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वीणा शर्मा वशिष्ठ की क्षणिकाएँ

वीणा शर्मा वशिष्ठ की क्षणिकाएँ

हर मन की क्यारी में
बैर पनप रहा
क्यों न...
प्रेम की खाद डाल
माटी थपथपा दें...
नेह के
पुष्प खिला दें।

हर मन की क्यारी में
बैर पनप रहा
क्यों न...
प्रेम की खाद डाल
माटी थपथपा दें...
नेह के
पुष्प खिला दें।

 

हो गये पीले हाथ
बिटिया परायी हो गयी
काश!
पीले हाथों की
रस्म न होती,
बिटिया मेरे घर ही
सरसों का फूल होती

 

नारी उबलती रही सदा
मद्धम-मद्धम
खीर-सी
पर, जायके में सबके
खरी न उतरी
सोचती रही कमी...
आँच की या जिह्वा की?

 

नारी मन में
बर्फ़ से जमे जज़्बात
बूँद-बूँद कर
नैनों से पिघलने लगे
कर्मरत रह कर भी
जब सुनती रही-
मन भेदते शब्द।

 

ज़रूरी है
नारी मन का
कभी पत्थर हो जाना,
देखा है-
पत्थर में नारी को
पुजते हुए।

 

तन-मन
शहर बन गया,
अंदर से छलनी
रूँघता, रोआँ-रोआँ
बाहर, मेकअप आडम्बरों का
अन्त में धुल गया।

 

प्रेम की पराकाष्ठा
तुम्हें न दिखी,
क्योंकि-
तुम्हारे मन में अँधेरा था
मेरे मन में दीप।

 

चुलबुली ख्वाहिशें
कहाँ दफ़न होती हैं
मचलती है झुर्रियों में भी
मन के कोनों में।

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रचनाकार परिचय

वीणा शर्मा वशिष्ठ

ईमेल : veenasharmack@gmail.com

निवास : पंचकूला (हरियाणा)

जन्मतिथि- 25 मई 1977
जन्मस्थान- नजफगढ़, नई दिल्ली
शिक्षा- एम. ए. (हिन्दी)
संप्रति- स्वतंत्र लेखन
लेखन विधा- दोहे, क्षणिका, छंद मुक्त, ग़ज़ल
प्रकाशन- अनुभूति के पुष्प एवं बाल कृष्णा की दौड़ी रेल
प्रसारण- सतमोला कवियों की चौपाल में काव्य पाठ
सम्मान/पुरस्कार- राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान द्वारा 'फणीश्वर नाथ आंचलिक सम्मान 2019',सुप्रभात मंच द्वारा 'वर्ण पिरामिड शिरोमणि 2019', अर्णव कलश द्वारा 'हिन्दी साहित्य श्री सम्मान 2018', के बी हिन्दी सेवा न्यास द्वारा,'छंद शिरोमणि सम्मान 2021'आदि
पता- पंचकूला, हरियाणा
मोबाइल- 7986249984