Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।

छन्द में काव्य दोष- मनोज शुक्ल 'मनुज'

छन्द में काव्य दोष- मनोज शुक्ल 'मनुज'

छन्द की पाठशाला में इस बार छन्दों में पाए जाने वाले काव्य दोषों पर मनोज शुक्ल 'मनुज' द्वारा की गई विस्तृत चर्चा पढ़िए और छन्द विधान सीखिए। 

काव्य दोष

कविता में होने वाले निम्न दोषों का परिहार करके आप अपनी रचनाओं को अधिक प्रभावशाली बना सकते हैं।आचार्य मम्मट के अनुसार - मुख्यार्थ का अपकर्ष करने वाले तत्व, काव्य-दोष हैं।

1- श्रुतिकटुत्व दोष- जो शब्द कठोर वर्णों से बने होते हैं, वे सुनने में कटु लगते हैं। इनके प्रयोग से रचना में श्रुतिकटुत्व दोष आ जाता है।

उदाहरण-

देखत कछु कौतुक इतै, देखी नेकु विचारि।
कब की इकटक डटि रही,टटिया अँगुरिन डारि।।
बिहारी

स्पष्ट है कठोर वर्णों के प्रयोग से ये दोष उतपन्न हुआ है। उदाहरण से स्पष्ट है, जिसमें ट वर्ग के वर्णों का अधिक प्रयोग हुआ है।

2- व्याकरण दोष- जब कोई शब्द व्याकरण के नियमों के विरुद्ध प्रयुक्त होता है, तो व्याकरण दोष होता है।

उदाहरण-

मरम बचन जब सीता बोला।

यहाँ सीता के साथ पुल्लिंग क्रिया का प्रयोग है।

3- अश्लीलत्व दोष- जिस शब्द से अश्लीलता या फूहड़ता प्रकट हो उसके प्रयोग से यह दोष होता है।

उदाहरण-


चोरत है पर उक्ति को जो कवि ह्वै स्वच्छन्द,

वे उत्सर्गरु वमन को, उपभोगत मतिमन्द।

जो कवि दूसरों की कविता को स्वछंद होकर चुराता है वह मूर्ख, त्यागी हुई की हुई उल्टी का उपभोग करता है।
यहाँ उल्टी शब्द अजीब सी वितृष्णा उतपन्न करता है। इसलिए ये दोष है।

इसी तरह अश्लील शब्दों के प्रयोग से भी ये दोष होता है।

4- अप्रतीतत्व दोष- जहाँ ऐसे शब्द का प्रयोग किया गया हो,जो किसी विशिष्ट अर्थ में प्रयुक्त होता हो या पारिभाषिक हो,परंतु साधारणतया प्रयोग न किया जाता हो, वहाँ अप्रतीतत्व दोष होता है।

उदाहरण-
पास हैं सबूत सब मुजरिम लाइये जी ,

देर मत कीजिये मुकदमा चलाने में।
उम्र कैद दीजिए जी उम्र भर कैद रहे,
उसको रखना कैद दिल के कैदखाने में।

ऐसा प्रतीत होता है कोई मुजरिम लाया जाना है पर बात प्रेमी/प्रेमिका की है। इसलिए यहाँ अप्रतीतत्व दोष है।

5- दुष्क्रमत्व दोष- ब कोई ऐसी बात कही जाती है जो लोक या शास्त्र के विरुद्ध हो तो दुष्क्रमत्व दोष होता है।

उदाहरण-
मुख मयंक को देखकर विकसा मानस कंज।

6- अपुष्टार्थत्व दोष- हाँ किसी ऐसी वस्तु का वर्णन हो जिसके न होने पर भी इच्छित अर्थ की प्राप्ति में बाधा न हो, तो पुष्टार्थत्व दोष होता है।

उदाहरण-
आये वैरी विपुल चढ़ के अब उठो सैनिकों तुम।

वैरी विपुल न भी हों तब भी सैनिकों को उनका सामना करने को उठना ही होगा।यहाँ विपुल का प्रयोग अनावश्यक है।

7- व्रीडावाची दोष- लज्जा या संकोच का भाव जगाने वाले शब्दों को व्रीडावाची शब्द कहते हैं।

उदाहरण-
घटाएँ पुरानी मौन,
बैठा सोचता हूँ
उस समय
कितना बड़ा मैं चूतिया था।

चूतिया शब्द व्रीडावाची शब्द है।इसलिए यहाँ यह दोष है।

8- ग्राम्यत्व दोष- काव्य में जहाँ ग्रामीण शब्दों का प्रयोग किया गया हो वहाँ ग्राम्यत्व दोष होता है।

