Ira
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डॉ० रवीन्द्र प्रभात के हाइकु

डॉ० रवीन्द्र प्रभात के हाइकु

उनका लोहा
मेरी केवल धार
मैं फटेहाल।

भागते बच्चे
हवा से होड़ लेके
बदहवास।


रार ठानूँगा
जाऊँगा शिखर पे
मैं न मानूँगा।


पियासी रही
समंदर पीकर
नदी बेचारी।


पढ़ेगी बेटी
दुनिया जहान में
बढ़ेगी बेटी।


साजन आया
दूर देश से लेके
नयी बीमारी।


नदी गहरी

डूबते का सहारा
छोटा तिनका।


दर्द जो मिले
उसको ढो लीजिए
यही ज़िन्दगी।


सगुन उठा
धूप को लगी हल्दी
ओट में सर्दी।


सोयी है धूप
रखें कहाँ पइयाँ
बोलो न सैयाँ।


उनका लोहा
मेरी केवल धार
मैं फटेहाल।


श्रम ही पूजा
श्रम इबादत है
हमारे लिए।


टूटते मिथ
चटखती आस्थाएँ
कौन मुस्काए।


गौरैया आयी
आँगन में चहकी
मंगल गायी।

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रचनाकार परिचय

रवींद्र प्रभात

ईमेल : ravindra.prabhat@gmail.com

निवास : लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

नाम- डॉ. रवीन्द्र प्रभात
जन्म तिथि- 05.04. 1963
शिक्षा- पत्रकारिता एवं जन संचार में स्नातकोत्तर, पी-एच.डी.।
प्रकाशन/संपादन- एक काव्य संग्रह ‘‘स्मृति शेष‘‘, दो गजल संग्रह क्रमशः ‘‘हमसफर‘‘ एवं ‘‘मत रोना रमजानी चाचा‘‘, सात उपन्यास क्रमशः ‘‘ताकि बचा रहे लोकतन्त्र‘‘, ‘‘प्रेम न हाट बिकाए‘‘, ‘‘धरती पकड़ निर्दलीय‘‘, ‘‘लखनौआ कक्का‘‘, ‘‘कश्मीर 370 किलोमीटर‘‘ , "धरतीपुत्री सीता" और "प्रतिश्रुति" तीन संपादित पुस्तक क्रमशः ‘‘समकालीन नेपाली साहित्य‘‘, ‘‘हिन्दी ब्लॉगिंगः अभिव्यक्ति की नई क्रान्ति‘‘ और ‘‘हिन्दी के विविध आयाम‘‘ (राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य मे) तथा एक हिन्दी ब्लॉगिंग पर आधारित आलोचना की पुस्तक ‘‘हिन्दी ब्लॉगिंग का इतिहास‘‘ प्रकाशित है। सोशल मीडिया पर दो चर्चित पुस्तक " हिन्दी ब्लॉग: अभिव्यक्ति की नई क्रांति" एवं "मीडिया और सोशल मीडिया" के सह लेखक।
व्यक्तित्व और कृतित्व पर शोध- डॉ सियाराम की शोध पुस्तक ‘‘रवीन्द्र प्रभात की परिकल्पना और ब्लॉग आलोचना कर्म‘‘ अभी हाल ही प्रकाशित।
अनुवाद- उनके बेहद चर्चित उपन्यास कश्मीर 370 किलोमीटर को गौतम रॉय ने अंग्रेजी में अनुवाद किया है जिसका नाम है "Echoes of the Getaway" . यह उपन्यास अंग्रेजी के वेस्ट सेलर में शामिल है।
विशेष- हिन्दी के मुख्य ब्लॉग विश्लेषक और सोशल मीडिया एक्सपर्ट। देश-विदेश के लगभग सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में तथा दो दर्जन से अधिक सहयोगी संकलनों में उनकी 200 से ज्यादा रचनाएँ संकलित। लगभग एक दर्जन से अधिक ग्रन्थों के वे सर्जक, संपादक तथा अनेक सम्मानों से विभूषित हिन्दी के लब्ध प्रतिष्ठ साहित्यकार। साथ ही शोध, समीक्षा, व्यंग्य, कविता, गजल, निबंध, हाइकू तथा लघुकथा के विशिष्ट और अग्रणी हस्ताक्षर हैं। सुप्रसिद्ध समीक्षकों के द्वारा उनके अनेकानेक शोधात्मक, समीक्षात्मक आलेख प्रकाशित किए जा चुके हैं। देश की अनेक संस्थाओं तथा पत्रिकाओं के संरक्षक और अनेक राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ-ग्रन्थों, कोश ग्रन्थों, इतिहास ग्रन्थों में परिचय प्रकाशित। विकिपीडिया पर 48 भाषाओं में परिचय प्रकाशित। लखनऊ से प्रकाशित हिन्दी दैनिक ‘‘जनसंदेश टाईम्स‘‘ और ‘‘डेली न्यूज एक्टिविस्ट‘‘ के नियमित स्तंभकार रह चुके हैं। व्यंग्य पर आधारित लोकप्रिय साप्ताहिक स्तंभ ‘‘चौबे जी की चैपाल‘‘ के स्तंभकार। हिन्दी ब्लॉग आलोचना का सूत्रपात करने वाले तथा हिन्दी ब्लॉगिंग का इतिहास लिखने वाले वे पहले इतिहासकार। ब्लॉग साहित्यिक पुरस्कार ‘‘परिकल्पना सम्मान‘‘ के संस्थापक।
सम्मान- साहित्य एवं ब्लॉगिंग में उल्लेखनीय योगदान के लिए क्रमशः ‘‘ब्लॉगश्री‘‘, ‘‘ब्लॉग विभूषण‘‘ के साथ-साथ ‘‘संवाद सम्मान‘‘ (वर्ष 2009), ‘‘प्रबलेस हिन्दी चिट्ठाकारिता सम्मान‘‘ (वर्ष 2010), ‘‘बाबा नागार्जुन जन्मशती कथा सम्मान‘‘ (वर्ष 2011), ‘‘साहित्यश्री सम्मान‘‘ (वर्ष 2012) आदि सम्मानों से विभूषित और समादृत।
सम्प्रति- साहित्यिक संस्था ‘‘परिकल्पना‘‘ के ‘‘महासचिव‘‘ तथा मासिक पत्रिका ‘‘परिकल्पना समय‘‘www.parikalpnasamay.com के प्रधान संपादक हैं।
संपर्क- प्रधान संपादकः परिकल्पना समय (हिन्दी मासिक), एस॰ एस॰ 107, सेक्टर-एन-1, संगम होटल के पीछे, अलीगंज, लखनऊ-226024 (उ.प्र.)
मोबाइल- 09415272608