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विश्व विकलांगता दिवस की सार्थकता- अलका मिश्रा

विश्व विकलांगता दिवस की सार्थकता- अलका मिश्रा

दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण का मतलब केवल उनकी आवश्यकताओं को पूरा करना नहीं है बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाना और उनकी क्षमता को पहचानना है।

विश्व विकलांगता दिवस- उद्देश्य एवं उपयोगिता

विश्व विकलांगता दिवस हर साल 3 दिसंबर को मनाया जाता है। इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1992 में स्थापित किया गया था ताकि दिव्यांगजनों के अधिकारों, गरिमा और कल्याण को बढ़ावा दिया जा सके। इस दिन का उद्देश्य समाज में दिव्यांगजनों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना और उनके लिए समान अवसर सुनिश्चित करना है।

उद्देश्य

  • समानता और समावेशिता- दिव्यांगजनों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करना।
  • सशक्तिकरण- दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने हेतु उन्हें शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना।
  • जागरूकता- समाज में दिव्यांगता से जुड़े पूर्वाग्रह और भेदभाव को समाप्त करना।
  • नीतिगत सुधार- सरकार और अन्य संगठनों को दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए ठोस योजनाएँ बनाने के लिए प्रेरित करना।

उपयोगिता

  • दिव्यांगजनों को उनके अधिकारों और सरकारी योजनाओं की जानकारी देना।
  • सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों में जागरूकता पैदा करना।
  • प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से दिव्यांगजनों के जीवन को सरल बनाना।

समाज का दिव्यांगजनों के प्रति उत्तरदायित्व

दिव्यांगजनों के प्रति समाज का उत्तरदायित्व सिर्फ संवेदनशीलता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सक्रिय भागीदारी भी शामिल है।

  • सम्मान और स्वीकृति- दिव्यांगजनों के साथ समानता का व्यवहार करना और उन्हें उनके जीवन के हर क्षेत्र में अवसर प्रदान करना।
  • सुगम परिवेश- सार्वजनिक स्थलों, शैक्षिक संस्थानों और परिवहन में उनकी पहुँच सुनिश्चित करना।
  • सामाजिक जागरूकता- दिव्यांगता के प्रति मिथकों और ग़लतफ़हमियों को समाप्त करने के लिए जागरुकता अभियान चलाना।
  • शिक्षा और रोज़गार-विशेष शिक्षा संस्थान और कौशल विकास कार्यक्रम स्थापित करना।
  • सशक्तिकरण के प्रयास- उनके लिए आत्मनिर्भरता बढ़ाने वाले संसाधनों का निर्माण करना।

दिव्यांगजनों के जीवन में सबसे बड़ी बाधा शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक है। समाज में व्याप्त पूर्वाग्रह और भेदभाव उनकी प्रगति को बाधित करते हैं। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि दिव्यांगता कोई कमजोरी नहीं है बल्कि यह मानव विविधता का एक हिस्सा है।

समाज को चाहिए कि वह दिव्यांगजनों को 'सहानुभूति' की बजाय 'सम्मान' दे। सरकार और नागरिकों को मिलकर उनके लिए बेहतर अवसर, साधन और सुविधाएँ उपलब्ध करानी होंगी। समावेशी समाज की परिकल्पना तभी साकार हो सकती है, जब हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी स्थिति में हो, अपने हिस्से का योगदान दे सके।

दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण का मतलब केवल उनकी आवश्यकताओं को पूरा करना नहीं है बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाना और उनकी क्षमता को पहचानना है। जब हम उपर्युक्त उद्देश्यों पर वर्ष भर लगातार केंद्रित रह कर कार्य करते रहेंगे और समाज का प्रत्येक नागरिक अपने स्तर पर अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वहन करेगा तभी विकलांगता दिवस की सार्थकता सिद्ध होगी अन्यथा यह मात्र औपचारिकता भर बनकर रह जाएगा।
आइए, हम सभी मिलकर यह सुनिश्चित करें कि इस विशिष्ट वर्ग के लोग भी समाज की मुख्यधारा से जुड़कर पूरी गरिमा के साथ जी सकें।

आपकी 

अलका मिश्रा

3 Total Review
U

Umesh mehta. Ahmedabad. Gujarat

13 December 2024

Bahot accha article. Bahot accha likhti ho aap. Congrats

अलका मिश्रा

11 December 2024

जमशेदपुरी जी हार्दिक आभार आपका

वसंत जमशेदपुरी

10 December 2024

सार्थक संपादकीय के लिए बधाई

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रचनाकार परिचय

अलका मिश्रा

ईमेल : alkaarjit27@gmail.com

निवास : कानपुर (उत्तर प्रदेश)

जन्मतिथि-27 जुलाई 1970 
जन्मस्थान-कानपुर (उ० प्र०)
शिक्षा- एम० ए०, एम० फिल० (मनोविज्ञान) तथा विशेष शिक्षा में डिप्लोमा।
सम्प्रति- प्रकाशक ( इरा पब्लिशर्स), काउंसलर एवं कंसलटेंट (संकल्प स्पेशल स्कूल), स्वतंत्र लेखन तथा समाज सेवा
विशेष- सचिव, ख़्वाहिश फ़ाउण्डेशन 
लेखन विधा- ग़ज़ल, नज़्म, गीत, दोहा, क्षणिका, आलेख 
प्रकाशन- बला है इश्क़ (ग़ज़ल संग्रह) प्रकाशित
101 महिला ग़ज़लकार, हाइकू व्योम (समवेत संकलन), 'बिन्दु में सिन्धु' (समवेत क्षणिका संकलन), आधुनिक दोहे, कानपुर के कवि (समवेत संकलन) के अलावा देश भर की विभिन्न साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं यथा- अभिनव प्रयास, अनन्तिम, गीत गुंजन, अर्बाबे कलाम, इमकान आदि में रचनाएँ प्रकाशित।
रेख़्ता, कविता कोष के अलावा अन्य कई प्रतिष्ठित वेब पत्रिकाओं हस्ताक्षर, पुरवाई, अनुभूति आदि में रचनाएँ प्रकाशित।
सम्पादन- हिज्र-ओ-विसाल (साझा शेरी मजमुआ), इरा मासिक वेब पत्रिका 
प्रसारण/काव्य-पाठ- डी डी उत्तर प्रदेश, के टी वी, न्यूज 18 आदि टी वी चैनलों पर काव्य-पाठ। रेखता सहित देश के प्रतिष्ठित काव्य मंचों पर काव्य-पाठ। 
सम्मान-
साहित्य संगम (साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक) संस्था तिरोड़ी, बालाघाट मध्य प्रदेश द्वारा साहित्य शशि सम्मान, 2014 
विकासिका (साहित्यिक सामजिक एवं सांस्कृतिक) संस्था कानपुर द्वारा ग़ज़ल को सम्मान, 2014
संत रविदास सेवा समिति, अर्मापुर एस्टेट द्वारा संत रवि दास रत्न, 2015
अजय कपूर फैंस एसोसिएशन द्वारा कविवर सुमन दुबे 2015
काव्यायन साहित्यिक संस्था द्वारा सम्मानित, 2015
तेजस्विनी सम्मान, आगमन साहित्य संस्था, दिल्ली, 2015
अदब की महफ़िल द्वारा महिला दिवस पर सम्मानित, इंदौर, 2018, 2019 एवं 2020
उड़ान साहित्यिक संस्था द्वारा 2018, 2019, 2021 एवं 2023 में सम्मानित
संपर्क- एच-2/39, कृष्णापुरम
कानपुर-208007 (उत्तर प्रदेश) 
 
मोबाइल- 8574722458