Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।

पवन कुमार जैन के हाइकु

पवन कुमार जैन के हाइकु

पैकेज पीढ़ी
जिनके लिए होते
माँ-बाप सीढी।


उगा क्षितिज
धुला-धुला आकाश
धरा का हास।



क्यों न सुस्ताती
फड़फड़ाती बाती
कपाल भाती।



जोहते बाट
बारी-बारी पहुँचे
श्मसान घाट।



सर्व सम्पन्न
धन-साधन-अन्न
मन विपन्न।



छन के आती
यादों के झरोखों से
मासूम बातें।



छोटे-से दीये
जब तक भी जिये
रोशनी दिए।



लो आ ही गई
टिक-टिक करती
मौत की घड़ी।



थोड़ा-सा जी लें
हाथों में ले के हाथ
कल हो न हो।



अधूरे ख़त
बंद अलमारी में
सिसक रहे।



प्यारी धरती
सब कुछ सहती
प्यासी रहती।



आँखों के नूर
बुढ़ापे की हैं लाठी
हाथों से दूर।



कब सो गई
खाली हाँडी के संग
चूल्हे की आग।



दूज का चाँद
है डायटिंग पर
ज़ीरो फीगर।



पैकेज पीढ़ी
जिनके लिए होते
माँ-बाप सीढी।



है हठयोगी
फुनगी पे लटका
छोटा-सा आम।

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17 Total Review
A

Ajay Shanker Bharti

15 September 2024

प्रिय मित्र पवन, आज के समाज और जीवन दर्शन पर सार्थक शब्द माला। बधाई।

S

SANJAY DESHMANE

15 September 2024

दूज का चाँद है डायटिंग पर ज़ीरो फीगर I पवनजी, हर चीज को देखनेका आपका एक अलग अंदाज हैं I बहोत खूब I

राजिंदर सिंह बेवली

15 September 2024

सभी हाइकू कुछ न कुछ कहते हैं , कोई न कोई संंदेश देते हैं। हर रोज मौत की ओर बढ़ रहे इंसान को समझाने का प्रयास करते हैं। मेरी बधाई और शुभकामनाएं पवन जी।

डॉ. संगीता शर्मा अधिकारी

14 September 2024

गागर में सागर सरीखे अत्यंत शिक्षाप्रद एवं जीवन में आत्मसात करने वाले बेहतरीन हाइकु अभिव्यक्ति के लिए आदरणीय पवन जैन सर को हार्दिक शुभकामनाएं। इनकी लेखनी निरंतर ऐसी ही धारदार रहे। बधाई।

राजेन्द्र माहेश्वरी

14 September 2024

एक से बढ़ कर एक, जीवन दर्शन के सार्थक हाइकु

N

Netal Raje

14 September 2024

बहुत ही शानदार हायकू l छोटे, पर घाव करे गंभीर l इसी तरह जैन सर की लेखनी चलती रहे l

S

Sumona

14 September 2024

Simply marvelous Really heart touching

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रचनाकार परिचय

पवन कुमार जैन

ईमेल : jain.pawankumar@gmail.com

निवास : लखनऊ (उ०प्र०)

जन्मतिथि- 05 जुलाई, 1959
शिक्षा- स्नातकोत्तर (हिंदी साहित्य)
संप्रति- पंजाब एण्ड सिंध बैंक से वरिष्ठ प्रबंधक (राजभाषा) के पद से सेवानिवृत्त।
प्रकाशन- 'हाय अंकल बाय आँटी' (व्यंग्य संग्रह), 'पाँच-सात-पाँच' (हाइकु संग्रह) प्रकाशित।
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कविताएँ, कहानियाँ, हास्य-व्यंग्य एवं हाइकु का प्रकाशन।
संपादन- बैंक की गृह पत्रिका 'राजभाषा अंकुर' और बैंक नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, लखनऊ की पत्रिका 'नगर-प्रभा' का सम्पादन। राजभाषा स्वर्ण जयंती पत्रिका का सम्पादन, जो वर्ष 2000 में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा पुरस्कृत हुई। 'लखनऊ के हाइकुकार' (2008) एवं 'हाइकु लैब- स्वप्नों की सेल्फी' का सम्पादन।
अन्य गतिविधियाँ- अखिल भारतीय स्तर पर कवि सम्मेलनों का आयोजन, संचालन एवं प्रस्तुति। वर्ष 2012 से 'हाइकु संसार' समूह का संचालन। बैंकों और केन्द्रीय सरकार के अनेक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में संकाय-सदस्य। आकाशवाणी और दूरदर्शन के साहित्यिक कार्यक्रमों में नियमित प्रतिभाग।
सम्मान/पुरस्कार- विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत।
निवास- बी-1/504, कावेरी अपार्टमेंट, गोमतीनगर विस्तार, लखनऊ (उ०प्र०)- 226010
मोबाइल- 9867606954