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एक महत्वपूर्ण शोध-ग्रन्थ : सुभद्राकुमारी चौहान के साहित्य में संवेदना और शिल्प- डॉ० राकेश शुक्ल

एक महत्वपूर्ण शोध-ग्रन्थ : सुभद्राकुमारी चौहान के साहित्य में संवेदना और शिल्प- डॉ० राकेश शुक्ल

सुभद्राकुमारी चौहान के साहित्य में संवेदना और शिल्प डॉ० कामायनी शर्मा का एक शोध-समीक्षा ग्रन्थ है, जिसमें उन्होंने अध्यवसायपूर्वक सुभद्रा जी के समग्र कृतित्व का मूल्यांकन किया है। कामायनी जी ने विवेच्य रचनाकार की पारिवारिक पृष्ठभूमि, उनके व्यक्तित्व की निर्मिति तथा उनके सामाजिक, राजनीतिक सरोकारों के साथ लेखकीय व्यक्तित्व पर भी विस्तार से प्रकाश डाला है।

सुभद्रा कुमारी चौहान राष्ट्रीयता, मानवतावाद और प्रेम की अनोखी कवयित्री हैं, जिनके काव्य ने न सिर्फ स्वातंत्र्य आंदोलन को गति दी, वरन राष्ट्र की रचनात्मक भूमिका और उसके सांस्कृतिक अधिष्ठान को भी प्रतिस्थापित किया। राष्ट्रीय चेतना की दृष्टि से उनकी कविता ने आम आदमी के दिलों में जो जगह बनाई, वह आज तक कोई भी कवयित्री नहीं बना सकी है। एक कहानीकार, बाल साहित्यकार, संवेदनशील समाजसेवी और स्वातंत्र्य सेनानी के रूप में भी उनका योगदान बहुमूल्य है।

सुभद्रा जी की साहित्य साधना के अनेक सोपान हैं किंतु राष्ट्रीयता उनका मूल स्वर है। उनके साहित्य में एक ओर मातृभूमि के प्रति प्रेम, राष्ट्र के गौरव का भाव तथा मानवतावादी मूल्यों की प्रतिष्ठा है तो दूसरी ओर प्रेम, सौंदर्य, बाल मनोविज्ञान, अध्यात्म और दर्शन की दृष्टि से भी उनका साहित्य मूल्यवान है।

सुभद्राकुमारी चौहान के साहित्य में संवेदना और शिल्प डॉ० कामायनी शर्मा का एक शोध-समीक्षा ग्रन्थ है, जिसमें उन्होंने अध्यवसायपूर्वक सुभद्रा जी के समग्र कृतित्व का मूल्यांकन किया है। कामायनी जी ने विवेच्य रचनाकार की पारिवारिक पृष्ठभूमि, उनके व्यक्तित्व की निर्मिति तथा उनके सामाजिक, राजनीतिक सरोकारों के साथ लेखकीय व्यक्तित्व पर भी विस्तार से प्रकाश डाला है। उनके लेखकीय व्यक्तित्व का विश्लेषण करते हुए लेखिका ने सुभद्रा जी के काव्य में राष्ट्रीयता, प्रेम, सौंदर्य, स्त्री-विमर्श, धर्म, दर्शन, वात्सल्य, बाल मनोविज्ञान तथा सामाजिक सरोकारों आदि पर गम्भीर विमर्श किया है।
उनके इस अध्ययन और विश्लेषण से जहाँ एक ओर इस विषय के अनेक पक्षों पर जो अभी तक अनालोचित एवं अनुद्घाटित थे, प्रकाश पड़ा है, वहीं दूसरी ओर इस विषय पर इतः पूर्व उपलब्ध ज्ञान की परिधि का विस्तार भी हुआ है। सुभद्रा जी की कविताओं की परख करते हुए अनुसन्धानी ने मौलिक निष्कर्ष भी निकाले हैं।

