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शशि बंसल गोयल की लघुकथाएँ

शशि बंसल गोयल की लघुकथाएँ

शशि बंसल गोयल अध्यापन के साथ साथ आकाशवाणी में कोम्पेयरर भी हैं साथ ही आपकी लघुकथाओं में आपको महारत हासिल है। 


एक- प्रायश्चित

मीरा ने थर्मस से दूध का ग्लास भरा और दो गोलियाँ अलग-अलग स्ट्रिप्स से निकालकर व्हील चेयर पर बैठे मंजीत की ओर बढ़ा दीं। मंजीत दूध पीते हुए कनखियों से मीरा को देख रहा था, जो अब उसके लिए फल काटने में व्यस्त थी। चेहरे की थकान से साफ़ जाहिर होता था, वह कई रातों से ठीक से सोई नहीं है। मंजीत फिर भीतर तक ग्लानि से भर गया। उसे चार महीने पहले कहे गए शब्द याद आ गए , जो उसने अपनी सहकर्मी से घनिष्टता को लेकर मीरा द्वारा प्रतिरोध करने पर हुए झगड़े में उससे कहे थे,

"मैं तुम्हारा चेहरा एक पल के लिए भी नहीं देखना चाहता...अब वही मेरी 'ज़िन्दगी' है। मुझे तुमसे तलाक चाहिए, बस।"

ये जानते हुए भी कि मंजीत के दिल में मीरा के लिए कोई जगह नहीं है , फिर भी वह एक माह से उसकी सेवा में दिन- रात एक किये हुए थी।

"ये लीजिये थोड़े फल खा लीजिये , डॉक्टर ने आहार पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा है।"

"क्यों कर रही हो तुम ये सब मेरे लिए ? " मंजीत ने फल की प्लेट पकड़ते हुए बुझे स्वर में पूछा।

"तो क्या करती? आपकी 'ज़िन्दगी' ने तो दुर्घटना में एक पाँव गँवाने के बाद आपको पलटकर भी नहीं देखा। इतनी जमापूँजी भी नहीं बची कि किसी नौकर को आपकी सेवा के लिए रख पाती। मजबूरन आपकी नापसंदगी के बावजूद मुझे रुकना पड़ा।"

"तो तुम भी मुझे मेरे हाल पर अकेला छोड़ देतीं! जैसे उसने छोड़ा।" हारे हुए जुआरी की तरह हताश मंजीत ने फल पूरे ख़त्म किये बिना प्लेट ज़मीन पर रख दी।

"मुझे प्रायश्चित जो करना था ।" ढुलक आई बूँदों को आँचल से पौंछती हुई मीरा बर्तन समेटने लगी।

"कैसा प्रायश्चित?" असमंजस और आश्चर्य के भाव इतने गहरे थे कि मंजीत के कमजोर चेहरे पर भी साफ समझ आ रहे थे ।

"माँ-पापा की इच्छा के विरुद्ध भागकर तुमसे शादी करने का।"


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दो- दीमक

"ये देखिये, सोनू का परीक्षा परिणाम बहुत ही निराशाजनक है।" शिक्षिका ने सोनू का अर्धवार्षिक परीक्षा परिणाम दिखाते हुए सोनू की माँ से कहा ।

"मैडम! आप 'ट्यूशन' नहीं लेती हैं क्या?" एक उड़ती नज़र 'रिपोर्ट कार्ड' पर डालकर सोनू की माँ ने शिक्षिका से पूछा।

"ट्यूशन...? मेरे ट्यूशन लेने न लेने का बच्चे के प्रदर्शन से क्या सम्बन्ध?" अव्यवहारिक रवैये और अप्रत्याशित प्रश्न से शिक्षिका हैरान थी।

"है क्यों नहीं मैडम! पुराने विद्यालय में सोनू सदा अव्वल आता था, क्योंकि वहीं के 'मास्टर' से 'ट्यूशन' जो लेता था।" सोनू की माँ के शब्द दर्प से लबालब थे ।

"ओह्ह्ह! यानि बच्चे की बुनियाद में ही दीमक लगी हुई है।" निराशा से शिक्षिका की दृष्टि स्वत: ही झुक गई थी।

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तीन- विछोह

"बहू... टेबिल से कप क्यों नहीं उठाया अभी तक?"

