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नवसृजन साहित्यिक संस्था द्वारा आयोजित अभिनंदन समारोह एवं काव्य गोष्ठी

नवसृजन साहित्यिक संस्था द्वारा आयोजित अभिनंदन समारोह एवं काव्य गोष्ठी

रुड़की की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था नव सृजन द्वारा डॉ० आनंद भारद्वाज के सम्मान में एक अभिनंदन समारोह एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।

संयुक्त निदेशक माध्यमिक शिक्षा डॉ० आनंद भारद्वाज को शासन द्वारा संस्कृत शिक्षा निदेशक, उत्तराखंड बनाए जाने पर कल देर शाम रुड़की के एक होटल में रुड़की की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था नव सृजन द्वारा उनके सम्मान में एक अभिनंदन समारोह एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। वरिष्ठ साहित्यकार सुबोध कुमार पुंडीर 'सरित' की अध्यक्षता में इस कार्यक्रम का सफल संचालन नवसृजन साहित्यिक संस्था के कोषाध्यक्ष एवं ग़ज़लकार श्री पंकज त्यागी 'असीम 'ने किया। मंच को अध्यक्ष तथा मुख्य अतिथि डाॅ० आनंद भारद्वाज के अतिरिक्त पूर्व प्राचार्य डॉ० श्रीमती मधुराका सक्सेना, वरिष्ठ साहित्यकार श्री कृष्ण सुकुमार, वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार श्री गोपाल नारसन, डॉ० दिनेश त्रिपाठी एवं संस्था के महासचिव किसलय क्रांतिकारी ने सुशोभित किया।

सभी मंचासीन अतिथियों का बैज अलंकरण करने उपरांत सभी ने माॅं सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलन किया। उसके बाद वरिष्ठ साहित्यकार सुरेंद्र कुमार सैनी द्वारा रचित माॅं सरस्वती वंदना का सुमधुर वाचन नगर के जाने-माने कला-प्रेमी व गायक श्री अनिल वर्मा अमरोहवी ने अपने सुमधुर कंठ से किया तथा पूरे सदन की प्रशंसा अर्जित की। सरस्वती वंदना के उपरांत नव सृजन साहित्यिक संस्था के समन्वयक सुरेंद्र कुमार सैनी ने डॉ० आनंद भारद्वाज के सम्मान में लिखे गए अभिनंदन पत्र को पढ़ा। इस अभिनंदन पत्र में विस्तार पूर्वक डॉ० आनंद भारद्वाज की उन उपलब्धियों का उल्लेख किया गया है, जो उन्होंने अपनी योग्यता, प्रतिभा, सत्य निष्ठा, कार्य कुशलता तथा व्यवहार कुशलता के बल पर अर्जित की हैं। सन् 1987 से दिल्ली में यूनियन एकेडमी कनॉट प्लेस में प्रवक्ता (भौतिक विज्ञान) के पद से अपने कैरियर की शुरुआत करके आज सन् 2024 में संस्कृत शिक्षा निदेशक उत्तराखंड के पद पर पहुँचने तक के उनके सफर को उनके दृढ़ संकल्पित होकर जनहित में समर्पित भाव से विभागीय कार्य करने का परिचायक बताया गया है। इस अभिनंदन पत्र को संस्था के पदाधिकारियों तथा मंचासीन सभी अतिथियों ने सामूहिक रूप से सम्मानपूर्वक डॉ० आनंद भारद्वाज को भेंट किया। इसके पूर्व शाल ओढ़ा कर तथा माला पहनाकर उनका तथा सभी मंचासीन अतिथियों का विधिवत स्वागत-सत्कार भी किया गया। इस अवसर पर श्री रणवीर सिंह व श्रीमती दीपिका सैनी तथा अशोक वशिष्ठ सहित अनेक आगंतुकों ने डॉ० भारद्वाज को फूल तथा बुके देकर उनका सम्मान किया। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ० गोपाल नारसन ने अपनी कविता 'आनंदम आनंदम आनंदम/ डॉ० भारद्वाज की उपलब्धियों का आनंदम' सुनाकर सबको रोमांचित कर दिया तथा बाद में उन्होंने इस कविता को अभिनंदन पत्र के रूप में ही डॉक्टर भारद्वाज को भेंट भी किया।