'व्यथित हृदय' कविता के मर्म का उद्घाटन करते हुए वे लिखती हैं कि, “इस कविता की राष्ट्रीय सम्वेदनाएँ राष्ट्र को एक परिवार के रूप में देखती हैं। ये विशाल भारत की जातीय एकता की कविता है। वस्तुतः यहाँ स्वाधीनता के भाव यदि अंग्रेजी सत्ता से मुक्ति के लिए हैं तो अनेक सामाजिक बेड़ियों से मुक्ति भी इसी स्वाधीनता का एक व्यापक परिप्रेक्ष्य है।"

प्रत्येक सजग साहित्यकार ने अपने समय की सामाजिक, राजनीतिक व्यवस्था और उसकी विसंगतियों का यथार्थ चित्रण किया है। सुभद्राकुमारी चौहान ने भी अपने समय की सामाजिक कुरीतियों और जड़ताओं पर प्रहार किया है। अपनी कहानियों के माध्यम से उन्होंने परतंत्र भारत की सुषुप्त जनता को जाग्रत करने का कार्य किया, विशेषकर युवा पीढ़ी के अंतःकरण में अंग्रेजी शासन द्वारा किये जा रहे अत्याचारों के विरुद्ध विद्रोह और क्रांति की भावना भी जाग्रत की थी।

सुभद्रा जी के कृतित्व में सांस्कृतिक चेतना के प्रतिपादन की दृष्टि से भी यह शोध-ग्रन्थ महत्वपूर्ण है, जिसमें उनकी मूल्य चेतना, मानवीय आस्था, आध्यात्मिक तथा दार्शनिक चिंतन आदि सभी कुछ समाहित है। शैल्पिक उपकरणों पर भी उन्होंने विस्तार से विचार किया है। सुभद्रा जी की काव्य-शैली, कथन भंगिमा, नूतन शब्द सामर्थ्य की क्षमता, छंद विधान, प्रतीक योजना, बिम्ब योजना, अप्रस्तुत विधान, अलंकार योजना तथा शब्द शक्तियों आदि पर भी विस्तार से अध्ययन किया गया है। निष्कर्ष यह कि सुभद्राकुमारी चौहान की साहित्य साधना को समझने के लिए यह पुस्तक अत्यंत मूल्यवान तथा उपयोगी है।

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समीक्ष्य पुस्तक- सुभद्राकुमारी चौहान के साहित्य में संवेदना और शिल्प
रचनाकार- डॉ० कामायनी शर्मा
विधा- आलोचना
प्रकाशन- इरा पब्लिशर्स, कानपुर (उ०प्र०)

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रचनाकार परिचय

राकेश शुक्ल

ईमेल : rakeshshukla940@gmail.com

निवास : कानपुर (उत्तरप्रदेश)