"अभी उठा देती हूँ माँजी।" सास की तेज़ आवाज़ सुन महिमा ने घबराकर मोबाइल बंद करते हुए कहा।

"ये... शिबू कहाँ है।"

"वो ऊपर कमरे में अपना 'सूटकेस' जमा रहे हैं।"

"गाड़ी छूटने में सिर्फ दो घंटे बचे हैं और अभी तक उसका सामान नहीं जमा? आवाज़ में वही तल्खी थी।

"बस हो ही गया माँजी।" महिमा भय और हैरानी से सास को देख रही थी।

"तुझे यहाँ बैठे-बैठे ही समझ आ गया? जा,जाकर उसका हाथ बॅंटा। बहुत लापरवाह है, हर बार कुछ न कुछ भूल जाता है वह ..." सास के अंतिम स्वर कुछ धीमे पड़ गए थे।

महिमा के शिव से विवाह को एक माह ही हुआ था। शिव की नौकरी घर से दूर दूसरे शहर में थी। छुट्टियाँ समाप्त होने के कारण आज वह अपनी नव ब्याहता को लेकर जा रहा था।

"सुनिए! ये क्या हो गया माँ को? सुबह से ही बिना कारण रूखा बर्ताव कर रही हैं?" गुस्से और परेशानी के मिले-जुले भाव से महिमा ने कहा।

"उन्हें छोड़ो, अपनी कहो। तुम्हें क्या हुआ? तुम तो महीने भर से माँ की प्रशंसा के बहुत पुल बाँध रही थीं।" शिव शरारती अंदाज़ में महिमा के गले में बाँहे डालते हुए बोला।

"हाँ तो झूठ थोड़ी न कह रही थी । इतने दिनों से बेटी... बेटी... कहकर मुझसे इतना लाड़ जो लड़ा रहीं थीं। उनका ये रौद्र रूप तो आज पहली बार देख रही हूँ।" शिव की बाँह छिटकते हुए महिमा ने कहा। उसका गुस्सा अभी तक उतरा नहीं था।

"अच्छा , ये सब छोड़ो। सामान नीचे ले जाकर रखो। ये उनकी बहुत पुरानी आदत है। पूरे पंद्रह बरस से बाहर हूँ। पहले पढ़ाई की वजह से और अब नौकरी की... अंतर इतना है कि हर बार मैं उनके गुस्से का शिकार होता था इस बार तुम हो गईं।" शिव पर महिमा की शिकायत का कोई असर नहीं हुआ।

"पुरानी आदत,मतलब?"

"मतलब माँ बनोगी तब समझ जाओगी।"
शिव ने महिमा की आँखों में झाँकते हुए कहा और मुस्कुराने लगा।


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रचनाकार परिचय

शशि बंसल गोयल

ईमेल :

निवास : भोपाल (मध्य प्रदेश)


