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हरभजन सिंह मेहरोत्रा के उपन्यास 'निर्वासिनी' का लोकार्पण

हरभजन सिंह मेहरोत्रा के उपन्यास 'निर्वासिनी' का लोकार्पण

दुष्यंत और शकुंतला की प्रेमकथा को हम सभी जानते तो हैं, परन्तु उसे सच्चे प्रेम के रूप में हम कभी परिभाषित नहीं करते। अपने अथाह प्रेम और सर्वस्व समर्पण के बावजूद लांछित और परित्यक्त शकुंतला के ह्रदय की पीड़ा को आत्मसात करते हुए प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री हरभजन सिंह मेहरोत्रा ने ‘निर्वासिनी’ उपन्यास की रचना कर डाली। 
हाल-फिलहाल प्रकाशित हुए इस उपन्यास ने आते ही सुधि पाठकों के दिल में उत्साहजनक उत्सुकता पैदा कर ली...।
 

जब से आदि मानव ने विकास के क्रम को पार करते हुए एक  समाजिक ढाँचे का निर्माण किया, तब से स्त्री को पुरुष के मुक़ाबले दोयम दर्ज़ा ही दिया गया। समय चाहे जो भी रहा हो, अपने परिवार और साथी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के बावजूद स्त्री को जब चाहा, पुरुषवादी समाज ने धिक्कारा, आरोपित किया और सुगमतापूर्वक त्याग भी दिया। एक विधवा होने से ज़्यादा पीड़ा एक परित्यक्ता स्त्री के हिस्से में आती है, फिर भले ही वह निश्छल-निर्दोष ही क्यों न हो। हमारे पुरातन समाज में ऐसी कई कहानियाँ हैं जिनकी नायिका बिना किसी कसूर के न केवल अकेले जीवन बिताने को विवश हुई, बल्कि उन्होंने समाज की लांछना सहते हुए भी अपने स्वाभिमान को बरकरार रखा। ऐसी ही एक लोकप्रिय मिथकीय चरित्र है शकुंतला का...। दुष्यंत और शकुंतला की प्रेमकथा को हम सभी जानते तो हैं, परन्तु उसे सच्चे प्रेम के रूप में हम कभी परिभाषित नहीं करते। अपने अथाह प्रेम और सर्वस्व समर्पण के बावजूद लांछित और परित्यक्त शकुंतला के ह्रदय की पीड़ा को आत्मसात करते हुए प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री हरभजन सिंह मेहरोत्रा ने ‘निर्वासिनी’ उपन्यास की रचना कर डाली। 
हाल-फिलहाल प्रकाशित हुए इस उपन्यास ने आते ही सुधि पाठकों के दिल में उत्साहजनक उत्सुकता पैदा कर ली...।
 
 इस पुस्तक का विधिवत लोकार्पण करते हुए साहित्य समज्या और वर्चुअल ग्रुप महफ़िल के संयुक्त तत्वावधान में निर्वासिनी पर कुछ गंभीर और प्रतिष्ठित साहित्यकारों के विचारों से पाठकों को रूबरू कराने के लिए एक विचार-गोष्ठी का आयोजन दिनांक 21 अप्रैल 2024, रविवार को सायं चार बजे  डिप्टी श्यामलाल राम जानकी मन्दिर, नवाबगंज, कानपुर में किया गया।
 
 इस आयोजन में मुख्य रूप से पुस्तक पर अपने विचार रखने वालों में कार्यक्रम अध्यक्ष श्री कृष्ण बिहारी, मुख्य वक्ता श्री अरुण कुमार अग्निहोत्री, विशिष्ट वक्ता श्री सुरेश अवस्थी व डॉ राकेश शुक्ल थे। इनके अतिरिक्त उपस्थित लोगों में मुख्य रूप से श्री हरभजन सिंह मेहरोत्रा, कैलाश चंद्र शर्मा, गोपाल खन्ना यायावर , डॉ जहान सिंह, सुशील शर्मा, अनिल कुमार माथुर, सुश्री शशि श्रीवास्तव, वीना उदय, साहित्य भूषण हरीलाल मिलन, राजेश कदम, प्रियंका गुप्ता आदि रहे।
 
गोष्ठी का संचालन सुश्री प्रियंका गुप्ता ने किया व आभार इस समारोह के आयोजन गोपाल खन्ना ने किया।
 

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