Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।

उत्सवों का देश और चुनावी परिवेश- अलका मिश्रा

उत्सवों का देश और चुनावी परिवेश- अलका मिश्रा

ख़बरों को तीख़े तेवर देने के लिए मीडिया इसे चुनावी समर भी कहा जाने लगा है। समर शब्द लगते ही यह बिल्कुल युद्ध जैसा प्रतीत होने लगता है और हर नेता, हर पार्टी निजी स्वार्थों के चलते इतने सुंदर समाज में अपने भड़काऊ वक्तव्यों से प्रेम से सराबोर दिलों में ज़हर घोलने का काम करना शुरू कर देते हैं।

सर्वप्रथम आप सभी भारतवासियों को ईद-उल-फितर एवं रामनवमी की हार्दिक बधाई!

अप्रैल माह के प्रारम्भ होते ही उत्सव प्रारम्भ हो चुके हैं। नवरात्रि  की चहल-पहल,  देवी पूजन और मंदिरों के बाहर मेलों के आयोजन के साथ ही ईद के आगमन की प्रतीक्षा में बाज़ारों की रौनक़ देखते ही बनती है। अभी ईद की ख़ुमारी समाप्त भी नहीं हो पाती कि रामनवमी का पर्व आ जाता है। एक ओर कन्या पूजन में चना और हलवे का प्रसाद तो दूसरी ओर सेवईयों की भीनी-भीनी ख़ुशबू अहा! कितना सुंदर लगता है न सब कुछ? सब अपनी-अपनी धुन में लगे उत्सव की तैयारियों में मगन। जहाँ एक ओर अब्दुल भाई अपनी बेग़म के साथ बच्चों को मंदिर के बाहर लगे मेले से ख़रीदारी करवाते और झूले झुलाते तो वहीं मिश्रा जी बेसब्री से सिद्दीक़ी साहब के घर जाकर ईद की सेवईयों का लुत्फ़ उठाते। सब कुछ कितना सुंदर और लुभावना लगता है बिल्कुल रामराज्य जैसा।

लेकिन यह क्या अभी तो इतने सुंदर सौहार्द्रपूर्ण उत्सव चल रहे थे कि इन्ही के बीच आ धमकता है एक अनचाहा पर्व, जिसे चुनाव कहा जाता है। अब तो ख़बरों को तीख़े तेवर देने के लिए मीडिया इसे चुनावी समर भी कहा जाने लगा है। समर शब्द लगते ही यह बिल्कुल युद्ध जैसा प्रतीत होने लगता है और हर नेता, हर पार्टी निजी स्वार्थों के चलते इतने सुंदर समाज में अपने भड़काऊ वक्तव्यों से प्रेम से सराबोर दिलों में ज़हर घोलने का काम करना शुरू कर देते हैं। भोली-भाली जनता इनकी चालों का मोहरा बन बिना जाँच पड़ताल किये इनकी बातों को सच मान आपस में बैर पाल कर समाज का वातावरण बिगाड़ने का काम करने लगती है। ये वही लोग हैं जो केवल चुनाव के समय भगवान से नज़र आते हैं और उसके बाद गधे के सर से सींग की तरह ग़ायब हो जाते हैं। मगर हम उन्हीं लोगों को बार-बार वोट देकर शेर बनाकर छोड़ देते हैं और फिर वही शेर अगले चुनाव आने तक बस्तियों में आतंक फैलाने का काम करते हैं। कोई जाति के नाम पर तो कोई धर्म के नाम पर वोट माँग कर फूट डालो और राज करो के सूत्र को अपना कर अपना उल्लू सीधा करता है। और आम जनता चुनावी वायदों को सच मान उनके बिछाये सुनहरे जाल में फँस जाती है और फिर बाद में पछताती है। अब समय आ गया है कि हम सब दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर अपने-अपने क्षेत्र के कर्मठ कार्यकर्ताओं को ही चुनें जो कि हमारे मुद्दों और समस्याओं पर हमसे बात करके उनको ऊपर तक पहुँचा कर हमारे लिए समाधान उपलब्ध करवाने का कार्य करें। जिस प्रकार हम बाक़ी पर्व जाने के बाद भी उसकी सुनहरी यादों को सहेजते हैं उसी प्रकार इस पर्व को भी सोच समझ कर अच्छे वातावरण में मनायें। बैर भाव से दूर रहें क्योंकि हमारा सामाजिक ढाँचा इस प्रकार का है कि हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में एक दूसरे पर निर्भर है इसलिए आपसी प्रेम और सद्भाव भंग नहीं होना चाहिए चुनाव तो पाँच वर्षों में एक बार आकर चला जाता है मगर हमें आपस में रोज़ एक दूसरे का सामना भी करना पड़ता है और आवश्यकता भी पड़ती है। अतः अंत में आपसे यही अनुरोध करना चाहती हूँ कि वोट आपकी ताक़त है उसे अपनी कमज़ोरी न बनायें। किसी अनुचित भावना में बहकर निर्णय न लें बल्कि मुद्दों पर वोट करें और उचित व्यक्ति को ही वोट करें।