अभिनंदन समारोह के बाद काव्य गोष्ठी का सिलसिला शुरू हुआ, जो देर तक चला। काव्य गोष्ठी में कार्यक्रम का संचालन कर रहे तथा विख्यात शायर पंकज त्यागी 'असीम' की ग़ज़ल 'जाने वो किस ज़मीन के झांसे में आ गया/ भाई मुखाल्फ़ीन के झांसे में आ गया' को बहुत सराहना मिली। डाॅ० मधुराका सक्सेना की कविता 'काया और माया का ऐसा यहाँ खेल है/ सांप और नेवले का ही अब यहाँ मेल है' को भी लोगों ने पसंद किया। जाने-माने ग़ज़लकार एवं गीतकार पंकज गर्ग की ग़ज़ल 'अगर अपना बना लो जान दे दे/ ये पंकज है कभी बिकता नहीं है' तथा प्रसिद्ध साहित्यकार महावीर 'वीर' के मुक्तक 'ख़ुद को दिनकर कहने वाले लाखों फिरते हैं, लेकिन/ रात मिटा कर जो दिन कर दे वह दिनकर कहलाता है' को सदन का भरपूर प्यार मिला। सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री कृष्ण सुकुमार की ग़ज़लों को भी लोगों ने तालियाँ बजाकर अपना समर्थन दिया। डॉ० वंदना भारद्वाज ने अपने उद्बोधन तथा अपने पिता डॉ० आनंद भारद्वाज की लिखी ग़ज़ल 'कोई सोता है महलों में, कोई जंगल में सोता है/ यह किस्सा है नसीबों का, जो लिक्खा है वो होता है' सुनाकर पूरे वातावरण को भावुक कर दिया।

काव्य गोष्ठी में सर्वश्री सौ सिंह सैनी, नवीन शरण 'निश्चल', अशोक वशिष्ठ, अरविंद भारद्वाज, अनुपमा गुप्ता, राम शंकर सिंह तथा योगाचार्य श्री राम कुमार राम ने भी अपनी श्रेष्ठ रचनाओं का पाठ किया। इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य अतिथि डॉ० आनंद भारद्वाज ने इस अभिनंदन कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए नवसृजन साहित्यिक संस्था का धन्यवाद ज्ञापित किया तथा बताया कि संस्कृत शिक्षा निदेशक बनने के उपरांत उन्होंने निर्णय लिया है कि संस्कृत भाषा के विस्तार एवं उन्नयन के लिए कुछ ठोस कार्य ज़मीनी स्तर पर किए जाएँगे, जिसके अंतर्गत उत्तराखंड राज्य में 65 संस्कृत प्रवेशिका विद्यालय स्थापित किए जाएँगे, जिन्हें चलाने के लिए कोई भी सक्षम व्यक्ति या रजिस्टर्ड संस्था आवेदन कर सकती है। इन विद्यालयों में कक्षा 5 तक की संस्कृत शिक्षा दी जाएगी तथा संस्कृत पढ़ाने वाले शिक्षक को मानदेय देने के लिए केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली ने अपनी सहमति भी प्रदान कर दी। डॉ० दिनेश त्रिपाठी ने नव सृजन संस्था को अपना हर संभव सहयोग देने का आश्वासन दिया। संस्था के महासचिव किसलय क्रांतिकारी ने डॉक्टर भारद्वाज को उनकी प्रोन्नति होने पर संस्था की तरफ से शुभकामनाएँ ज्ञापित कीं और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

कार्यक्रम के अंत में अध्यक्ष सुबोध कुमार पुंडीर 'सरित' जी ने एक बहुत ख़ूबसूरत रचना के माध्यम से डॉ० आनंद भारद्वाज का स्वागत किया तथा उन्हें भविष्य में और भी अच्छे और जन कल्याणकारी कार्य करने के लिए प्रेरित किया। इस कार्यक्रम में श्रीमती अल्का त्रिपाठी, श्री रणवीर सिंह रावत, श्रीमती दीपिका सैनी, श्रीमती रश्मि त्यागी, श्री श्याम कुमार त्यागी तथा विराट हिंदुस्तान आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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