जन्मतिथि22-04-1967
जन्मस्थान- फ़तेहपुर(उत्तर प्रदेश)
शिक्षा- एम० ए० (हिन्द), पी० एच० डी० 
संप्रति- प्रोफ़ेसर, हिन्दी विभाग , वी० एस० एस० डी० कॉलेज, कानपुर
प्रकाशन-
प्रकाशित पुस्तकें-
1.जलता रहे दीया (कविता संग्रह) सन् 2002 ई0
2.नई कविता में उदात्त तत्व (शोध-समीक्षा), 2008 ई0
3.उनकी सृष्टि अपनी दृष्टि (पुस्तक-समीक्षाएँ एवं टिप्पणियाँ), 2019 ई0
सम्पादित पुस्तकें-
1.छायावादोत्तर काव्य संचयन, 2005 ई0
2.हमारा समय और साहित्य, 2014 ई0
3.प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्य, 2016 ई0
4.अद्यतन काव्य, 2016 ई0
5.हिन्दी काव्य, 2021 ई0
6.कार्यालयी हिन्दी और कम्प्यूटर, 2022 ई0
7.हिन्दी गद्य,  2022 ई0
प्रकाशित कार्य-
● 75 शोध पत्र राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं एवं पुस्तकों में प्रकाशित।
● 50 से अधिक आलेख, एक दर्जन कहानियाँ एवं दो दर्जन से अधिक कविता, गीत, ग़ज़ल आदि प्रकाशित। 
● 100 से अधिक पुस्तक समीक्षाएँं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।
शोध निर्देशन- 16 विद्यार्थियों का शोध निर्देशन एवं 22 विद्यार्थियों के लघु शोध का निर्देशन। 
राष्ट्रीय संगोष्ठियों/ कार्यशालाओं में प्रतिभागः
● राष्ट्रीय एवं अन्य संगोष्ठियों में विषय विशेषज्ञ/अतिथि वक्ता के रूप में 100 से अधिक व्याख्यान।
● राष्ट्रीय संगोष्ठियों में प्रतिभागी के रूप में 50 से अधिक शोध पत्रों का वाचन।
सम्पादन-
● ’वन्दना डाइजेस्ट’ (साहित्य की त्रैमासिकी) कानपुर, सन् 2000 ई0 से 2008 तक।
● ’ऋतम्भरा’, कॉलेज की पत्रिका 2009 से अद्यावधि।
● ’पुनरीक्षण’, कॉलेज की पत्रिका, 1995-2008 तक।
सहभागिता/दायित्व- 
● उपाध्यक्ष, भारतीय विचारक समिति। 
● जनपद प्रभारी, अखिल भारतीय साहित्य परिषद (10 वर्षों तक)। 
● अनेक शैक्षिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं में योगदान।
प्रसारण- आकाशवाणी लखनऊ से विभिन्न विषयों पर दो दर्जन से अधिक वार्ताएँ प्रसारित।
सम्मान- विभिन्न संस्थाओं द्वारा दो दर्जन सम्मान प्राप्त जिनमें कतिपय महत्वपूर्ण।
● कृति ‘जलता रहे दीया’ के लिए उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल श्री विष्णुकान्त शास्त्री द्वारा राजभवन में सम्मान।
● श्री महावीर प्रसाद दीक्षित अलंकरण (औरैया हिन्दी प्रोत्साहन निधि, 2003)
● हिन्दी साहित्य सेवा सम्मान कर्नाटक के राज्यपाल श्री टी०एन० चतुर्वेदी द्वारा (श्री महेश चन्द्र द्विवेदी ज्ञान प्रसार संस्थान, लखनऊ 2006)
● डॉ० रामविलास शर्मा समीक्षा सम्मान (अखिल भारतीय मंचीय कवि पीठ लखनऊ, 2012)
● ‘साहित्य श्री’ सम्मान गुजरात के राज्यपाल श्री ओ०पी०कोहली द्वारा (जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय युवा केन्द्र, कानपुर, 2016)
● भाषेन्दु भारती सारस्वत सम्मान (हिन्दी प्रचारिणी समिति कानपुर, 2016)
● सारस्वत सम्मान (प्रेस्टिज संस्था देवरिया, 2016)
● साहित्य सेवा सम्मान, बिहार के राज्यपाल श्री रामनाथ कोविंद द्वारा (भारतीय विचारक समिति, जून 2017)
● साहित्य भूषण सम्मान (अखिल भारतीय साहित्य परिषद, 2017)
● शिक्षक-साहित्यकार अलंकरण (शिवोऽहम संस्था, कानपुर, 2018)
● समीक्षा के लिए ‘इनोवेशन लीडरशिप एवार्ड’ (पं० बंगाल के राज्यपाल श्री केशरीनाथ त्रिपाठी द्वारा (पं0 विश्वम्भरनाथ शर्मा कौशिक स्मारक समिति, कानपुर, 2018)
● पद्मश्री श्याम नारायण पाण्डेय स्मृति कीर्ति भूषण अलंकरण (केरल के राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान द्वारा, 2022)
● हिन्दी भाषा रत्न मैथिलीशरण गुप्त सम्मान (इंटिग्रेटेड सोसायटी आफ मीडिया प्रोफेशनल्स द्वारा, 2022) 
अन्य- विभिन्न विश्वविद्यालयों में पी.एच.डी. के परीक्षक, विषय विशेषज्ञ चयन समिति, अनेक प्रान्तों के लोक सेवा आयोगों के विशिष्ट दायित्वों का निर्वहन।
सम्पर्क- ‘सांकृत्यायन’ 117/254-ए, पी-ब्लॉक हितकारी नगर, काकादेव, कानपुर(उत्तर प्रदेश)-208025      
मोबाइल- 983997046