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डॉ० नागेश पाण्डेय 'संजय' के बालगीत

डॉ० नागेश पाण्डेय 'संजय' के बालगीत

ख़ूब लगन से पढ़ोगे तब ही-
अच्छे नम्बर पाओगे, 
अच्छे नम्बर पाकर ही तो
अच्छे छात्र कहाओगे । 
अपनी क़िस्मत को भइया ।
ख़ुद गढ़ने के दिन हैं।

सैर पहाड़ों की
 
अहा! छुट्टियों में की मैंने
सैर पहाड़ों की।
 
दूर-दूर तक बस, हरियाली ही
हरियाली थी। 
झर-झर झरते झरनों की छवि,
बहुत  निराली थी। 
ऊँचे-नीचे, टेढ़े-मेढ़े
पतले रस्ते थे। 
लोग वहां के मेहनतक़श थे,
खुलकर हँसते थे। 
मौसम कुछ अलबेला ही था,
बड़ा झमेला था। 
दिन थे भैया गरमी वाले,
रातें जाड़ों की।
 
ख़ूब खुबानी, लीची हमने,
तोड़-तोड़ खाईं। 
बाल मिठाई पूरे तीन किलो
थी  मँगवाई ।
खिले फूल थे ख़ूब घाटियों में
जाकर तोड़े। 
स्केटिंग की और बर्फ़ के
गोले भी फोड़े। 
नाचे कूदे हो-हो  कर, जी भर
चिल्लाए हम,
जब भी कभी सुनाई दी, आवाज़ 
नगाड़ों की।
 
अहा छुट्टियों में की मैंने
सैर पहाड़ों की।



पढ़ने के दिन
 
कॉपी और किताब निकालो,
पढ़ा लिखा फिर से दोहरा लो,
नहीं चूक अब करो तनिक ये
पढ़ने के दिन हैं।
जीवन में आगे ही आगे
बढ़ने के दिन हैं
 
ख़ूब लगन से पढ़ोगे तब ही-
अच्छे नम्बर पाओगे, 
अच्छे नम्बर पाकर ही तो
अच्छे छात्र कहाओगे । 
अपनी क़िस्मत को भइया ।
ख़ुद गढ़ने के दिन हैं।
 
नहीं चूक अब करो तनिक
ये पढ़ने के दिन हैं।
 
नींद कहेगी सोओ, तुमसे
खेल कहेगा खेलो-
और कहेगा मन टाइम है
तब तक घूमो टहलो ।
इन सारी बाधाओं से ही 
लड़ने के दिन हैं।
 
नहीं चूक अब करो तनिक
ये पढ़ने के दिन हैं।



जाम
 
जाम, जाम, जाम।
लगा है जाम, जाम, जाम।
 
भीड़ भड़क्का, धक्कम धक्का,
ठेलम ठेला जी
लगता जैसे लगा सड़क पर,
कोई मेला जी।
होने आई शाम,
जाम, जाम, जाम।
हर कहीं जाम, जाम, जाम।
 
एंबुलेंस, स्कूल वैन भी
खड़ी हुईं गुमसुम,
बीच राह में गाय फँसी है
हिला रही है दुम।
हर कोशिश नाकाम,
जाम, जाम, जाम।
हर कहीं जाम, जाम, जाम।
 
इतने लोग कहाँ से आए ?
सोच रही मुनिया।
आबादी के आगे छोटी
लगती है दुनिया।
क्या होगा अंजाम ?
जाम, जाम, जाम।
हर कहीं जाम, जाम, जाम।
 


बिट्टो रानी क्यों गुमसुम ?
 
बिट्टो रानी यों गुमसुम,
क्यों बैठी हो बोलो, तुम?
 
मम्मी ने है मारा क्या?
पापा ने फटकारा क्या ?
क्या भैया ने चिढ़ा दिया ?
दीदी ने मुँह बना दिया ?
खींच किसी ने दी चोटी,
जो लगती बिल्ली की दुम ?
बोलो, बोलो क्यों गुमसुम ?
 
नहीं किसी ने मारा जी,
और नहीं फटकारा जी।
सभी मुझे करते हैं प्यार,
नहीं कभी होती तक़रार।
घंटे भर से खोज रही,
चॉकलेट मेरी है गुम।
इसीलिए बैठी गुमसुम।
 
बोलो तुमने पाई क्या,
सच बतलाओ, खाई क्या?
या फिर कहीं छिपाई क्या ?
होगी अब भरपाई क्या?
डिब्बा लाकर दें पापा,
दादी अम्मा, करो हुकुम।
 
बिट्टो रानी यों गुमसुम।



मेरे घर में हुई पुताई
 
मेरे घर में हुई पुताई,
भैया ! समझो शामत आई। 
पूरे घर में मचा झमेला,
बच्चे-बड़े सभी ने झेला। 
कमरे किए गए जब ख़ाली,
सबसे ही मेहनत करवा ली। 
पापा तक आए उलझन में,
कितना झुँझलाए थे मन में। 
कैसे बाहर हो अलमारी?
कहाँ रखें ये चीज़ें सारी?
बाहर सब सामान निकाला,
घर लगता था गड़बड़ झाला। 
 
