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सावन, वर्षा एवं प्रेम- अलका मिश्रा

सावन, वर्षा  एवं प्रेम- अलका मिश्रा

प्रेम और सावन का संगम प्रेम एवं पुरानी यादों की गहरी भावना को भी जगाता है, क्योंकि भारत में मानसून का मौसम अक्सर प्यार से जोड़कर देखा जाता है। बारिश का मौसम एक ताज़ा, जीवंत वातावरण लेकर आता है, जो नई शुरुआत और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक है। इसीलिए  हिन्दी साहित्य में भी सावन का अलग ही महत्व होता है।

श्रावण मास का हिन्दू पंचांग में विशेष महत्व होता है । इस माह को देवादिदेव महादेव से संबंधित कर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। जिसमें कुछ लोग रुद्राभिषेक करवाते हैं तो कई श्रावण मास के सभी सोमवार का उपवास भी करते हैं। औरतें तीज बड़ी आस्था एवं मनोयोग से मनाती हैं। जिसमें विवाहित महिलाएँ व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं, जो प्रेम और भक्ति को दर्शाता है। नागपंचमी, रक्षाबंधन भी इसी माह आते हैं, जिसमें भाई बहन के प्रेम को प्रगाढ़ता मिलती है। इसी मास में काँवड़ यात्रा का आयोजन भी किया जाता है। हालाँकि इस बार की काँवड़  यात्रा के समय प्रशासनिक निर्णयों से काफी उठापटक का माहौल रहा। दुकानों के आगे नाम की तख्ती लगाने तक तो ठीक था कई दुकान वालों को तो अपने दुकानों के नाम के बैनरों पर दुकान का नाम तक बदलने को मजबूर किया गया जिसके चलते पूरी यात्रा धार्मिक के बजाए राजनीतिक रंग में रंगी नजर आई। हालाँकि इसके पहले भी यात्रा प्रत्येक वर्ष उन्ही मार्गों से होते हुए निर्बाध गति से सद्भावना पूर्वक अपने गंतव्य पर पहुँचती रही है। मगर यह भारत है यहाँ की यही विविधता है, हर प्रकार की विचारधारा के लोग हैं। जो सत्ता में होता है, वह अपनी विचारधारा समाज पर थोपना चाहता है। मगर भारतीय समाज भी उस मिट्टी का बना है जिसे जितना भी तोड़ मरोड़ या रौंद दिया जाए वह पुनः एक होकर दृढ़ता के साथ प्रेममय हो जाएगा। एक पुरानी कहावत भी है कि लाठी मारने से पानी अलग नहीं होता है। मुझे पूरी उम्मीद है कि सब जिस प्रकार मिल जुल कर अभी तक रहते आए हैं वैसे ही आगे भी रहते रहेंगे।

हालाँकि इसी सावन की वर्षा जब अपना रौद्र रूप दर्शाती है तब प्रलय भी लाती है। इसका ताज़ा उदाहरण केरला में हुई त्रासदी है। मगर कहीं न कहीं हम ही उसके लिए ज़िम्मेदार हैं। क्योंकि जिस प्रकार हम अपनी अनर्गल इच्छाओं की पूर्ति हेतु प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करने में संकोच नहीं करते वही इस विनाश का मूल कारण बंनता जा रहा है। प्रकृति का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। इसके लिए बहुत आवश्यक है कि हम प्राकृतिक स्थलों के प्राकृतिक सौन्दर्य को बनाए रखने में सहयोग करें। यथासंभव मोटर चालित वाहनों से जाकर वहाँ पहुँचने के बजाए अपने पैरों का प्रयोग कर चलकर जाएँ। इससे कई लाभ भी हैं, एक तो आपके स्वास्थ्य के लिए हितकर होगा । क्योंकि लंबी पदयात्रा के लिए आपको कई महीनों तक टहलने का अभ्यास निरंतर करते रहना होगा। दूसरा आप जिन रमणीय दृश्यों के अवलोकनार्थ वहाँ जा रहे हैं वह उनका और अधिक आनन्द तो उठाने के साथ ही उस सौंदर्यानुभूति से आपके आंतरिक उत्थान के रास्ते भी खुल सकते हैं। अब वह समय आ गया है कि यदि हम अपना एवं आने वाली पीढ़ियों का भला चाहते हैं तो हमें प्रकृति को बचाने के प्रयास तेज़ करने होंगे।    

अब बात करते हैं प्रेम और सावन के संबंध की। प्रेम और सावन का संगम प्रेम एवं पुरानी यादों की गहरी भावना को भी जगाता है, क्योंकि भारत में मानसून का मौसम अक्सर प्यार से जोड़कर देखा जाता है। बारिश का मौसम एक ताज़ा, जीवंत वातावरण लेकर आता है, जो नई शुरुआत और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक है। इसीलिए  हिन्दी साहित्य में भी सावन का अलग ही महत्व होता है। सावन में विरहिणी नायिका वर्षा में अपने प्रियतम के वियोग में और अधिक पीड़ित हो उठती है। वहीं प्रेमी युगल वर्षा में भीग कर प्रेम में आकण्ठ डूब जाते हैं। कई भारतीय कवियों और लेखकों ने प्रेम को अभिव्यक्ति देने के लिए मानसून से प्रेरणा ली है। बारिश की बूँदों की आवाज़, ठंडी हवा और हरी-भरी धरती रोमांटिक कहानियों के लिए एक आदर्श पृष्ठभूमि तो बनाती ही है साथ ही बूँदों, बौछारों त्योहारों आदि संकेतों का प्रयोग भी प्रचुरता से करते हैं।

