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वीना श्रीवास्तव की कविताएं

वीना श्रीवास्तव की कविताएं

ख़ून के बहते धार को रोकने में
हमारा भी रक्त रिसेगा निश्चित ही
वैसे भी
आधी दुनिया के रक्त रिसावी चक्र से ही
जन्मी है तुम्हारी दुनिया

एक

लाल सलाम

दर्दों के आकाश पर
लिखना चाहती हूँ लाल सलाम
ताकि धरा पे और न हो सके रक्तपात

ख़ून के बहते धार को रोकने में
हमारा भी रक्त रिसेगा निश्चित ही
वैसे भी
आधी दुनिया के रक्त रिसावी चक्र से ही
जन्मी है तुम्हारी दुनिया
हमें आँकने में तुमने भूल की
तुम्हारे दिमग़ के कोठर में लिजलिजे कीड़े हैं
दीमक ने चाट लिया तुम्हारा रेशा-रेशा
अगर हमने तुम्हें शनीली रातें दी हैं
तो जीवन संघर्ष में
तुम्हारी ढाल
और तलवार बने
उर्वियों की तीव्रता, उसके चक्र
उसके भीतर का कंपन तय करता है
भीतर तक खंडित मन-पराग
बह चुके हैं हवा के साथ
अब वो दिन दूर नहीं
जब धरा पे होगी
हमारी क्रांतिकारी फ़सल
अभी कटी नहीं है
हमारी गर्भनाल

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दो

औरत..! इंसान..?

कितना भारी पड़ता है
ख़ुद को औरत मानना
औरत को औरत कहना
कितनी उम्रों में बँटकर जी रही है मानवी
अपने पौरुष की संतुष्टि के लिए
औरत को पहना डाले
उपमानों के ज़ेवर
जीव-अजीव,प्रकृति सभी के गुण
व्याप्त हैं एक औरत में
नहीं है
तो वो एक औरत, एक इंसान
उसे शेरनी, मोरनी और नागिन तक माना
वो नहीं बन सकी तो एक इंसान
उसके अंग दमकते रहे
सूरज-चंदा बनके
उसकी रोशनी के लिए
उसे किया जाता रहा नंगा
मगर काँपते हाॅंड़-मास को नहीं ढाँप सके
इंसान समझकर
समझ नहीं आता
कि वो कोख़ में पालती है जीवन
या जीवन भर ख़ुद पलती है
पुरुष की कोख़ में
जहाँ वो
मार दी जाती है असमय
और गढ़ी जाती हैं
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता
की परिभाषा।

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तीन

गोल

वो कपड़ा बुनती है
मगर बेटी का
तन नहीं ढाँप सकती
वो चमड़े से बनाती है जूते
और नन्हे के पाँव का चमड़ा
तपती रेत में भुनकर
लहू टपका रहा है
वो घर बनाने के लिए ढोती है ईंट-मौरंग
ख़ुद रातें गुज़ारती है
छप्पर के नीचे
वो रोपती है धान
और उसके बच्चे सो जाते हैं पेट दबाकर
उसके अरमानों की फ़सल को
रोज़ मार जाता है पाला
वो दिन भर करती है मेहनत मजूरी
हड्डियों से तोड़ती है पत्थर
उसके बच्चे नहीं जानते
लाल हरे नीले झंडे
अक्सर भर-भर मुट्ठी
ज़िंदाबाद-मुर्दाबाद चिल्लाने से
मिल जाती है पूरी-अचार
उसके बच्चे चीन्हते हैं
बस एक ही आकार
गोल
जो नहीं उनकी क़िस्मत में

