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मनोज शुक्ल 'मनुज' के घनाक्षरी छन्द

मनोज शुक्ल 'मनुज' के घनाक्षरी छन्द

हरियाली हर ओर दिखती है भूमि पर,
देह यष्टि वृष्टि से सुहानी कर  देती  है।

भर देती पोखर, सरोवर,नदी  व  झील,
नलिनी को कुमुद की रानी कर देती है।

छन्द- एक 

बंदरों के कूदने से भागता नहीं है  शेर,

सर्प बाज के समीप भूल के न आते हैं।

मूर्ख डींग हाँकते हैं झाँकते हैं हर  ओर,
बुद्धि के लपेटे में जो आए मात खाते हैं।

श्रम के बिना हैं व्यर्थ बुद्धि के नुकीले तीर,
कछुए भी कभी कभी दौड़ जीत जाते  हैं।

गुरु गुरुता के बिना शून्य है,है त्याज्य किंतु,
शिष्य  गुरु  निंदक  न  भव  तर  पाते  हैं।

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छन्द- दो  

ताप को डराती चपला की गर्जना है किन्तु,

मेघ आग को भी  राख  करके  बहाते  हैं।

बातें जो बनाते वो बनाते रह जाते और,
कर्मयोग वाले काम करके  दिखाते  हैं।

कवि लिखते हैं नाम भी सुना न पिंगल का,
मदिरा का पान  कर  देश  गान  गाते  हैं।

मान की है भूख ज्ञान का है ज्ञात ज्ञ भी नहीं,
अपयश   पाते    सर    धुन    पछताते  हैं।

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छन्द- तीन 

ज्ञान की पिपासा है तो सीखो बन्धु झुकना भी,

ऐंठ  वाली  रस्सी  ऐंठती  है  जल  जाती  है।

रहती  तरलता  में  मीन  खुश  गतिमान,
शुष्कता का साथ गह प्राण को गँवाती है।

डाल फल से लदी हो झुकती है भूमि तक,
और फलहीन  आसमान  ताक  आती  है।

अधजल गगरी छलकती ही  रहती  है,
ज्ञान की उजास हर ओर मान पाती है।

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छन्द- चार 

सागर के तल से है  भूमितल  ऊँचा  और,

भूमि तल से भी ऊँचा श्याम-श्याम घन है।

घन से भी ऊपर दिखाई देता राकापति,
राकापति के ही  पास  रहता  गगन  है।

गगन के पार कहीं महाकाल का है वास,
वास के ही  ऊपर  हठीला  बाँकपन  है।

बाँकपन को भी भेद पाया जो है पाया वही,
कितना  अमोल  तेरा  प्यार  भरा  मन  है।

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छन्द- पाँच 

मन हरषाती बरसाती  मेघ  घनघोर,

बरसा हमारे खेत धानी कर देती है।

हरियाली हर ओर दिखती है भूमि पर,
देह यष्टि वृष्टि से सुहानी कर  देती  है।

भर देती पोखर, सरोवर,नदी  व  झील,
नलिनी को कुमुद की रानी कर देती है।

आग को जवानी की जगाती पोर-पोर और,
मीत से मिला के आग पानी कर  देती  है।

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रचनाकार परिचय

मनोज शुक्ल 'मनुज'

ईमेल : gola_manuj@yahoo.in

निवास : लखनऊ (उत्तरप्रदेश)

जन्मतिथि- 04 अगस्त, 1971
जन्मस्थान- लखीमपुर-खीरी
शिक्षा- एम० कॉम०, बी०एड
सम्प्रति- लोक सेवक
प्रकाशित कृतियाँ- मैंने जीवन पृष्ठ टटोले, मन शिवाला हो गया (गीत संग्रह)
संपादन- सिसृक्षा (ओ०बी०ओ० समूह की वार्षिकी) व शब्द मञ्जरी(काव्य संकलन)
सम्मान- राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उत्तर प्रदेश द्वारा गया प्रसाद शुक्ल 'सनेही' पुरस्कार
नगर पालिका परिषद गोला गोकरन नाथ द्वारा सारस्वत सम्मान
भारत-भूषण स्मृति सारस्वत सम्मान
अंतर्ज्योति सेवा संस्थान द्वारा वाणी पुत्र सम्मान
राष्ट्रकवि वंशीधर शुक्ल स्मारक एवं साहित्यिक प्रकाशन समिति, मन्योरा-खीरी द्वारा राजकवि रामभरोसे लाल पंकज सम्मान
संस्कार भारती गोला गोकरन नाथ द्वारा साहित्य सम्मान
श्री राघव परिवार गोला गोकरन नाथ द्वारा सारस्वत साधना के लिए सम्मान
आगमन साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समूह द्वारा सम्मान
काव्या समूह द्वारा शारदेय रत्न सम्मान
उजास, कानपुर द्वारा सम्मान
यू०पी०एग्री०डिपा०मिनि० एसोसिएशन द्वारा साहित्य सेवा सम्मान व अन्य सम्मान
उड़ान साहित्यिक समूह द्वारा साहित्य रत्न सम्मान
प्रसारण- आकाशवाणी व दूरदर्शन से काव्य पाठ, कवि सम्मेलनों व अन्य साहित्यिक कार्यक्रमों में सहभागिता
निवास- जानकीपुरम विस्तार, लखनऊ (उ०प्र०)
मोबाइल- 6387863251