शशि बंसल गोयल
संप्रति- प्रवक्ता, शुभम यूनिवर्सिटी भोपाल, कम्पेयरर (ऑल इंडिया रेडियो), एवं प्रचार- प्रसार सचिव- हिन्दी लेखिका संघ मध्य प्रदेश भोपाल।
शिक्षा- बी.एससी. एम.ए. (समाजशास्त्र एवं हिन्दी ), बी.एड. , प्रभाकर- प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद (कथक नृत्य)
शैक्षणिक अनुभव- 19 वर्ष हिन्दी व्याख्याता और 1 वर्ष प्रधानाध्यापक के रूप में।
मंच संचालन- उन्मेष 2023 ,साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश भोपाल , अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच , हिन्दी लेखिका संघ मध्य प्रदेश भोपाल , बाल साहित्य शोध केंद्र भोपाल सहित विभिन्न छोटे बड़े साहित्यिक मंचों पर मंच संचालन का अनुभव है।
साहित्यिक उपलब्धियाँ एवं सम्मान-
फेमिना अंतर्राष्ट्रीय आलेख प्रतियोगिता - प्रथम पुरस्कार।
कादम्बिनी कहानी प्रतियोगिता 1995 - विशेष पुरस्कार।
म. प्र. वनविभाग द्वारा आयोजित शिक्षक वादविवाद प्रतियोगिता 2013- तृतीय पुरस्कार।
सरोकार समूह ,आलेख प्रतियोगिता ( बेटी बचाओ) 2014- द्वितीय पुरस्कार।
सरोकार समूह, आलेख प्रतियोगिता (बेटी बचाओ) 2015- सांत्वना पुरस्कार।
सत्य की मशाल राष्ट्रीय मासिक पत्रिका द्वारा 2016- साहित्यकार सम्मान ।
साहित्य सागर एवं रोटरी क्लब द्वारा राष्ट्रीय पत्र लेखन प्रतियोगिता 2018- सांत्वना पुरस्कार।
हिन्दी लेखिका संघ,निबंध प्रतियोगिता 2018- प्रथम पुरस्कार ।
साहित्य की मशाल 2016- साहित्यकार सम्मान।
विश्वमैत्री मंच राष्ट्रीय लेखन प्रतियोगिता साहित्य सागर एवं रोटरी क्लब द्वारा 2019- द्वितीय पुरस्कार ।
महिला काव्य मंच द्वारा आयोजित,पत्र प्रतियोगिता - अप्रैल 2020 (कोरोना योद्धाओं पर ) द्वितीय पुरस्कार।
तूलिका सामाजिक , कला , शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक संस्था , भोपाल द्वारा तूलिका 2022- माँ बेटे का सम्मान।

ओपन बुक्स ऑनलाइन साहित्यिक संस्था द्वारा 2023- ओबीओ साहित्य रत्न सम्मान।
प्रकाशन-
विद्यार्थी जीवन से अभी तक,फेमिना,लघुकथा कलश , पड़ाव और पड़ताल,मुक्ता, सांध्यप्रकाश , नईदुनिया, मधुरिमा, नवभारत, संस्कार भारती, अटूट बंधन, बाल भास्कर पत्रिका , नवप्रदेश ( जयपुर ),लोकजंग , स्वर्ण वाणी , अनवरत वाणी , दृष्टि , सिसृक्षा, ब्रिज न्यूज़ , साहित्य कलश , दैनिक हमारा मैट्रो ( नोएडा ) , जयविजय पत्रिका( राजस्थान ) , गुसइयाँ ( पंजाबी में अनुवादित ) , त्रैमासिक पत्रिका मिन्नी ( पंजाबी में अनुवादित ) साहित्य गुंजन, संगिनी, साहित्य समीर दस्तक , अविराम साहित्यिकी , राष्ट्रीय दर्पण तथा अन्य विभिन्न साहित्यिक पत्र – पत्रिकाओं व समाचार पत्र में।
वेबसाईट - मातृभारती , प्रतिलिपि , ओपनबुक्स ऑनलाइन , लघुकथा डॉट कॉम आदि में रचनाएँ प्रकाशित।
बारह साझा लघुकथा संग्रह में प्रकाशन।
सम्पादन - गवाक्ष ( लघुकथा संग्रह ) , सुहाना सफ़र ( यात्रा वृत्तांत)
आकाशवाणी एवं दूरदर्शन
बोल हरियाणा बोल- रेडियो पर  लघुकथा प्रसारित।
ऑल इंडिया रेडियो एवं दूरदर्शन मध्य प्रदेश से कविताओं का पाठ।