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नीलम तोलानी 'नीर' के लघु-उपन्यास 'करवाचौथ' की दूसरी कड़ी

नीलम तोलानी 'नीर' के लघु-उपन्यास 'करवाचौथ' की दूसरी  कड़ी

अगले बीस मिनट तक कबीर अपनी कार में बैठा स्टीयरिंग व्हील को पकड़े आज की घटना का बार-बार विजुलाइजेशन करता रहा। और अपनी बेवकूफीओं को कोसता रहा। पता नहीं कौन सा काला जादू आता है इस बाला को... हर बार इसी लड़की के सामने ऐसा क्यों होता है? इसके सामने ही ऐसा लगता है दिमाग कुछ समय के लिए शरीर से बाहर निकलकर ब्रेक पर चला गया है। 

"सर यह फाइल देख लीजिए.. वह लोग बाहर आ ही गए हैं "। शाइन एंड शाइन से श्रीमान अरविंद जी !
(कबीर फाइल देख रहा है तभी दरवाजा खुलने की आवाज आती है।)
जैनी के साथ श्रीमान अरविंद और उनकी असिस्टेंट... "गुड मॉर्निंग कबीर..माइसेल्फ अरविंद मिश्रा"
" गुड मॉर्निंग मिस्टर अरविंद " कबीर की नजर जैसे ही साथ खड़ी युवती की ओर पड़ी..
गुड मॉर्निंग जैसे मुँह में ही अटक गया। उसके हाथ से फाइल नीचे गिरते-गिरते बची। बेज रंग का स्कर्ट, चुस्त सफेद शर्ट, स्कर्ट से मैच करता कोट.. कलात्मकता से सुराहीदार गर्दन के इर्द गिर्द लपेटा गया काली बिंदियों वाला नीला स्कार्फ। वहीं कमर तक लंबे बाल,रवि रश्मियों सा उज्जवल ,कपोलों पर मद्धिम लालिमा लिए रंग, गुलाबी की अधखुली पंखुड़ियों से अधर...कबीर को खुले मुँह को बंद करना भी जैसे एक प्रयत्नपूर्ण किया गया कार्य लगा। पर प्रकट में बोला.. "कहां चली गई थी तुम! मेरा मतलब आप !
जी !!!मैं समझी नहीं... और मीटिंग आपकी तरफ से निरस्त हुई थी, हमारी तरफ से तो नहीं ...
"जी ..ई..ई.. वो माफ कीजिए... मैं उस दिन के लिए वाकई शर्मिंदा हूं... ( कुछ क्षण नहीं बहुत सारे क्षण लगे ,कबीर को संभलने के लिए ...) हे भगवान! मैं तो इन्हीं को ढूंढ रहा था तट पर.. और यह यहाँ थी ..ऑफिस में ..
आप भी भगवान इस मासूम बच्चे के साथ कैसे खेल खेलते हो? दिवाली के सारे पटाखे एक साथ कबीर के दिल में फटने लगे ...बस अब आवाज बाहर आई कि तब बाहर आई...) प्रकट में किसी तरह बोला ..जी आपका परिचय?
जवाब दिया श्रीमान अरविंद जी ने " मिलिए मेरी सेक्रेटरी कम लीगल एडवाइजर .. सुश्री स्निग्धा से...
हेलो! हेलो! आइये मीटिंग शुरु करते हैं ...पूरा समय कबीर न चाहते हुए भी , बार-बार स्निग्धा की और देखता रहा ।रह रहकर एसी की ठंडक में भी पसीने की बूंदे हथेलियों से चूती रही।जेनी संग अरविंदजी ने भी यह नोटिस किया। अंत में..
अरविंद:"ठीक है जी! मैं अपने टीम से बात करके आपको बताता हूं ..."
"जी जरूर... एक बात बताना भूल गया.. कि आपने अभी बातों बातों में बताया कि आप भी मूलतः इंदौर के हैं। तो अगर हमारी डील होती है तो.. आपको हम कुछ कंप्लीमेंट्री सर्विसेस भी देंगे ..
"जी शुक्रिया"
( कबीर का मन तो कर रहा था, इनका सारा काम उनकी कंपनी मुफ्त में कर दें ..ताकि डील फाइनल हो जाए..और यूँ ही स्निग्धा से मुलाकातें होती रहे, पर नहीं एक बेवकूफी कर चुका था.. अगर वह अभी पूछ लेते कि क्या सर्विसेस? तो अभी तो इसका जवाब उसके पास भी नहीं था।)
जैसे ही वह लोग दरवाज़े से बाहर हुए..
जेनी:सर ,कोनसी कंप्लीमेंट्री सर्विसेज?
कबीर अनसुना करते हुए.. " जैनी ..मेरी टिकट कैंसिल करा दोगी प्लीज.. और कार की चाबी दे दो ,फ्लैट की भी,जल्दी से..
"पर सर वो माँ की याद ...?
"बाद में जेनी...... " .
"और मां के हाथ के आलू के परांठे????
"जेनी ईईई sss"....

