Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।

विनोद श्रीवास्तव के पाँच गीत

विनोद श्रीवास्तव के पाँच गीत

हमारे दर्द गूँगे हैं
तुम्हारे कान बहरे हैं
तुम्हारा हास्य सतही है
हमारे घाव गहरे हैं

एक- याद हमें अपनों की आई 
 
आज नदी में
पाँव डुबोते
याद हमें किरणों की आई
 
जल का
बहते- बहते थामना
लहरों में
कम्पन भर जाये
कोई छवि
गहरे तक उतरे 
पानी का दर्पण लहराये 
 
हार बनाते
फूल पिरोते
याद हमें अपनों की आई
 
सुधि के पंछी
लौट रहे हैं
संध्या वेला गाँव हमारे
जनम–जनम की
साध कुंवारी
संवलाई आरती उतारे
 
पश्चिम में
सूरज के ढलते
याद हमें सपनों की आई
 
अनुभव किये
बहुत दिन बीते
कैसे रात गंधमय होती
कैसे कोई
गीत जन्मता
कैसे प्रीत
छन्दमय होती 
 
नीले नभ पर
चाँद उभरते
याद हमें सपनों की आई

******************



दो- न कोई साखियाँ लिखता
 
हवा में
तैरते लमहों
न हमको
पास खींचों
हमें तो गंध का एहसास
जीने की मनाही है
 
हजारों पंख टूटे हैं
हजारों शंख फूटे हैं
किसीके जंगलीपन ने
सहमते जिस्म लूटे हैं
 
स्वरों में तैरते लमहों
न हमको
पास खींचों तुम
हमें तो गीत का मधुमास
जीने की मनाही है 
 
न कोई बावरा दिखता
न कोई साखियाँ लिखता
न पानी में रहीं छवियाँ
न घाटों में बची सिकता
 
नदी में
तैरते लमहों
न हमको
पास खींचो तुम
हमें तो
लहर का विश्वास
जीने की मनाही है

******************



तीन- सफ़र की बानगी हमको नहीं मिलती
 
नदी के तीर पर ठहरे
नदी के बीच से गुजरे
 
कहीं भी तो नजर की बानगी
हमको नहीं मिलती
 
हवा को हो गया है क्या
नहीं पत्ते खड़कते हैं
घरों में उग रहे खंडहर
बहुत सीने धड़कते हैं
 
किसीके गाँव में ठहरे
किसीके गाँव से गुजरे
 
कहीं भी तो नजर की बानगी
हमको नहीं मिलती
 
नकाबें पहनते हैं दिन
कि लगता रात पसरी है
जिसे सब स्वर्ग कहते हैं
न जाने कौन नगरी है
 
गली के मोड़ पर ठहरे
गली के बीच से गुजरे
 
कहीं भी तो शहर की बानगी
हमको नहीं मिलती
 
कहाँ मंदिर, कहाँ गिरजा,
कहाँ खोया हुआ काबा
कहाँ नानक, कहाँ कबिरा ,
कहाँ चैतन्य की आभा
 
अवध की शाम को ठहरे
बनारस की सुबह गुजरे
 
कहीं भी तो सफर की बानगी
हमको नहीं मिलती    

******************



चार- तुम्हारे कान बहरे हैं
 
हमारी देह का तपना
तुम्हारी धूप क्या जाने
 
बहुत गहरे नहीं
सम्बन्ध होते रंक-रजा के
न रौंदें गाँव की मिट्टी
किसी के बूट आ-जाके
 
हमारे गाँव का सपना
तुम्हारा भूप क्या जाने
 
नशे में है बहुत ज्यादा
अमीरी आपकी कमसिन
गरीबी मौन है फिर भी
उजाड़ी जा रही दिन-दिन
 
हमारी प्यास का बढ़ना
तुम्हारा कूप क्या जाने
 
हमारे दर्द गूँगे हैं
तुम्हारे कान बहरे हैं
तुम्हारा हास्य सतही है
हमारे घाव गहरे हैं
 
हमारी भूख का उठाना
तुम्हारा सूप क्या जाने 

******************



पाँच- फिर नदी अचानक सिहर उठी
 
फिर नदी अचानक सिहर उठी
यह कौन छू गया साँझ ढले
 
संयम से बहते ही रहना
जिसके स्वभाव में शामिल था
दिन-रात कटाओं के घर में
ढहना ही जिसका लाज़िम था
 
