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फेसबुक की बतकही- डॉ० मीनू अग्रवाल

फेसबुक की  बतकही- डॉ० मीनू अग्रवाल

डॉ० मीनू अग्रवाल व्यवसाय से बच्चों की डॉ० हैं। अपने मन में उमड़ रहे विचारों के सैलाब को फेसबूक के पटल पर शब्दों के माध्यम से दिशा देने का कार्य करती हैं। आज के आलेख में आप बेतुके सपनों के विषय पर बात कर रही हैं। 

बेतुके सपने

शीर्षक पढ़कर चौंक गए होंगे आप, और जो हैं सपनों के हिमायती वो हो गए होंगे नाराज़ !
सपने भी भला बेतुके हो सकते हैं ?? 
सपने तो रूमानी होते हैं, कोमल होते हैं,महत्वकांक्षी होते हैं ।
सपनों से ही तो उड़ान संभव है वरना तो ज़िन्दगी घिसटती ही रहे !
ठीक कह रहे हैं, ठीक कह रहे हैं ।
पर, मैं इन सपनों की बात नहीं कर रही, ये तो चैतन्य सपने हैं !
 
सुप्तावस्था के सपने अगर याद हों तो सोचिए उनको; होते हैं न अक्सर बेमेल ।
बचपन वाले गाँव को विदेशी माहौल से रंगेंगे, वृद्ध जोड़ों के दर्द से पीड़ित माँ  को वनों में दौड़ा देंगे, सख़्त पिता को बेतहाशा हँसते हुए दिखा देंगे, किसी अनजान चेहरे को घर का सदस्य बता देंगे, वगैरह, वगैरह !
 
न मेल का ध्यान, न ही किसी क्रम का !
 
बुढ़ापा, बचपन, जवानी, झूले, नदियाँ, जानवर, फूल, पहाड़, गाड़ी, जंगल, हवाई जहाज़….जितना बेतरतीब मैंने लिखा है न, उतने ही गड्डमड्ड तरीके से आते हैं सपने !
 
अक्रमिक, उलझे, अटपटे !
एक शब्द और जोड़ें तो, असंबद्ध !
 
क्या कारण हैं इतने अव्यवस्थित होते हैं सपने ?
और होते क्या हैं सपने ??
सपनों की व्याख्या भले ही मनोविज्ञान का क्षेत्र हो पर इसे नींद प्रक्रिया का एक अंश मानता है न्यूरो साइंस । जागृत अवस्था में जो हम देखते हैं,सुनते हैं, पढ़ते हैं, गुनते हैं वही सारा इन्द्रीय ज्ञान, सुप्तावस्था में दिमाग की कोशिकाएँ व्यवस्थित करके रखती हैं जो समय पड़ने पर स्मरण के लिए सहायक होता है। 
विज्ञान की इस अवधारणा को कल्पना से विस्तार देती हूँ तो सोचती हूँ  कि neurons जब अपने अनगिनत हाथों (पढ़िए dendrites) से ज्ञान समेट उसे दिमाग की विभिन्न अलमारियों में catalogue मुताबिक रखने चलते होंगे तो कुछ लम्हे गिरते भी होंगे और बगल वाले neuron के हाथों उलझ किसी दूसरी अलमारी में सजते होंगे तभी न बेमेल सपने पैदा होते होंगे!
या फिर, जब हमारे गुने हुए ज्ञान को neurons बुनने चलते होंगे तो फंदे dendrites में उलझ इधर से उधर चले जाते होंगे और जो बुनाई तैय्यार हुई वो हुई गड्डमड्ड !!
 
अब, आप ही सोच कर बताएँ क्या सपनों की ऊल जलूलाहट के विषय में मेरा अनुमान 
सही है या बेतुका??


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रचनाकार परिचय

मीनू अग्रवाल

ईमेल : meenu_ag1000@yahoo.co.in

निवास : दुबई (यू. ए. ई.)

नाम- डॉ० मीनू अग्रवाल 
जन्मतिथि- 1961 
जन्मस्थान- मुंबई(महाराष्ट्र)
शिक्षा- एम. बी. बी. एस., एम. डी.(बाल रोग विक्षेसाहगी)
लेखन विधा- आलेख, बाल साहित्य, कविता 
संप्रति- चिकित्सक (बाल रोग विशेषज्ञ)
प्रकाशन- विभिन्न साझा संकलनों एवं पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित 
पता- दुबई (यू.ए.ई.)
मोबाईल- +97 1508549410