदान करते है। कई बार माता - पिता की तमाम कोशिशों के बाद जब बच्चा अपनी शिक्षा से जुड़ी सामान्य और साधारण चीज़ों को सीख नहीं पाता तो उसके माता- पिता को बहुत निराशा और दुख होता हैं। जब माता- पिता अपने बच्चे की उम्र के दूसरे बच्चे को शिक्षा से जुड़ी सामान्य चीज़ें आसानी से सीखते हुए देखते हैं तो  उन्हें लगता है कि उनका बच्चा मक्कारी कर रहा हैऔर वो कोशिश ही नहीं कर रहा है और माता- पिता पर गुस्सा करते है। बच्चा भी उन्हें ये समझाने की बच्चा भी उन्हें ये समझाने की कोशिश करता है कि वह भरसक प्रयास करने के बाद भी वह स्वयं की शिक्षा को सामान्य ढंग से ग्रहण नहीं कर पा रहा है। ऐसी स्थिति में जब कोई बच्चे की बात को नहीं समझता हैं तो वो कुंठित होने लगता है। 
आइये अब जानते हैं डिस्लेक्सिया रोग के विषय में –
डिस्लेक्सिया सीखने में विशेष तरह की कठिनाई का एक आम प्रकार है जो मुख्य रूप से पढ़ने और शब्दों की वर्तनी की क्षमता को प्रभावित करता है। डिस्लेक्सिया एक सीखने की अक्षमता है जो तंत्रिका तंत्र से सम्बंधित हैं इससे ग्रस्त बच्चे सामान्य बच्चों से पढ़ाई में पिछड़ जाते हैं। इसे हिंदी में अधिगम अक्षमता अथवा अपपठन भी कहते हैं
 
डिस्‍लेक्सिया एक तंत्रिका तंत्र से जुड़ी आनुवंशिक बीमारी है। इसलिए इसके लक्षण शरीर में नहीं दिखाई देते। बच्‍चों में भी इसके लक्षण तब समझ में आते हैं जब वे स्‍कूल जाना शुरू करते हैं, जब वे पढ़ना शुरू करते हैं तो उनमे निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं।
• स्पेलिंग को पढ़ने में दिक्कत
• कविता सीखने या उसका खेल खेलने में मुश्किल
• समस्याओं को हल करने, चीजों को याद रखने या समझने में दिक्कत
• शब्दों या अक्षरों में समानता और अंतर करने में कठिनाई
• नयी भाषा सीखने में कठिनाई
• पढ़ाई में अच्छा परफॉर्म न कर पाना
• सुनाई देने पर भी बातों को समझने में देरी होना
• सवालों के जवाब देते समय सही शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर पाना
• एक जैसे शब्दों या पर्यावाची शब्दों में फर्क नहीं बता पाना
• नए शब्दों को बोलने व सीखने में दिक्कत आना
 
            डिस्लेक्सिया का कारण बुद्धिमत्ता नहीं है। इसका संबंध कुछ ऐसे जीन्स से है जो मस्तिष्क के विकास को नियंत्रित करते हैं। यह एक विरासत में मिली हुई स्थिति है जो मस्तिष्क की अक्षरों और शब्दों को समझने की क्षमता को प्रभावित करते हैं।
 
बच्चों में डिस्लेक्सिया के कारण स्कूल में पढ़ने और बातें याद रखने में समस्या आ सकती है। जिसके कारण वह अपने दोस्तों से अलग महसूस कर सकते हैं। डिस्लेक्सिया के कारण बच्चे को केवल एक ही विषय नहीं बल्कि कई या सभी विषय को समझने और याद करने में मुश्किल हो सकती है, वयस्कों को ये बीमारी और अधिक परेशान करती हैं । इसके कारण उनकी नौकरी और रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं।
यह आगे जा के बच्चे को सामाजिक दिक्कतें पैदा कर सकती है। इस स्थिति के कारण बच्चे का आत्मविश्वास कम रहता है, वह लोगों के आगे अपने विचार रखने में हिचकिचाते हैं और साथ ही दोस्त बनाने में मुश्किलें आती है। इसके अलावा डिस्लेक्सिया के कारण बच्चे को अवसाद, तनाव और उसका स्वभाव गुस्सैल हो सकता है।
बच्चों में डिस्लेक्सिया का निदान करना कठिन हो सकता है क्योंकि डिस्लेक्सिया के संकेत हमेशा स्पष्ट नहीं होते हैं। इस बारे में अपने चिकित्सक से बात करे। इसके निदान के लिए चिकित्सक प्रमुखतः दो प्रकार के परीक्षण करते हैं -
प्रश्नावली: बच्चे की भाषा पर कितनी अच्छी पकड़ है इसका पता लगाने के लिए चिकित्सक आपके बच्चे से कुछ सवालों के जवाब देने के लिए कह सकते हैं
मनोवैज्ञानिक परीक्षण: चिकित्सक सामाजिक मुद्दों की जांच करने के लिए आपके बच्चे की मानसिक स्थिति के बारे में प्रश्न पूछ सकता है, ऐसी कोई बात या चिंता जो उसकी क्षमताओं को प्रभावित कर सकती हैं
इसका इलाज नहीं किया जा सकता लेकिन अगर सही समय पर पता इसका पता चल जाए तो बच्चे को वे काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए जिनमें वह निपुण है यह सत्य हैं कि अभी तक चिकित्सा विज्ञान में इस बीमारी का कोई इलाज नहीं हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं हैं कि इस बीमारी से पीड़ित बच्चे जीवन में कुछ कर नहीं सकते हैं , वे भी बहुत कुछ कर सकते हैं जरुरत हैं तो सिर्फ उन्हें समझने और सही दिशा देने की इसीलिए कभी भी उम्मीद और हिम्मत न हारे।
 
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1 Total Review
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Nahid Tungekar

10 December 2024

Bahut khoob. Bahut hi khoobsurat tareeke se baat batayi gayi hai. Thank you Noopur.

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रचनाकार परिचय

नूपुर चौहान 

ईमेल : noopur25051989@gmail.com

निवास : कानपुर (उत्तर प्रदेश)

जन्मतिथि-25 मई, 1990
जन्मस्थान- कानपुर
शिक्षा- बी.ए. 
सम्प्रति- ट्यूशन टीचर 
प्राकाशन- लेख
सम्मान- सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग व्यक्ति २०१७
प्रसारण - दिसम्बर 2024
विशेष- कौन बनेगा करोड़पति 2019 में प्रतिभागिता
पता- गाँधी ग्राम कानपुर 
मोबाइल- 8799216651