उदाहरण-
आप इस दुआर पर कभी मत आना।

इसमें दुआर ग्रामीण शब्द है,इसलिए यहाँ ग्राम्यत्व दोष है।

9- क्लिष्टत्व दोष- जहाँ तुरंत अर्थ समझने में कठिनाई हो वहां क्लिष्टत्व दोष होता है।

उदाहरण-
नखत बेद ग्रह जोरि अरधकरि को बरजै हम खात

(27 नक्षत्र,4 वेद 9 ग्रह जोड़ कर आधा करे यानी 40 का आधा 20 ,,,,विष)

नखत बेद ग्रह जोरि अरधकरि (नक्षत्र 27+वेद 4+ग्रह 9=40,,40,भाग 2=20 बीस से खींचतान कर बिस बनाया गया जिससे अर्थ हुआ विष?

खगपति-पति-पितृ-बधू-जल समान तुव बैन।
गरुड़ के स्वामी विष्णु की पत्नी लक्ष्मी के पिता समुद्र की पत्नी अर्थात गंगा कर जल के समान पवित्र तुम्हारे वचन।

यहाँ क्लिष्टत्व दोष है। इस दोष का एक उदाहरण केशव की रामचंद्रिका भी है। तुलसी की रामचरित मानस की प्रतिस्पर्धा में केशव ने रामचन्द्रिका की रचना की, जो विद्वता और गुस्से के कारण बहुत क्लिष्ट हो गईं। जिससे उन्हें कठिन काव्य का प्रेत कहा जाने लगा।

10- अमंगल वाची दोष- मांगलिक अर्थ को प्रकट करने वाले शब्दों से अमांगलिक दोष होता है।

उदाहरण- 
श्री जमुनाजल पान कर बसु वृन्दावन धाम।

मुख में महाप्रसादु रखु, लै श्रीवल्लभ नाम।
भारतेंदु हरिश्चंद्र

यहाँ महाप्रसादु का अर्थ कृष्ण प्रसाद से है किंतु महाप्रसाद नर प्रसाद (नर मांस) को भी कहते हैं। इसलिए अमंगल वाची दोष है।

0 Total Review

Leave Your Review Here

रचनाकार परिचय

मनोज शुक्ल 'मनुज'

ईमेल : gola_manuj@yahoo.in

निवास : लखनऊ (उत्तरप्रदेश)

जन्मतिथि- 04 अगस्त, 1971
जन्मस्थान- लखीमपुर-खीरी
शिक्षा- एम० कॉम०, बी०एड
सम्प्रति- लोक सेवक
प्रकाशित कृतियाँ- मैंने जीवन पृष्ठ टटोले, मन शिवाला हो गया (गीत संग्रह)
संपादन- सिसृक्षा (ओ०बी०ओ० समूह की वार्षिकी) व शब्द मञ्जरी(काव्य संकलन)
सम्मान- राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उत्तर प्रदेश द्वारा गया प्रसाद शुक्ल 'सनेही' पुरस्कार
नगर पालिका परिषद गोला गोकरन नाथ द्वारा सारस्वत सम्मान
भारत-भूषण स्मृति सारस्वत सम्मान
अंतर्ज्योति सेवा संस्थान द्वारा वाणी पुत्र सम्मान
राष्ट्रकवि वंशीधर शुक्ल स्मारक एवं साहित्यिक प्रकाशन समिति, मन्योरा-खीरी द्वारा राजकवि रामभरोसे लाल पंकज सम्मान
संस्कार भारती गोला गोकरन नाथ द्वारा साहित्य सम्मान
श्री राघव परिवार गोला गोकरन नाथ द्वारा सारस्वत साधना के लिए सम्मान
आगमन साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समूह द्वारा सम्मान
काव्या समूह द्वारा शारदेय रत्न सम्मान
उजास, कानपुर द्वारा सम्मान
यू०पी०एग्री०डिपा०मिनि० एसोसिएशन द्वारा साहित्य सेवा सम्मान व अन्य सम्मान
उड़ान साहित्यिक समूह द्वारा साहित्य रत्न सम्मान
प्रसारण- आकाशवाणी व दूरदर्शन से काव्य पाठ, कवि सम्मेलनों व अन्य साहित्यिक कार्यक्रमों में सहभागिता
निवास- जानकीपुरम विस्तार, लखनऊ (उ०प्र०)
मोबाइल- 6387863251