स्निग्धा और अरविंद जी लिफ्ट से नीचे उतरते हुए आपस में बातें कर रहे हैं ... अरविंद :"तो,प्राइमा फेसिया कैसा लग रहा है यह ऑफर?"
"सर, ऑफर तो ठीक है ।कोटेशन भी एट पार ही हैं.. पर दो चीजें समझ नहीं आई ..."
"क्या ??"
"एक तो कबीर जी का नेचर समझ नहीं आया ..नर्वस हो रहे थे ..या ओवरकॉन्फिडेंट से थे ...दूसरा यह कंप्लीमेंट्री सर्विसेज ??"
"देखो,स्निग्धा, कबीर की मार्केट में बहुत अच्छी प्रतिष्ठा है। कंपनी का क्रेडिट स्कोर भी अच्छा है । हो सकता है कुछ व्यक्तिगत कारण रहे हो ..." "मतलब ...सर...?"
(अरविंद एक तिरछी मुसकान के साथ) "जैसे कि आपकी सुंदरता .....मिस स्निग्धा...!"
स्निग्धा झेंपते हुए ... "सर आप भी!!"
"आप एक-दो दिन में रिपोर्ट बना कर दे दीजिएगा। देखते हैं फिर ..."
"आपको ड्राप कर दूं कहीं..."
"नहीं सर मैं चली जाऊंगी ...मेरे पास गाड़ी है ।"
"धन्यवाद"
"गुड डे सर"
"गुड डे स्नीग्धा!"

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कबीर लिफ्ट की तरफ आ ही रहा था कि किसी ने पुकारा..

रुको मिस्टर कबीर !यह क्या कर रहे हो ? अब यही हिंदी फिल्मी मजनूं बनना ही शेष रह गया था? "कम बैक टू युवर सेंसेज" (यकायक ठिठक कर कबीर मुड़ कर वापस अपने ऑफिस की और आया ।तब तक जैनी दरवाजे पर ताले लगा चुकी थी ।) कबीर को देख कर कहा .. 'सर ये आपकी चाबियाँ..."
"शुक्रिया जेनी ..कल मिलते हैं ।"
(दोनों साथ-साथ लिफ्ट से नीचे आ रहे हैं..)
"सर आप रुक रहे हैं तो आगे की कुछ योजनाएं बना लूँ?.."
"आपको कल कॉल करता हूं ...आज तो वैसे भी छुट्टी है।"
( कुछ क्षण की खामोशी के बाद ..)
"जी सर वैसे एक बात कहूँ? एस अ कलीग..मैं आपका बहुत सम्मान करती हूँ...अगर हम अपने व्यक्तिगत हितों और संस्थागत हितों को अलग रखें ,तो ही ठीक। रिश्ते कंपनी को नहीं संभाल सकते ,न ही कोई कंपनी रिश्तो को संभाल सकती है ...दोनों अलग-अलग रहे तो ही संपूर्णता को पाते हैं।" "गुड डे सर !"

"शुक्रिया जेनी ..फ़ॉर लवली एडवाइज। गुड डे !"

