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प्रीति शर्मा प्रीति के दोहे

प्रीति शर्मा प्रीति के दोहे

 
पुष्प-प्रणय खिलने लगे, जाग रही उर आस।
अधरो के अनुबंध ने, भरा प्रेम विश्वास।।

प्रीति-बंध में डालकर, आपस के सब  तार।
उर -अवगुंठन को मिला, मनचाहा आकार।।



रोम- रोम की पुलक में, स्पंदित नव्य तरंग।
उर की गहरी प्राप्ति में, सीझे नवल उमंग।।
 
 
 
प्रेम प्रतिज्ञा पावनी, बजे नेह का  शंख।
हर्षित प्रिय पग बढ़ रहे, उड़ते प्रेमिल पंख।।
 
 
 
पीर उकेरी शब्द भर, भर नैनों में नीर।
राह निहारे अनमनी, हृदय न धरता धीर।।
 
 
 
निश्छल मन जब मिल गए,पावन हुए प्रसंग।
आँचल में सजने लगे,इंद्रधनुष के रंग।।
 
 
 
पुष्प -प्रणय खिलने लगे, जाग रही उर आस।
अधरो के अनुबंध ने, भरा प्रेम विश्वास।।
 
 
 
छलके गागर प्रेम की,दो उर बँधते डोर।
नेह निमंत्रण पा प्रिये,उर में उठी हिलोर।।
 
 
 
नेह अर्चना से बँधी ,सप्तपदी को डोर।
मन तो वृंदावन बसे ,तन काशी की भोर।।
 
 
 
अधरों पर मृदु हास ने, लिखे नेह आलेख।
स्वर्गिक सा आनन्द है,अभिनव सुख आरेख।।
 
 
 
मंथन मन करने लगा, होकर बड़ा अधीर।
प्रेम रसायन पी रहा,अब तो हुआ कबीर।।
 
 
 
निर्झर झरना नेह का ,पुलक उठे दो गात।
मौन अधर भी कर रहे, नैनों से उर बात।।
 
 
 
लिखें प्रेम की पटकथा,प्रात्र सभी जीवंत।
सीमा कहीं न प्रेम की ,मिले न कोई अंत।।
 
 
 
पुष्प-प्रणय खिलने लगे, जाग रही उर आस।
अधरो के अनुबंध ने, भरा प्रेम विश्वास।।
 
 
 
दूर क्षितिज पर खिल उठा, पावन प्रेमिल तेज।
 बिखर रहे उर सिंधु में, अगणित दस्तावेज।।
 
 
 
सुधियों की मिहिका पड़ी, प्रत्यूषा के द्वार।
मौन अधर फिर कर रहे, हिय से द्वाराचार।। 
 
 
 
प्रीति प्रकाशित प्रीतिपन, प्रीति प्रहस प्रस्तार । 
प्रेम प्रवाहित पुनि परस, प्रीति- प्रेम प्रियकार।। 
 
 
 
तृषित चकोरा प्रेम का, शशि को रहा निहार।
निश्छल उसकी भावना, क्या जाने संसार।।
 
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वसंत जमशेदपुरी

20 December 2024

अनुपम दोहे दूसरे दोहे का दूसरा चरण देख लें

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रचनाकार परिचय

प्रीति शर्मा प्रीति 

ईमेल : vippriti700@gmal.com

निवास : रीवा (मध्य प्रदेश)

जन्मतिथि- 29 जून 
जन्मस्थान- जसो, जिला-सतना 
शिक्षा- एम.ए., बी.एड. 
सम्प्रति- शास. प्रवीण कु. क.सी एम राइज उमावि ,रीवा -म.प्र.
प्रकाशन- जिंदगी कभी धूप कभी छांव,नीराजन,दस्तक,शब्द समिधा,स्वर्णाक्षरा आनंद काव्यधारा,प्रणाम काव्यधारा,तभी लेखनी कर में आयी,साहित्यानुराग भाग -1,2, अंतर्नाद,भारत गौरव गाथा, सहित लगभग 20 साझा काव्य संग्रहों एवं विभिन्न मासिक ई- पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित ।प्रतिलिपि, दैनिक जागरण,दैनिक भास्कर, दस्तक प्रभात, राजस्थान केसरी आदि समाचार पत्रों में रचनाओं का नियमित प्रकाशन।
सम्मान- आध्यात्मिक साहित्यक संस्था काव्य धारा ,उड़ान, भरत साहित्य मंडल, काव्य सुधा मंच , बज़्में अंदाज़े बयां, शारदा काव्य मंच, अभिनव काव्य धारा, जिज्ञासा , रचनाकार मंच, विश्व जनचेतना ट्रस्ट ,मगसम , ना सा साहित्य शाला आदि विविध मंचों द्वारा विविध विधाओं में सैकड़ों सम्मान पत्रों का सिलसिला अनवरत जारी है ।
विशेष- राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल द्वारा कहानी का चयन एवं प्रकाशन ।
संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा- आजादी के अमृत महोत्सव में देश भक्ति गीत का चयन ।
संपर्क- “राजकृपा” 16/1291
     आज़ाद नगर, उरर्हट 
रीवा-मध्य प्रदेश 
पिन कोड- 186001
मोबाइल- 877-0380346