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मनोज शुक्ल 'मनुज' के मनहरण घनाक्षरी

मनोज शुक्ल 'मनुज' के मनहरण घनाक्षरी

राम-माया दोनों के ही फेर में रहे जो बंधु,
उनको न माया मिली, राम भी नहीं मिले।


रण दया, क्रूरता के मध्य छिड़ ही गया है,
देव वृत्ति का समूल हो रखा क्षरण है।
क्षरण है पुण्य, सद्वृत्तियों, विनम्रता का,
चाटुकारिता का,झूठ, पाप का वरण है।
वरण है येन-केन प्रकारेण लालच का,
भोग का, अनैतिक विलास का चरण है।
चरण है कह के मुकरने का, नीचता का,
स्वाभिमान, पाँव चाटने के मध्य रण है।

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हरण को मान आसुरी प्रवृत्तियाँ सदैव,
झूमती हैं ज्ञान का विवेक का मरण है।
मरण है सौम्यता, सरलता का साधुता का,
छल का, प्रपंच का, अयोग्य का भरण है।
भरण है, पोषण है, कर्महीन कायरों का,
धर्म दण्ड छोड़ साधु धन की शरण है।
शरण है नीति कलयुग के कुबेर घर,
शुचिता का, सत्य ज्ञान, दान का हरण है।

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मित्र धन में जो बाँट बंदर-सी करता है,
दाम के ही फेर में था, दाम भी नहीं मिले।
राधिका को भूल श्याम-श्याम सदा रटता था,
उसको कभी भी प्रभु श्याम भी नहीं मिले।
भक्ति से, उदारता से त्याग, सत्य प्रेम से जो,
दूर रहा भक्ति धाम, नाम भी नहीं मिले।
राम-माया दोनों के ही फेर में रहे जो बंधु,
उनको न माया मिली, राम भी नहीं मिले।

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ताप को डराती चपला की गर्जना है किन्तु,
मेघ आग को भी राख करके बहाते हैं।
बातें जो बनाते वो बनाते रह जाते और,
कर्मयोग वाले काम करके दिखाते हैं।
कवि लिखते हैं नाम भी सुना न पिंगल का,
मदिरा का पान कर देश गान गाते हैं।
मान की है भूख, ज्ञान का है ज्ञात ज्ञ भी नहीं,
अपयश पाते सर धुन पछताते हैं।

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रचनाकार परिचय

मनोज शुक्ल 'मनुज'

ईमेल : gola_manuj@yahoo.in

निवास : लखनऊ (उत्तरप्रदेश)

जन्मतिथि- 04 अगस्त, 1971
जन्मस्थान- लखीमपुर-खीरी
शिक्षा- एम० कॉम०, बी०एड
सम्प्रति- लोक सेवक
प्रकाशित कृतियाँ- मैंने जीवन पृष्ठ टटोले, मन शिवाला हो गया (गीत संग्रह)
संपादन- सिसृक्षा (ओ०बी०ओ० समूह की वार्षिकी) व शब्द मञ्जरी(काव्य संकलन)
सम्मान- राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उत्तर प्रदेश द्वारा गया प्रसाद शुक्ल 'सनेही' पुरस्कार
नगर पालिका परिषद गोला गोकरन नाथ द्वारा सारस्वत सम्मान
भारत-भूषण स्मृति सारस्वत सम्मान
अंतर्ज्योति सेवा संस्थान द्वारा वाणी पुत्र सम्मान
राष्ट्रकवि वंशीधर शुक्ल स्मारक एवं साहित्यिक प्रकाशन समिति, मन्योरा-खीरी द्वारा राजकवि रामभरोसे लाल पंकज सम्मान
संस्कार भारती गोला गोकरन नाथ द्वारा साहित्य सम्मान
श्री राघव परिवार गोला गोकरन नाथ द्वारा सारस्वत साधना के लिए सम्मान
आगमन साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समूह द्वारा सम्मान
काव्या समूह द्वारा शारदेय रत्न सम्मान
उजास, कानपुर द्वारा सम्मान
यू०पी०एग्री०डिपा०मिनि० एसोसिएशन द्वारा साहित्य सेवा सम्मान व अन्य सम्मान
उड़ान साहित्यिक समूह द्वारा साहित्य रत्न सम्मान
प्रसारण- आकाशवाणी व दूरदर्शन से काव्य पाठ, कवि सम्मेलनों व अन्य साहित्यिक कार्यक्रमों में सहभागिता
निवास- जानकीपुरम विस्तार, लखनऊ (उ०प्र०)
मोबाइल- 6387863251