अगले बीस मिनट तक कबीर अपनी कार में बैठा स्टीयरिंग व्हील को पकड़े आज की घटना का बार-बार विजुलाइजेशन करता रहा। और अपनी बेवकूफीओं को कोसता रहा। पता नहीं कौन सा काला जादू आता है इस बाला को... हर बार इसी लड़की के सामने ऐसा क्यों होता है? इसके सामने ही ऐसा लगता है दिमाग कुछ समय के लिए शरीर से बाहर निकलकर ब्रेक पर चला गया है.. और सारे शरीर पर सिर्फ दिल के चार कक्षों ने कब्जा कर लिया है। पूरा शरीर धक धक बुलेट ट्रेन की स्पीड से धड़कने लगता है ....कोई संभले भी तो कैसे? नहीं जेनी ठीक कहती है... दोनों विषयों को अलग अलग रखना होगा । यह जेनी भी बहुत चतुर सुजान है आंखों से ऐसे सुरमा चुरा लेती है कि सामने वाले को खबर भी न हो ।बिना बताएं कैसे समझ गई सब कुछ...?
कही भीतर से आवाज़ आयी .. नहीं कबीर, तुम खुद ही मुर्ख हो ..अपने भावों को पोस्टर बनाकर तो घूम रहे हो ।कौन न समझेगा ? अब तो कबीर को लगा कि.. सड़क पार वह बियर बेचने वाला और उसके पास गोवा के छिलके वाले काजू बेचने वाला भी... सभी उसे ही देख कर मुस्कुरा रहे हैं और आँखों ही आँखों में पूछ रहे हैं... " कबीर कैसे हो ?"
घबराहट में कबीर ने झट से गाड़ी की चाबी घुमाई ..और यह जा... वह जा...


उपन्यास की अगली कड़ी मार्च माह के अंक में..........  

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रचनाकार परिचय

नीलम तोलानी 'नीर'

ईमेल : neelamtolani23@gmail.com

निवास : इंदौर (मध्य प्रदेश)

जन्मतिथि- 23 मई 1976
जन्मस्थान- इंदौर
लेखन विधा- गद्य एवं पद्य की लगभग सभी विधाओं में लेखन।
शिक्षा- बी.एस.सी.
MFA,(FINANCE),
WSP ..IIM BANGLURU
संप्रति- स्वतंत्र लेखन
प्रकाशन-
कितना मुश्किल कबीर होना(एकल)
साझा संग्रह:
1-शब्द समिधा
2-शब्द मंजरी
3-गूँज
4- शब्दों की पतवार
5- स्वच्छ भारत
6- सिंधु मशाल(पत्रिका सिंध साहित्य अकादमी)
7- हर पेड़ कुछ कहता है
* सिसृषा ,ब्रज कुमुदेश , काव्यांजलि जैसी छंद पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशन।
* कई समाचार पत्र तथा पत्रिका ,दैनिक भास्कर,नईदुनिया में निरंतर प्रकाशन
प्रसारण-आकाशवाणी इंदौर से कई बार कविता पाठ
सम्मान/पुरस्कार-
1- एस एन तिवारी स्मृति कृति पुरुस्कार २०२३
(कितना मुश्किल कबीर होना कृति पर)
2- उड़ान वार्षिक प्रतियोगिता २०२३ में तृतीय पुरस्कार
3- 2019 में श्रेष्ठ लघुकथा कार व छन्द लेखन में पुरुस्कृत।
4- अंतरराष्ट्रीय पत्रिका राम काव्य पीयूष में गीत का चयन ,प्रकाशन
5- women web राष्ट्रीय हिंदी कविता प्रतियोगिता में poet of year अवार्ड 2019
6- उड़ान सारस्वत सम्मान
7- उड़ान गद्य सम्राट
8-.सिंधु प्रतिभा सम्मान 2019
9- सिंध साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश द्वारा कई बार सिंधी रचनाओं के लिए पुरुस्कृत
संपर्क-114 बी,स्कीम नंबर 103
केसरबाग रोड,विनायक स्वीट के पास
इंदौर-452012 (मध्य प्रदेश)
मोबाइल-9977111665