जिस तरह बारिश धरती को पुनर्जीवित करती है, उसी तरह प्रेम आत्मा को जीवंत कर सकता है। यह मौसम आत्मनिरीक्षण और बंधनों को मज़बूत करने को प्रोत्साहित करता है, जिससे यह युगलों के लिए पुनः जुड़ने एवं एक-दूसरे के प्रति अपने स्नेह को पुनः खोजने का साधन बन जाता है।

 प्रेम और सावन प्राकृतिक सुंदरता और मानवीय भावनाओं के अंतर्संबंध को दर्शाता है, जिस प्रकार पूरी धरती सावन की बारिश में भीग कर हरी भरी होकर झूम उठती है उसी प्रकार मानवीय संवेदनाएँ भी अपने चरम पर होती हैं। जिस प्रकार बादल दिन रात बिना थके चलता है, इसलिए कि जहाँ आवश्यकता हो वहाँ जलावृष्टि कर प्यासी धरती की प्यास बुझाए ताकि वह अपने भीतर छिपे बीज को अंकुरित कर सके। वह बीज प्रेम की वर्षा में भीग कर पुष्पित पल्लवित हो सके।

अंत में मेरी यही कामना है कि जिस प्रकार वर्षा की बूँदें धरा को जलवृष्टि करके बीज को पुष्पित एवं पल्लवित करने में सहायक होती हैं, उसी प्रकार ये बूँदें मनुष्यों के शुष्क हृदयों में प्रेम जाग्रत कर सम्पूर्ण मानवता को प्रेममय कर दें। 



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रचनाकार परिचय

अलका मिश्रा

ईमेल : alkaarjit27@gmail.com

निवास : कानपुर (उत्तर प्रदेश)

जन्मतिथि-27 जुलाई 1970 
जन्मस्थान-कानपुर (उ० प्र०)
शिक्षा- एम० ए०, एम० फिल० (मनोविज्ञान) तथा विशेष शिक्षा में डिप्लोमा।
सम्प्रति- प्रकाशक ( इरा पब्लिशर्स), काउंसलर एवं कंसलटेंट (संकल्प स्पेशल स्कूल), स्वतंत्र लेखन तथा समाज सेवा
विशेष- सचिव, ख़्वाहिश फ़ाउण्डेशन 
लेखन विधा- ग़ज़ल, नज़्म, गीत, दोहा, क्षणिका, आलेख 
प्रकाशन- बला है इश्क़ (ग़ज़ल संग्रह) प्रकाशित
101 महिला ग़ज़लकार, हाइकू व्योम (समवेत संकलन), 'बिन्दु में सिन्धु' (समवेत क्षणिका संकलन), आधुनिक दोहे, कानपुर के कवि (समवेत संकलन) के अलावा देश भर की विभिन्न साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं यथा- अभिनव प्रयास, अनन्तिम, गीत गुंजन, अर्बाबे कलाम, इमकान आदि में रचनाएँ प्रकाशित।
रेख़्ता, कविता कोष के अलावा अन्य कई प्रतिष्ठित वेब पत्रिकाओं हस्ताक्षर, पुरवाई, अनुभूति आदि में रचनाएँ प्रकाशित।
सम्पादन- हिज्र-ओ-विसाल (साझा शेरी मजमुआ), इरा मासिक वेब पत्रिका 
प्रसारण/काव्य-पाठ- डी डी उत्तर प्रदेश, के टी वी, न्यूज 18 आदि टी वी चैनलों पर काव्य-पाठ। रेखता सहित देश के प्रतिष्ठित काव्य मंचों पर काव्य-पाठ। 
सम्मान-
साहित्य संगम (साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक) संस्था तिरोड़ी, बालाघाट मध्य प्रदेश द्वारा साहित्य शशि सम्मान, 2014 
विकासिका (साहित्यिक सामजिक एवं सांस्कृतिक) संस्था कानपुर द्वारा ग़ज़ल को सम्मान, 2014
संत रविदास सेवा समिति, अर्मापुर एस्टेट द्वारा संत रवि दास रत्न, 2015
अजय कपूर फैंस एसोसिएशन द्वारा कविवर सुमन दुबे 2015
काव्यायन साहित्यिक संस्था द्वारा सम्मानित, 2015
तेजस्विनी सम्मान, आगमन साहित्य संस्था, दिल्ली, 2015
अदब की महफ़िल द्वारा महिला दिवस पर सम्मानित, इंदौर, 2018, 2019 एवं 2020
उड़ान साहित्यिक संस्था द्वारा 2018, 2019, 2021 एवं 2023 में सम्मानित
संपर्क- एच-2/39, कृष्णापुरम
कानपुर-208007 (उत्तर प्रदेश) 
 
मोबाइल- 8574722458