Ira
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रॉबर्ट फ्रॉस्ट की कविता का चित्रांश वाघमारे द्वारा अनुवाद

रॉबर्ट फ्रॉस्ट की कविता का चित्रांश वाघमारे द्वारा अनुवाद

जो सोने-सा खरा उसे
इक दिन खोना ही पड़ता है

धरा पर पहले-पहल ज्यों
उगा था निश्छल हरापन
वो धरा के लिए सचमुच
खरे सोने की तरह था!

रंग वो, जिसको बचाना
बहुत मुश्किल हो रहा था!

पहले पहल पत्ती बनी,

पहले रही थी फूल जो
थोड़े समय तक ही रही
पत्तियाँ फिर पत्तियों में
बेतरह घुलमिल गईं

ईडन का वह उद्यान
(जहाँ पर आदम और हव्वा रहते थे)
वो भी दुख में डूब गया जब
उन दोनों का पतन हुआ था

वैसे ही हर नई भोर को
दिन होना ही पड़ता है
जो सोने-सा खरा उसे
इक दिन खोना ही पड़ता है

जो सोने-सा खरा उसे
इक दिन खोना ही पड़ता है

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Nothing Gold Can Stay

Nature’s first green is gold,
Her hardest hue to hold.
Her early leaf’s a flower;
But only so an hour.
Then leaf subsides to leaf.
So Eden sank to grief,
So dawn goes down to day.
Nothing gold can stay.

- Robert Frost

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रचनाकार परिचय

चित्रांश वाघमारे

ईमेल : chitranshwagh@gmail.com

निवास : भोपाल (मध्यप्रदेश)

जन्मतिथि- 19 जनवरी 1994
शिक्षा- एम० कॉम
सम्प्रति- Deloitte Consulting LLP में कंसल्टेंट के पद पर कार्यरत
प्रकाशन- एक पुस्तक 'माँ' (काव्य संग्रह) प्रकाशित। हिंदी की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं तथा समवेत संकलनों में अनेक गीत/नवगीत प्रकाशित।
निवास- एम० 329, गौतम नगर, गोविन्दपुरा, भोपाल (मध्यप्रदेश)
मोबाइल- 9993232012