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डॉ० सुरंगमा यादव के हाइकु

डॉ० सुरंगमा यादव के हाइकु

प्रकृति कहे
मुझसे बड़ा कौन
उत्तर मौन।

तुमको पाया
वैशाख तपन में
सावन आया।


अपनापन
सहज सुने मन
मौन क्रन्दन।

यादों में खोयी
बिन बोले सुन लूँ
कागा की बोली।


चाँद छलनी
छन रही चाँदनी
छाने यामिनी।


निखरा खूब
चाँद को देखकर
निशा का रूप।


कितना सींचे
पत्थरों पर कब
उगे बगीचे।



राही सुस्ताते
वृक्ष खडे़ मुस्काते
छतरी ताने।



आँधी का वार
पेडों ने झुककर
बनायी ढाल।


नींद सजाये
नयनों में आकर
स्वप्न रंगोली।



प्रकृति कहे
मुझसे बड़ा कौन
उत्तर मौन।


जन्म-मरण
विपरीत दिशा में
चले दो राही।


पथिक बिन
सूनी सड़कों पर
भटके दिन।

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रचनाकार परिचय

सुरंगमा यादव

ईमेल :

निवास : लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

नाम- डॉ0 सुरंगमा यादव
जन्मतिथि-
जन्म स्थान- बदायूँ (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा-
सम्प्रति- असिस्टेंट प्रोफेसर- हिंदी विभाग
प्रकाशित पुस्तकें-
* वंशीधर शुक्ल का काव्य
* यादों के पंछी (हाइकु-संग्रह)
* विचार प्रवाह (लेख)
* भाव प्रकोष्ठ (हाइकु-संग्रह)
* संपादित पुस्तकें- 08
* प्रकाशित शोधपत्र- 35 से अधिक
आयोजन/प्रतिभाग- अनेक सेमिनारों एवं वेबिनारों का आयोजन एवं प्रतिभाग।
सम्मान एवं पुरस्कार- राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान उ0प्र0 का वर्ष 2021-22 का ‘रामधारी सिंह ‘दिनकर’ (100000/- की धनराशि सहित) पुरस्कार तथा 5 सितम्बर 2021 को लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा प्राप्त सम्मान पत्र सहित अन्य अनेक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित।
संपर्क- महामाया राजकीय महाविद्यालय, महोना, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
मोबाइल- 800284735