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चार

सजा भोगती बेटियाॅं

जीवन के सोपान पर
पिता की टोपी का रंग कब मैला हो जाए
लड़के की दुष्टात्मा नहीं
तय करती है
बेटी की लाचारी
सूरज की ऊष्मा नहीं दोषी
चाॅंद की शीतल काया को नोचा जाता है
ठूँठ का दोष नहीं
कब कैसे सुखा दे पेड़ को
हथेलियों में भी उगे हैं ठूँठ
जो फ्रॉक को ना जाने
कब - कहाँ से फाड़ दे
फिरकी लेकर वो घूमती है
ख़ुद हवा में नाचती है
पायल के टूटने तक
फिरकी फिर भी घूमती रहती है
समय की धुरी पर
लाचारी के पल
तैर रहे हैं पानी में नाव बनकर
भूख से नहीं हैं बेकल
नारी होने की सज़ा
भुगत रही हैं बेटियाँ

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पाँच

निस्बत

वो जो बूढ़ी अम्मा बैठी है
झुर्ऱिंयों वाले चेहरे से
झाॅंककर देख रही है
जीवन का तमाशा
वो कैसे धान के बदले
ख़रीदती थी गुड़, नून, शक्कर
और आधी धोती लपेटकर
करती थी खेत में काम
अब उसकी नातिन
ढाॅंपती है पूरा बदन
और कई जोड़ा नज़रें
नापती हैं उसका रोआ-रोआ
बींधती हैं उसके जिस्म को
आल्ट्रा वायलेट किरणों की तरह
झुलस रही है उसकी काया
सौदा देते वक़्त
हाथ पकड़ने के लिए जबरन
थमाते हैं कुछ टॉफियाॅं
नातेदारों का भी बढ़ गया आना-जाना
मुझ बूढ़ी पे भी खाने लगे तरस
सोचती हूॅं तो लगता है
जितने साल नहीं बदले
उससे ज़्यादा बदल गई है ज़िन्दगी
ज़िन्दगी के मायने
और निस्बत के रंग

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रचनाकार परिचय

वीना श्रीवास्तव 

ईमेल : veena.rajshiv@gmail.com

निवास : राँची (झारखण्ड)

जन्मतिथि- १४ सितंबर 
जन्मस्थान- हाथरस (उ.प्र.)
लेखन विधा- कविता, कहानी, निबंध, नाटक, यात्रा संस्मरण, आलेख 
शिक्षा- स्नातकोत्तर (हिंदी, इंग्लिश व संगीत गायन) 
सम्प्रति- कला, संस्कृति विभाग झारखंड सरकार में अनुदान समिति की सदस्य और हेरिटेज झारखंड की त्रैमासिक पत्रिका ‌'भोर अपनी धरोहर' की संपादक
प्राकाशन- चार कविता संग्रह, दो कविता संग्रह, ब्लागर्स की कविताओं का संपादन।
सम्मान-
प्रमोद वर्मा युवा सम्मान 
नारायण लाल परमार सम्मान 
साहित्य सरिता सम्मान 
शब्द मधुकर सम्मान 
बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन शताब्दी सम्मान 
विद्योत्तमा साहित्य सम्मान काव्य कुसुम 
शान-ए-
सुभद्रा कुमारी चौहान झारखंड 
स्वयं सिद्ध सृजन सम्मान 
अपराजिता सम्मान 
क्षीर भवानी योगेश्वरी साहित्य सम्मान 
कल सिंधु सम्मान 
त्रिलोचन सम्मान अपराजिता सम्मान
प्रसारण- रेडियो नाटक व कविताएं 
विशेष- झोपड़ पट्टियों का सर्वे, लकड़ी के खिलौने, ढोलक बनाने वाले कारीगरों का सर्वे, कालईन बुनकर व सीप से कलाकृति बनाने वालों का सर्वे, स्कूल, कॉलेज व प्रोफेशनल कालेज में बच्चों व माता-  पिता से इंटरेक्शन, आठ वर्षों तक पेरेंटिंग पर कॉलम, पॉलिथीन के विरोध में अभियान और स्कूलों में हस्ताक्षर अभियान आदि।
संपर्क- सी - 306, स्काईडेल अपार्टमेंट, हरिहर सिंह रोड, पुष्प विहार के बगल में, मोराबादी, रांची  834008  ( झारखंड)
मोबाइल- 9771431900