धन्यवाद।

*****************

0 Total Review

Leave Your Review Here

रचनाकार परिचय

अलका मिश्रा

ईमेल : alkaarjit27@gmail.com

निवास : कानपुर (उत्तर प्रदेश)

जन्मतिथि-27 जुलाई 1970 
जन्मस्थान-कानपुर (उ० प्र०)
शिक्षा- एम० ए०, एम० फिल० (मनोविज्ञान) तथा विशेष शिक्षा में डिप्लोमा।
सम्प्रति- प्रकाशक ( इरा पब्लिशर्स), काउंसलर एवं कंसलटेंट (संकल्प स्पेशल स्कूल), स्वतंत्र लेखन तथा समाज सेवा
विशेष- सचिव, ख़्वाहिश फ़ाउण्डेशन 
लेखन विधा- ग़ज़ल, नज़्म, गीत, दोहा, क्षणिका, आलेख 
प्रकाशन- बला है इश्क़ (ग़ज़ल संग्रह) प्रकाशित
101 महिला ग़ज़लकार, हाइकू व्योम (समवेत संकलन), 'बिन्दु में सिन्धु' (समवेत क्षणिका संकलन), आधुनिक दोहे, कानपुर के कवि (समवेत संकलन) के अलावा देश भर की विभिन्न साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं यथा- अभिनव प्रयास, अनन्तिम, गीत गुंजन, अर्बाबे कलाम, इमकान आदि में रचनाएँ प्रकाशित।
रेख़्ता, कविता कोष के अलावा अन्य कई प्रतिष्ठित वेब पत्रिकाओं हस्ताक्षर, पुरवाई, अनुभूति आदि में रचनाएँ प्रकाशित।
सम्पादन- हिज्र-ओ-विसाल (साझा शेरी मजमुआ), इरा मासिक वेब पत्रिका 
प्रसारण/काव्य-पाठ- डी डी उत्तर प्रदेश, के टी वी, न्यूज 18 आदि टी वी चैनलों पर काव्य-पाठ। रेखता सहित देश के प्रतिष्ठित काव्य मंचों पर काव्य-पाठ। 
सम्मान-
साहित्य संगम (साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक) संस्था तिरोड़ी, बालाघाट मध्य प्रदेश द्वारा साहित्य शशि सम्मान, 2014 
विकासिका (साहित्यिक सामजिक एवं सांस्कृतिक) संस्था कानपुर द्वारा ग़ज़ल को सम्मान, 2014
संत रविदास सेवा समिति, अर्मापुर एस्टेट द्वारा संत रवि दास रत्न, 2015
अजय कपूर फैंस एसोसिएशन द्वारा कविवर सुमन दुबे 2015
काव्यायन साहित्यिक संस्था द्वारा सम्मानित, 2015
तेजस्विनी सम्मान, आगमन साहित्य संस्था, दिल्ली, 2015
अदब की महफ़िल द्वारा महिला दिवस पर सम्मानित, इंदौर, 2018, 2019 एवं 2020
उड़ान साहित्यिक संस्था द्वारा 2018, 2019, 2021 एवं 2023 में सम्मानित
संपर्क- एच-2/39, कृष्णापुरम
कानपुर-208007 (उत्तर प्रदेश) 
 
मोबाइल- 8574722458