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कैलाश बाजपेयी के बालगीत

कैलाश बाजपेयी के बालगीत

एक  पहेली   सी  लगती  है
धरती जब करतब करती  है
हम बच्चे कुछ समझ न पाते
दादा  जी  हमको  समझाते।

बालगीत-1  
 
गोलू-मोलू   थे  दो  भाई
आपस में वे करें  लड़ाई।
दिन भर वे मोबाइल खेलें
काम दूसरे  पर  वे  ठेलें।
 
मोबाइल था उनको अति प्रिय
लगता था   उसमें उनका हिय
पढ़ना-लिखना  भूल  वे  जाते
मोबाइल   में  आँख   गड़ाते।
 
हुई परीक्षा  फेल  हो  गये
पटरी से  डीरेल  हो   गये
मोबाइल ने  खेल  बिगाड़ा
कक्षा में दोनों को पिछाड़ा।
 
बच्चों  मोबाइल  को  छोड़ो
पढ़ने  से  नाता  तुम  जोड़ो
पढ़ो-लिखो व लक्ष्य को पाओ
फिर मोबाइल ख़ूब  चलाओ।



बालगीत-2
 
परी देश से  आई  तितली
बच्चों को भी भायी तितली।
 
रंग-बिरंगी   है  यह  भाई
फूल-फूल पर वह मंँडराई।
 
इतने रंग  कहाँ  से लाई
चित्रकार है उसका भाई।
 
बगिया में वह नित आती है
बच्चों को वह अति भाती है।
 
बच्चे   पीछे   दौड़   लगाते
पकड़ नहीं उसको वह पाते।


बालगीत-3 
 
लंबी रातें दिन  हो  छोटा
दुबला बच्चा लगता मोटा।
 
धूप नरम हमको  लगती  है
आंँख-मिचौली सी करती है।
 
सावधान सबको रहना है
सर्दी से हमको  बचना है।
 
मम्मी  ने  आवाज़  लगाई
लेटो  रोहन  ओढ़  रजाई।
 
कुहरा छँटे धूप तब  आये
लगी  गुनगुनी धूप सुहाये।
 
जाड़े में  यदि  वर्षा  आये
दादा जी को बहुत सताये।
 


बालगीत-4

सुबह-शाम   कैसे  होते  हैं
सूरज-चाँद कहाँ  छिप जाते
बतलाओ  हमको  दादा  जी
फिर कैसे यह नभ पर आते।
 
बादल  बरसाते   हैं  पानी
इनके बिना  न वर्षा  आनी
झोली भर-भर जल लाते हैं
धरती माँ  को  नहलाते हैं।
 
वृक्ष फलों से  लद  जाते  हैं
अपनी ऋतु में  ही  आते  हैं
प्रकृति काम समय से  करती
समय-चक्र का पालन करती।
 
एक  पहेली  सी  लगती  है
धरती जब करतब करती  है
हम बच्चे कुछ समझ न पाते
दादा  जी  हमको  समझाते।



बालगीत-5

खट्टी-मीठी  इमली आती
सबके मुँह में पानी लाती।
 
इसकी चटनी सबको भाती 
नमक लगाकर मुन्नी खाती।
 
चटनी चाट चटपटी बनाए
गोलगप्पे वाला  भी  लाये। 
 
चाट-पकौड़ी घर पर लाते
चटनी डाल समोसे  खाते।
 
चटनी  या  फिर पना बनाओ
इसका स्वाद अलग ही पाओ।
 
नाटी  इमली  छोटी इमली
हम जानें खट-मिट्ठी इमली।

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रचनाकार परिचय

कैलाश बाजपेई

ईमेल : bajpaikailash51@gmail.com

निवास : कानपुर (उत्तर प्रदेश)

जन्मतिथि- 20 मार्च 1960 
जन्मस्थान- बीघायापुर, उन्नाव(उत्तर प्रदेश)
शिक्षा- एम.ए.(अर्थशास्त्र)
संप्रति- उत्तर प्रदेश सरकार से सेवा निवृत्त, स्वतंत्र लेखन,सम्पादन 
लेखन विधाएँ- हाइकु, ग़ज़ल, दोहे, मुक्तक, गीत, क्षणिका, बालगीत, सांस्कृतिक समीक्षा व फीचर लेखन 
प्रकाशन-
प्रकाशित कृति- तींन टिप्पे(हाइकु संग्रह),अक्षर-अक्षर बोले(बाल हाइकु), चंदा मामा कब आओगे (बाल कविता संग्रह)
* धर्मयुग, दिनमान, जन-संस्करण, चाणक्य ब्यूरो, उत्तर प्रदेश (मासिक), दैनिक जागरण, जनसत्ता, आज, स्वतंत्र भारत, सरस्वती सुमन, हस्ताक्षर, ई-पत्रिका में हाइकु, फीचर, लघुकथायें व सांस्कृतिक समीक्षायें आदि प्रकाशित। * कुछ काव्य संकलनों में सहभागिता।
सम्पादन- 'समकालीन सांस्कृतिक प्रस्ताव' त्रैमासिक पत्रिका का वर्ष 1996 से संपादन।
'कानपुर के हाइकुकार' (हाइकु-संकलन) का संपादन (शीघ्र प्रकाश्य) ।
विशेष- अध्यक्ष, 'प्रस्ताव' साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था अध्यक्ष कल्याणी कला संगम
सम्मान- बाल साहित्य संवर्धन संस्थान, कानपुर द्वारा 2023 में बाल साहित्य में योगदान के लिए सम्मान।
साहित्य मंडल, श्रीनाथ द्वारा, राजस्थान द्वारा वर्ष 2023 में "संपादक रत्न"उपाधि से सम्मानित।
संपर्क- 128 / 862, वाई ब्लाक, किदवई नगर, कानपुर
मोबाईल- 6388850346, 9453286556