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हरेराम 'समीप' की कविताएँ

हरेराम 'समीप' की कविताएँ

वे/ प्रेम से करते हैं घृणा/
और घृणा से करते हैं प्रेम

वे उगाना चाहते हैं/ अतीत
वर्तमान के खेतों में
और फ़सल काटना चाहते हैं/ भविष्य की

एक- मैं और वे

मैं मनुष्यता की
यह पोटली उठाए
जाना चाहता हूँ
जीवन के क्षितिज के उस पार
ख़्वाबों का नया घर बसाने

लेकिन जानता हूँ मैं
वे ले जाना चाहते हैं मुझे
उजाड़ यादों के पुराने कब्रिस्तान में

वे
प्रेम से करते हैं घृणा
और घृणा से करते हैं प्रेम

वे उगाना चाहते हैं
अतीत
वर्तमान के खेतों में
और फ़सल काटना चाहते हैं
भविष्य की

मैं जीना चाहता हूँ
अनंत काल तक
प्रेम से भरे इस आँगन में
लेकिन वे
मार देना चाहते हैं
मुझे
घृणा के नुक्कड़ पर

******************



दो- दम घुट रहा है

सफ़ेद पुलिस के
मजबूत घुटनों के नीचे दबा है
एक काले आदमी का टेंटुआ
वह बुदबुदाता रहा अंत तक-
'मेरा दम घुट रहा है'

कोरोना वायरस
फैफड़ों में तेजी से
जमा रहा है अपना कब्जा
बीमार शरीर शव होने से पहले
फुसफुसाता रहा-
'मेरा दम घुट रहा है'

बाजार के भोग,
लोभ और लालच ने
निचोड़ लिया है
धरती का रस
और वसुंधरा को
पहना दिया है
धुंध, धुआँ और धूल का
विषैला चादर
खाँसते स्वर में
कह रही है ज़िंदगी-
'मेरा दम घुट रहा है'

आत्मा के इर्द-गिर्द
बन रही हैं- घृणा, इर्ष्या और
कट्टरता की नई छावनियाँ
हुंकारों के शोर के बीच से मनुष्यता
पुकार रही है ज़ोर-ज़ोर से-
'मेरा दम घुट रहा है'

******************



तीन- समय का पहाड़

दर्शन माझी!
तुमने समझा दिया हमें
जीवन का मतलब
और मतलब का जीवन,
दिखला दी तुमने
सूक्ष्मता की विराटता
प्रेम की सम्पन्नता

तुमने खोज कर निकाला
सत्य का सत्य
प्रस्तर के गर्भ में आप्लावित
अदम्य जिजीविषा का
नया अमृत कलश

समय के पहाड़ को तोड़ने के लिए
तुमने ही सिखाया हमें
सभ्यता की तराश के लिए
तलाशने होंगे
प्रेम और प्रयत्न के छैनी-हथौडे.

दर्शन माँझी, तुम!
इन्हीं छैनी हथोड़े से एक दिन
धरती के समाप्त होने से
पहले ही सही
ज़रूर तोड़ दोगे
मनुष्यता के ख़िलाफ़ खड़ा
हर ढीठ पहाड़

******************



चार- दो फाँक दुनिया

आधी दुनिया
बर्फीली सर्दी में
बिना रजाई के
काट रही है रात

आधी दुनिया
नंग–धड़ंग
नशे में धुत पड़ी है
वातानुकूलित कमरों में

इस दो फाँक दुनिया के बीच
आज भी बेचैन खड़ी है
कविता

*******************


पाँच- सौदा

वह बहुत ख़ुश है
दूर-दराज पहाड़ी गाँव में
उसके परिजन
पल रहे हैं अब ठीक से
आ जाते हैं रुपए
हर महीने
उनके बैंक खाते में

मोबाइल पर देखा है
उसने
गाँव में अब बन गया है
उसका पक्का घर,
अब ब्याह जायेगी उसकी
छोटी बहन

क्या हुआ जो
वह बिक गयी है
किसी अमीर के बच्चे पालने
दुबई के
इस आलीशान घर में

उसके लिए
नहीं है यह
घाटे का सौदा

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3 Total Review

त्रिलोकी मोहन पुरोहित

29 August 2024

कविताएँ समकालीन होकर भी बहुत दूर तक और वह भी आगे तक जाती हैं। कथ्यगत नवीनता के साथ अनुभूति की सूक्ष्म प्रस्तुति कविताओं को कुछ हटकर रेखांकित कराती हैं। सरलता और सहजता के साथ बौद्धिक-चातुर्य ही इन कविताओं का गुण-सौंदर्य है और, काव्यात्मा भी है। प्रभविष्णुता सम्पन्न कविताओं के लिए बधाई।

आपकी कविताओं में आग है

11 August 2024

आपकी कविताओं में आग है

H

Hareram Sameep

09 August 2024

कविताएँ आपको पसन्द आईं ।उम्मीद है कि पाठकों को भी अच्छी लगेंगी। अपनी राय जरूर लिखें पाठक। धन्यवाद।

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रचनाकार परिचय

हरेराम समीप

ईमेल : sameep395@gmail.com

निवास : फ़रीदाबाद (हरियाणा)

जन्मतिथि- 13 अगस्त, 1951
जन्मस्थान- मेख, नरसिंहपुर (मध्यप्रदेश)
शिक्षा- स्नातक (वाणिज्य एवं विधि), उर्दू अकादमी दिल्ली से एक वर्षीय उर्दू डिप्लोमा
प्रकाशन- हवा से भीगते हुए, आँधियों के दौर में, कुछ तो बोलो, किसे नहीं मालूम, इस समय हम, है तो सही एवं यह नदी ख़ामोश है (ग़ज़ल संग्रह), जैसे, साथ चलेगा कौन, चलो एक चिट्ठी लिखें, आँखें खोलो पार्थ, पानी जैसा रंग, उम्मीदों के द्वार एवं पूछ रहा है यक्ष (दोहा संग्रह), समय से पहले (कहानी संग्रह), मैं अयोध्या एवं शब्द के सामने (कविता संग्रह), बूढा सूरज (हाइकु संग्रह), समकालीन हिंदी ग़ज़लकार : एक अध्ययन (चार खण्डों में), हिंदी ग़ज़ल की परंपरा एवं हिंदी ग़ज़ल की पहचान (आलोचना)
संपादन- समकालीन दोहा कोश, समकालीन महिला ग़ज़लकार, समकालीन ग़ज़ल और डॉ० उर्मिलेश, 'चुनिंदा अशआर' पुस्तक शृंखला, हिंदी ग़ज़ल कोश एवं 'कथाभाषा' त्रैमासिक पत्रिका का संपादन (1985-90)
अनुवाद- नोबेल पुरस्कार विजेता लेखकों के साहित्य (विशेषकर आक्टावियो, पॉज, व नादिन गार्डीमर और लुईस ब्लैक) का अनुवाद कार्य
विशेष- चर्चित दूरदर्शन धारावाहिक 'नक्षत्रस्वामी' की पटकथा व गीत लेखन।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा हरेराम समीप के ग़ज़लों और दोहों पर शोधकार्य।
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय द्वारा 'समकालीन हिंदी ग़ज़ल और हरेराम समीप की ग़ज़लों का अनुशीलन' विषय पर पीएच०डी० हेतु शोधकार्य जारी।
डॉ० वरुण कुमार तिवारी के संपादन में 'हरेराम समीप : व्यक्ति और अभिव्यक्ति' पुस्तक का प्रकाशन।
संपर्क- 395, सेक्टर- 8, फ़रीदाबाद (हरियाणा)- 121006
मोबाइल- 9871691313