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मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता- डॉ० दीप्ति तिवारी

मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता- डॉ० दीप्ति तिवारी

आधुनिक समाज में फैली तमाम बीमारियाँ जैसे मधुमेह, हृदय-रोगकैंसर इत्यादि में तनाव व विकृत जीवन-शैली हमारी अस्वस्थ मानसिकता का ही नतीजा है।

स्वास्थ्य की चर्चा होने पर आमतौर से हर इंसान अपने शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में ही सोचता है । 'स्वस्थ' शब्द से हमारे मन में सहज रूप से जो तस्वीर उभरती है वह एक स्वस्थ व निरोग शरीर की होती है विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यू एच ओ ) की परिभाषा के अनुसार स्वस्थ होने की स्थिति वह स्थिति है जिसमें व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्णतः समस्या-विहीन हो। यह भी कहा गया है कि एक स्वस्थ व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली सभी सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों का सफलतापूर्वक प्रबंधन करने में सक्षम होता है। ग़ौर किया जाये तो इन दोनों ही परिभाषाओं से 'स्वास्थ्य'की स्थिति को प्राप्त करने व इसको क़ायम रखने के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ होना अत्यंत आवश्यक है।
परंतु हमारे समाज की वास्तविकता यह है कि लोग मानसिक स्वास्थ्य के प्रति बिल्कुल जागरूक नहीं हैं। जागरूक तो दूर, वास्तविक स्थिति यह है कि हम अपने मानसिक स्वास्थ्य के सम्बन्ध में किसी से कोई चर्चा करने से कतराते हैं । शारीक रूप से बीमार या कमज़ोर होने पर व्यक्ति उसे ठीक करने के लिए तो उचित प्रयास करता है लेकिन मानसिक कमजोरी या बीमारी होने पर व्यक्ति उसे छुपाने की ही कोशिश करता है । उसे लगता है कि मानसिक समस्या का होना इस बात की निशानी है कि वह एक कमज़ोर इंसान है। इंसान अपने विचारों के मकड़जाल में उलझता जाता है और धीरे-धारे उसके अंदर आनंद लेने की क्षमता, विहीनन परिस्थितियों में स्वयं को सहजता से समायोजित कर पाने की क्षमता व जीवन में वैचारिक लचीलापन रखने की क्षमता कम होती जाती है और वह स्वयं को तनाव की स्थिति में पाता है। लंबे समय तक इस तनाव की स्थिति में रहने से शरीर में अनेक प्रकार की बीमारियाँ जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, थायरॉइड इत्यादि की समस्यायें जन्म ले लेती हैं।
मानसिक स्वास्थ्य सलामती की वह स्थिति है, जिसमें किसी व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का एहसास रहता है , वह जीवन के सामान्य तनावों का सामना कर सकता है। लाभकारी और उपयोगी रूप से काम कर सकता है और अपने समाज के प्रति सकारात्मक योगदान करने में सक्षम होता है।
आधुनिक समाज में फैली तमाम बीमारियाँ जैसे मधुमेह, हृदय-रोगकैंसर इत्यादि में तनाव व विकृत जीवन-शैली हमारी अस्वस्थ मानसिकता का ही नतीजा है। अतः आज के परिप्रेक्ष्य में यह अत्यंत आवश्यक है कि हम सभी अपने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हों और अन्य लोगों में भी यह जागरूकता लायें । एक प्रचलित कहावत है 'एक स्वस्थ शरीर में ही एक स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है।' मैं इससे पूर्णतः सहमत हूँ लेकिन मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल होने के नाते मेरा मानना है कि 'एक स्वस्थ मस्तिष्क ही हमारे जीवन की गुणवत्ता को निर्धारित करता है' साथ ही हमारा मानसिक स्वास्थ्य ही यह निर्धारित करता है कि हम अपने शारीरिक स्वास्थ्य के लिए कितना प्रयास कर पाते हैं।
स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वायस होता है ।
स्वस्थ मस्तिष्क में ही स्वस्थ जीवन-चर्या संचालित हो सकती है।

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रचनाकार परिचय

दीप्ति तिवारी

ईमेल : deptitew@gmail.com

निवास : कानपुर(उत्तर प्रदेश)

नाम- डॉ० दीप्ति तिवारी 
जन्मतिथि- 30 सितंबर 1972 
जन्मस्थान- कानपुर (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा- एम बी बी एस, एम ए (मनोविज्ञान),डिप्लोमा ( मेंटल हेल्थ), पी जी  डिप्लोमा(काउंसलिंग एंड बिहैवियर मैनेजमेंट), पी जी डिप्लोमा(चाइल्ड साइकोलजी), पी जी डिप्लोमा(लर्निंग डिसबिलिटी मैनेजमेंट)
संप्रति- फैमिली फिजीशियन एंड काउन्सलर, डायरेक्टर, संकल्प स्पेशल स्कूल, मेडिकल सुपरिन्टेंडेंट, जी टी बी हॉस्पिटल प्रा. लि. 
प्रकाशन- learning Disability: An Overview 
संपर्क- फ्लैट न. 101 , कीर्ति समृद्धि अपार्टमेंट, 120/806, लाजपत नगर, कानपुर(उत्तर प्रदेश)
मोबाईल- 9956079347