फिर नदी अचानक लहर उठी
यह कौन छू गया साँझ ढले
 
छू लिया किसी सुधि के क्षण ने
या छन्द भरी पुरवाई ने
या फिर गहराते सावन ने
या  गंधमई  अमराई ने 
 
सोते पानी में भँवर उठी
यह कौन छू गया साँझ ढले  

******************
 

0 Total Review

Leave Your Review Here

रचनाकार परिचय

विनोद श्रीवास्तव

ईमेल : vinod9648644966@gmail.com

निवास : कानपुर (उत्तर प्रदेश)

नाम- विनोद श्रीवास्तव (विनोद कुमार श्रीवास्तव)
जन्मतिथि- 02 जनवरी 1955 
जन्म स्थान- कानपुर
लेखन विधा- कविता
शिक्षा- परास्नातक (अर्थशास्त्र एवं हिंदी साहित्य)
सम्प्रति- दैनिक जागरण, कानपुर के फीचर विभाग से सम्बद्ध एवं जागरण समूह की लक्ष्मी देवी ललित कला अकादमी, कानपुर में प्रबंधक
प्रकाशन- ‘भीड़ में बांसुरी’ (वर्ष 1987, पराग प्रकाशन ,दिल्ली), ‘अक्षरों की कोख से’
(वर्ष 2001,अनुभूति प्रकाशन, प्रयागराज) और ‘जल में बिम्ब एक ही तिरता’ (अरु प्रकाशन, दिल्ली) से गीत संग्रह प्रकाशित I
“ समकालीन नवगीत संचयन” (सम्पादक डॉ. ओम प्रकाश सिंह , साहित्य अकादमी, दिल्ली) ‘शब्दायन’ (सम्पादक – श्री निर्मल शुक्ल,लखनऊ), हिंदी के सर्वश्रेष्ठ गीत (सम्पादक- मधुकर गौड़, मुम्बई ) ‘गीत वसुधा’ और  ‘समकालीन गीत कोश’  (सम्पादक, श्री नचिकेता, पटना), समयांतर ( सम्पादक- डॉ. रणजीत पटेल, मुज्जफरपुर, बिहार) ‘धार पर हम -2’ (सम्पादक श्री वीरेन्द्र आस्तिक, कानपुर)आदि संचयनों में रचनाएँ संकलितI
साप्ताहिक हिंदुस्तान, कादम्बिनी, अहा ! जिन्दगी,  सरिता, माधुरी ( फिल्म पत्रिका),  नये-पुराने, दस्तावेज, अकार, करेंट, शब्द बीज, युगीन काव्या और हिंदी के श्रेष्ठ गीत (सम्पादक- नीरज एवं किरन सिंह) में गीतों का प्रकाशनI
दैनिक जागरण, दैनिक हिन्दुस्तान, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा, स्वतंत्र भारत आदि समाचार पत्रों में गीतों का प्रकाशन I
प्रसारण- आकाशवाणी के लखनऊ, मथुरा (उत्तर प्रदेश), छतरपुर (मध्य प्रदेश ), नई टिहरी (उत्तराखंड) और दिल्ली  एवं दूरदर्शन के दिल्ली, लखनऊ, भोपाल और इंदौर केन्द्रों से काव्यपाठI
सम्मान/ पुरस्कार- उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल महामहिम श्री मोतीलाल वोरा और श्री वी. सत्यनारायण रेड्डी , राजस्थान के पूर्व राज्यपाल महामहिम श्री बलिराम भगत और कर्नाटक के पूर्व राज्यपाल महामहिम श्री टी. एन. चतुर्वेदी द्वारा सम्मानित I
श्री गीता मेला समिति, कानपुर द्वारा “कवि कोविद” की उपाधि और जिगर अकादमी, कानपुर,  नागरी प्रचारिणी सभा, कानपुर, “सौरभ” कानपुर और कायस्थ महासभा (उत्तर प्रदेश) द्वारा अलंकरण प्राप्त I 
पता- अरावली, बी/11-14, शताब्दी नगर फेज-4, रतनपुर (पनकी, गंगा गंज ), कानपुर– 208020, (उत्तर प्रदेश)              
मोबाइल- 9648644966