हुआ कहीं गुम मेरा बस्ता,
खोज-खोज हालत थी ख़स्ता। 
गद्दे में जब उसको पाया,
चैन तब कहीं जाकर आया। 
 
सात दिनों तक हुई पुताई,
घर में फिर रौनक़ थी आई। 
फिर से सब सामान सजाया,
हिप-हिप हुर्रे सबने गाया।

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रचनाकार परिचय

नागेश पाण्डेय 'संजय'

ईमेल : dr.npsanjay@gmail.com

निवास : शाहजहाँपुर (उत्तर प्रदेश)

नाम- डॉ० नागेश पाण्डेय ‘संजय'
जन्मतिथि- 02 जुलाई 1974, 
जन्मस्थान- खुटार, शाहजहांपुर
शिक्षा- एम. ए.(हिंदी, संस्कृत, दर्शन शास्त्र); एम. कॉम.; एम. एड; पी-एच.डी.(बाल साहित्य), नेट, स्लेट
प्रकाशित पुस्तकें-
प्रौढ़ कविता संग्रह- तुम्हारे लिए
आलोचना- 1.बाल साहित्य के प्रतिमान, 2.बाल साहित्य : सृजन और समीक्षा  3.बाल साहित्य का शंखनाद 4.समकालीन बाल साहित्य की दिशा : डॉ. शकुंतला कालरा (संपादित)
बाल उपन्यास- टेढ़ा पुल
बाल कहानी संग्रह- 1.नेहा ने माफ़ी माँगी  2.आधुनिक बाल कहानियाँ  3.अमरुद खट्टे हैं  4. मोती झरे टप  टप  5.अपमान का बदला  6.भाग गए चूहे  7.दीदी का निर्णय  8.मुझे कुछ नहीं चहिये  9.यस सर नो सर (कन्नड़ में भी प्रकाशित) 10.सूझबूझ की कहानियाँ 11.नटखट बाल कहानियाँ
बाल काव्य- 1.यदि ऐसा हो जाए 2.जो बूझे वह चतुर सुजान (पहेलियाँ) 3.रोचक बाल कविताएं 
शिशु गीत संग्रह- 1.चल मेरे घोड़े  2.अपलम चपलम  3.लारी लप्पा  4.बंदर मामा का तरबूज  5.चालू लालू  6.हाथी को जुकाम  7.आओ गाओ अक्षर गीत
बाल एकांकी संग्रह- छोटे मास्टर जी
चित्र पुस्तक- 1.कद्दू की दावत  2.पीठ पर बस्ता
सम्पादित संकलन- 1.न्यारे गीत हमारे  2.किशोरों की श्रेष्ठ कहानियाँ  3. बालिकाओं की श्रेष्ठ कहानियाँ  4.इन्द्रधनुषी बाल कहानियाँ  5.ग्रामीण परिवेश की बाल कहानियाँ  6.श्रेष्ठ बाल पहेलियाँ  7.चाईं माईं खेलो
अनूदित पुस्तकें- 1.लारी लप्पा (ओड़िया में शिशुगीत)  2.यस सर नो सर (कन्नड़ में किशोर कहानियां) 3.डोंकु सेतुबे (टेढ़ा पुल का कन्नड़ अनुवाद) 4.बंका पुल (टेढ़ा पुल का ओड़िया अनुवाद)  5.The Serpentine Bridge (टेढ़ा पुल का अंग्रेजी अनुवाद) 6. बनकदार पुल (मराठी) 
सम्मान / पुरस्कार- उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ से दो बार, शकुंतला सिरोठिया बाल साहित्य पुरस्कार समिति, प्रयाग, भारतीय बाल कल्याण संस्थान, कानपुर, बालकन जी बारी इंटरनेशनल, नई दिल्ली, नेपाल बाल साहित्य समाज, काठमांडू, भाऊराव देवरस सेवा न्यास, लखनऊ, चिल्ड्रंस बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली,भारतीय पत्रकारिता संस्थान, बरेली, निरंकार देव सेवक बाल साहित्य समीक्षक शिरोमणि सम्मान, बरेली, मनीषिका, कोलकाता, हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग, बाल वाटिका बाल साहित्य आलोचना सम्मान,भीलवाड़ा, ओडिया शिशु साहित्य गवेषणा परिषद, भद्रक द्वारा भुवनेश्वर में सम्मान, बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केंद्र, भोपाल,  सृजन सम्मान, समन्वय, सहारनपुर, साहित्य मंडल, नाथद्वारा , स्पेनिन  सम्मान, रांची, साहित्य वेदिक सम्मान, कर्नाटक, आकाशगंगा साहित्य सम्मान, लखनऊ इत्यादि ।
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