Ira
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कंचन अपराजिता के हाइकु

कंचन अपराजिता के हाइकु

 
ओठों की हँसी 
ढक रहे तन के 
नीले निशान।

भविष्य निधि
सुरक्षित है फूल
नन्हें हाथों में।


सान्निध्य तेरा
अर्धनारीश्वर-सा
दिया औ' बाती।


वीणा का स्वर-
पवन में गुंजित
वेद ऋचाएँ।


ओठों की हँसी 
ढक रहे हैं तन के 
नीले निशान।


गली का मोड़ 
देख के अमराई 
थामा गुलेल।

 
काग़ज़ी फूल 
ढूँढ रही तितली 
पुष्प पराग।


नयी पोशाक
पाकर उतरन 
ख़ुश है छोटू।


गोल है चाँद 
बच्चे समझ रहे 
चित्र आकार।


बाल गणेश 
बच्चे ले भागे फिर 
पूजा के लड्डू।


नचाती रहीं
लहरों पर नाव 
भूमि  कम्पन।

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रचनाकार परिचय

कंचन अपराजिता

ईमेल : kanchan.aprajita@gmail.com

निवास : बोकारो(झारखण्ड)

जन्मतिथि- 03 मई
जन्मस्थान- राँची 
शिक्षा- रसायनशास्त्र में बी. एससी. (प्रतिष्ठा) तथा राँची यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में स्नातक।
लेखन विधा- हाइकु, क्षणिका, लघुकथा एवं अन्य विधा।
प्रकाशन- केसर (क्षणिका संग्रह) बोधि प्रकाशन से 2021 में।
संप्रति- लेखन , शब्द चितेरे' हाइकु ई पत्रिका (मासिक) तथा कचनार प्रेम क्षणिकाएँ (मासिक) ई-पत्रिका का संपादन।
सम्पर्क- क्यूआर नम्बर- 7139, सेक्टर- 4 एफ, बोकारो स्टील सिटी, झारखण्ड- 827004
मोबाइल-9007819016